राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद | NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 2
Question 1.
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
SOLUTION
कवि ने ‘श्री ब्रजदूलह’ ब्रज-दुलारे कृष्ण के लिए प्रयुक्त किया है। