स्वागत है स्वाध्याय | Swagat hai Poem Swadhyay | 11th hindi

स्वागत है स्वाध्याय | Swagat hai poem swadhyay | 11th hindi] 

स्वागत है स्वाध्याय | Swagat hai Poem Swadhyay | 11th hindi

आकलन [PAGE 37]  

आकलन | Q 1 | Page 37
‘स्वागत है’ काव्य मेंदी गई सलाह। ____________
Solution :
मॉरिशस की पावन धरती पर सभी देशवासियों का स्वागत करते हुए कवि कहता है कि हे मेरे हृदय के टुकड़ो, उस पुरानी कथा को भूल जाओ। भूल जाओ कि किस प्रकार आप लोगों को अपने परिजनों से अलग कर दिया गया। इस प्रकार अपनी मातृभूमि से अलग होना ही आपकी किस्मत में था। अब उस पर रोने से कोई लाभ नहीं है। जहाजों द्वारा आप सबको यहाँ लाए जाने की घटना को सोचकर दुखी होने पर भी अब उसे अनहुआ नहीं किया जा सकता। आज युगों के बाद हम सब मिल रहे हैं। देखो, आज सब कैसे साथ-साथ हैं। 

ऐसा लगता है मानो इस धरती पर एक लघु भारत बन गया हो। और उस अपने छोटे-से भारत के प्रांगण में आज युगों के बाद हम एक ही माता के बालक मिल रहे हों। मॉरिशस तो अब हमारे मायके के समान है। वहीं हमें हमारे परिवार के लोग मिलेंगे। अब हमारे बीच देश-विदेश का भेद नहीं रहेगा। हम सभी एक ही समाज के सदस्य हैं। इस धरती पर जब हम लाए गए, तो यह जंगलों और पत्थरों से भरी थी। हमारे बंधुओं ने अपने अथक प्रयासों से इन पत्थरों में प्राण डाले। उन्होंने पसीने के रूप में अपना लहू बहाया। तब यह भूमि मॉरिशस का सुंदर रूप ले पाई। हे मेरे बंधुओ, इस भूमि पर तुम सभी की स्मृति गहराई तक अंकित है। हमारे पूर्वजों ने इस सुंदर देश का निर्माण किया है। तुम भी आओ और इस भूमि को स्वर्ग में परिवर्तित कर दो।

आकलन | Q 2 | Page 37
प्रथम स्वागत करते हुए दिलाया विश्वास ____________
Solution :
प्रथम स्वागत करते हुए कवि विश्वास दिलाता है कि हम सब एक ही माता की संतान हैं, जो अनेक देशों में बिखरे हुए हैं। आज कई युगों के बाद मॉरिशस की धरती पर हमारा मिलन हो रहा है। आप सबका प्रेम के साथ स्वागत है।

आकलन | Q 3 | Page 37
‘मारीच’ से बना शब्द ____________
Solution :
मरिचिका काव्य सौंदर्य


काव्य सौंदर्य [PAGE 37]  

काव्य सौंदर्य | Q 1 | Page 37
‘‘यह तो तब था, घास ही पत्थर
पत्थर में प्राण हमनेडाले।।’’
उपर्युक्त पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
Solution :
इस धरती पर जब हम लाए गए, यह तो जंगलों और
पत्थरों से भरी थी। हमारे बंधुओं ने अपने अथक प्रयासों से इन
पत्थरों में प्राण डाले। तब यह भूमि मॉरिशस का सुंदर रूप ले पाई।

काव्य सौंदर्य | Q 2 | Page 37
‘स्वागत है’ कविता में ‘डर’ का भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ ढूँढ़कर अर्थ लिखिए।
Solution :
पनिया-जहाज पर कौन बनेगा अब भैया, बड़ा डर लग रहा है उससे तो कहीं पुनः दोबारा न दे इतिहास हमारा इस-उस धरती पर बिखर न जाएँ।
अर्थ : पानी के जहाज पर अब कोई देशवासी नहीं चढ़ना चाहेगा। सबको बड़ा डर लग रहा है। कहीं ऐसा न हो कि किस्मत उसी इतिहास को फिर से न दोहराने लगे। ऐसा न हो कि अपने आत्मीयों को खोजते हुए हम अलग-अलग देशों की धरती पर पहुँच जाएँ।


अभिव्यक्ति [PAGE 37] 

अभिव्यक्ति | Q 1 | Page 37
‘विश्वबंधुत्व आज के समय की आवश्यकता’, इसपर अपने विचार लिखिए ।
Solution :
विश्वबंधुत्व आज के समय की आवश्यकता है। यह अवधारणा भारतीय मनीषियों के सूत्र वसुधैव कुटुंबकम् पर आधारित है। जो शाश्वत तो है ही, व्यापक एवं उदार नैतिक मूल्यों पर आधारित भी है। इसमें किसी प्रकार की संकीर्णता के लिए कोई स्थान नहीं है। सहिष्णुता इसकी अनिवार्य शर्त है। आज वैश्वीकरण का युग है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के कारण संसाधनों और उत्पादों की त्वरित प्राप्ति के लिए परस्पर एक-दूसरे के सहअस्तित्व की भावना को बढ़ावा मिला है। 

किसी भी देश की छोटी-बड़ी प्रत्येक गतिविधि का प्रभाव आज संसार के सभी देशों पर किसी-न किसी रूप में अवश्य पड़ता है। परिणामस्वरूप सभी देश यह अनुभव करने लगे हैं कि पारस्परिक सहयोग, स्नेह, सद्भावना, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भाईचारे के बिना अब उनका काम नहीं चलेगा। संसाधनों की बढ़ती माँग और उसकी पूर्ति के प्रयासों ने पारस्परिक दूरियों को समाप्त कर दिया है। फलस्वरूप विश्व बंधुत्व का विशाल दृष्टिकोण वर्तमान स्थितियों का महत्त्वपूर्ण परिचायक बन गया है।


अभिव्यक्ति | Q 2 | Page 37
मातृभूमि की महत्ता को अपनेशब्दों मेंव्यक्त कीजिए।
Solution :
मातृभूमि अर्थात वह स्थान, जहाँ हमारा जन्म होता है। जिसके अन्न-जल को ग्रहण कर हमारा शरीर पुष्ट होता है, जिसकी गोदी में, पवित्र वायु में साँस लेकर हम जीते हैं। वह हमारी माता के समान होती है। मनुष्य के जीवन में मातृभूमि का बड़ा महत्त्व है। हमारी मातृभूमि हमारे हृदय में स्वाभिमान का भाव जगाती है। दूसरे देशों में हमें कितनी भी सुख-सुविधाएँ क्यों न मिल जाएँ, वे हमारी मातृभूमि कभी नहीं बन सकते। विदेशों में जब हम अपने राष्ट्रध्वज को देखते हैं या राष्ट्रगान सुनते हैं तो एक अलग ही प्रकार की अनुभूति होती है। अपने देश के प्रति जुड़ाव की भावना मन में आ जाती है। अपनी प्यारी मातृभूमि पर हमें सदा सर्वस्व न्योछावर कर देने के लिए तैयार रहना चाहिए। जिस प्रकार मनुष्य प्रेम और त्याग के साथ अपने परिवार का पोषण करता है, उसी प्रकार प्रेम और त्याग के साथ उसे अपने देश की रक्षा करनी चाहिए।


रसास्वादन [PAGE 37]  

रसास्वादन | Q 1 | Page 37
गिरमिटियों की भावना तथा कवि की संवेदना को समझतेहुए कविता का रसास्वादन कीजिए।
Solution :
उन्नीसवीं सदी में ब्रिटिश सरकार ने लाखों भारतीय स्त्री- पुरुषों को जबरदस्ती स्वजनों से दूर अपने उपनिवेशों फीजी, सूरीनाम, पाक, गयाना, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड किंगडम, यू एस ए, कनाडा, फ्रांस, रेनियन आदि देशों में भेजा। जहाँ उन्हें गुलाम बनाकर बड़ी अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता था। हर प्रकार से उनका शोषण किया जाता था। अनुबंध समाप्त होने के बाद भी पास में पैसा न होने के कारण वे कभी स्वदेश नहीं लौट पाए। परंतु उन्होंने अपनी भारतीय संस्कृति को नहीं छोड़ा। 

भारतीय तीज-त्योहार, यहाँ के रीति-रिवाज, यहाँ के लोकगीत, लोकनृत्य सभी उन गिरमिटियों के जीवन सदैव हिस्सा रहे। प्रस्तुत कविता में कवि दानीश्वर जी भारतीयों को अपनी विगत दुखद स्मृति में भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अब मॉरिशस माँ के घर के समान है, जहाँ अपने प्रियजनों से उनका मिलन होगा। मॉरिशस अब एक लघु भारत के समान है। कवि इस भारत में सभी का स्वागत कर रहा है। कवि ने प्रवासी भारतीयों के जीवन में आए सकारात्मक पहलुओं को तो उजागर किया ही है, साथ-साथ उनके मन में स्थित भारतीयों की संवेदनाओं तथा उनकी सृजनात्मक प्रतिभा के दर्शन भी कराए हैं।


साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान [PAGE 38]  

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान | Q 1 | Page 38
प्रवासी साहित्य की विशेषता -
Solution :
विदेशों में बसे भारतीयों द्वारा हिंदी में रचा गया साहित्य प्रवासी भारतीय हिंदी साहित्य कहलाता है। इन रचनाओं ने नीति-मूल्य, मिथक, इतिहास, सभ्यता के माध्यम से भारतीयता को सुरक्षित रखा है। प्रवासी साहित्य ने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने के साथ-साथ पाठकों को प्रवास की संस्कृति, संस्कार तथा उस भूभाग के लोगों की स्थिति से भी अवगत कराया है

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान | Q 2 | Page 38
अन्य प्रवासी साहित्यकारों के नाम -
Solution :
(१) जोगिंदर सिंह कंवल
(२) स्नेहा ठाकूर
(३) बासुदेव विष्णुदयाल
(४) रामदेव धुरंधर
(५) अभिमन्यु अनत
(६) ब्रजेंद्र कुमार भगत मधुकर
(७) सोमदत्त बखोरी
(८) बेनीमाधो रामखेलावन

11th Hindi Digest Chapter 7 स्वागत है! Textbook Questions and Answers

कवि परिचय ः शाम दानीश्वर जी का जन्म फरवरी १९4३ में हुआ। शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात आप हिंदी अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे। हिंदी के प्रति लगाव होने के कारण साहित्य रचना में रुचि जाग्रत हुई। प्रवासी साहित्य में माॅरिशस के कवि के रूप में आपकी पहचान बनी। अपने परिजनों से विछोह का दुख, गुलामी का दंश और पीड़ा आपके काव्य में पूरी संवेदना के साथ उभरी है। यथार्थ अंकन के साथ भविष्य के प्रति आशावादिता आपके काव्य की विशेषता है। प्रवासी भारतीय साहित्य में आपका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । शाम दानीश्वर जी की मृत्यु २००६ में हुई । 

प्रमुख कृतियाँ ः ‘पागल’, ‘कमल कांड’ (उपन्यास), काव्य संग्रह आदि। 

काव्य प्रकार ः विदेशों में बसे भारतीयों द्‌वारा हिंदी में रचा गया साहित्य ‘प्रवासी भारतीय हिंदी साहित्य’ कहलाता है। इन रचनाओं ने नीति-मूल्य, मिथक, इतिहास, सभ्यता के माध्यम से भारतीयता को सुरक्षित रखा है । प्रवासी साहित्य ने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने के साथ-साथ पाठकों को प्रवास की संस्कृति, संस्कार एवं उस भूभाग के लोगों की स्थिति से भी अवगत कराया है । अभिमन्यु अनत, जोगिंदर सिंह कंवल, स्नेहा ठाकुर आदि अन्य प्रवासी साहित्यकार हैं । 

काव्य परिचय ः प्रस्तुत कविता में कवि प्रवासी भारतीयों को अपनी विगत दुखद स्मृतियाँ भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहा है। अब माॅरिशस की भूमि नैहर के समान है, जहाँ परिजनों से मिलाप होगा। लघु भारत के आँगन में कवि सभी का स्वागत कर रहा है। कवि ने गिरमिटियों के जीवन में आए सकारात्मक पहलुओं को उजागर किया है । गिरमिटियों की पीढ़ियों के मन में स्थित भारतीयों की संवेदनाओं और उनकी सृजनात्मक प्रतिभाओं के दर्शन भी कराए हैं ।

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

स्वागत है !
स्वागत-स्वागत-स्वागत है ।
आओ, आओ, आओ!
ओ मेरे भाइयो!
बिखरे हुए मेरे परम दोस्तो!
आप सबों का सप्रेम स्वागत है
एक ही माँ के बालक हैं हम
और अनेक देशों में बिखरे हैं
आज मिलन हमारा हो रहा
कई युगों के बाद
तुम सब मॉरिशस की भूमि पर
पधार रहे हो आज
स्वागत है!


हम सब जहाजिया भाई ठहरे
कोई इस जहाज पर चढ़ा था,
तो कोई उस जहाज पर
और जब जहाज पानी में बहने लगे,
तो एक ही देश में नहीं पाए गए
लंगर पड़ा जब समुद्र तट पर,
हक्का-बक्का ताकने लगे,
अरे! कहाँ आ गए हम इतनी दूर!
अरे! मेरे भाई-भतीजे कहाँ हैं?
इस जहाज में जगह नहीं थी
फिर उस जहाज पर तो चढ़े थे
भ स्वागत है!


भ स्वागत है! ूल जाओ वह पुरानी कथा
मेरे हृदय के टुकड़ो!
भूल जाओ वह जहाजी कारनामे
जो होना था प्रारब्ध में,
वही तो हुआ हम सबके साथ
अब रोना, रोने से क्या होगा?
जहाजी प्रणयन को सोचना क्या,
आज तो हम मिल ही रहे हैं,
युग-युगांतरों बाद
देखो, हम सब कैसे साथ हैं आज,
लघु भारत के प्रांगण में!
स्वागत है!


पनिया-जहाज पर कौन चढ़ेगा अब भैया,
बड़ा डर लग रहा है उससे तो
कहीं पुनः दोहरा न दे इतिहास हमारा
इस-उस धरती पर बिखर न जाएँ,
खोजते हुए निज बंधुओं को
आसमान की राह पकड़ आगे चल,
मॉरिशस की भूमि पर उतरेंगे सब
नैहर हो जैसे वही हमारा
बाबुल के लोग वहीं मिलेंगे
देश परदेश के नाम मिटेंगे,
आँसू थामे वहीं मिलेंगे
स्वागत है!


े मेरे गिरमिटिया भाई!
‘परमीट’ अपनी जिगरछाप थी,
पर दासता पंक में जा गिरे थे
कितने युग लगे पंकज बनने में,
‘मारीच’ से मॉरिशस बनने में,
देखो इस पावन भूमि पर
बन बांधवों का सफल प्रणयन
यह तो तब था, घास ही पत्थर
पत्थर में प्राण हमने डाले
देखो इस देश को घूम-घूमकर
बिछड़े बंधुओं के लहू कणों का
स्वागत है!

हे मेरे भारत-नेपाल-श्रीलंका!
फीजी-सूरीनाम-पाक-गयाना !
साऊथ अफ्रीका, यूके-यूएसए-कनाडा!
फ्रांस रेनियन आदि के सहोदर बंधुओ!
इस भूमि में तुम सभी की
स्मृति अंकित है तल तक,
कहते हैं ‘स्वर्ग’ इसे हिंद महासागर का
कल्पना है या सत्य है?
प्रिय भाइयो, कल्पना भी हो
तो स्वर्ग इसे तुम बना जाओ
स्वागत-स्वागत-स्वागत है !
(‘प्रवासी भारतीय हिंदी साहित्य’ संग्रह से)

Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 11th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 7 - स्वागत है ! [Latest edition]

Post a Comment

Thanks for Comment

Previous Post Next Post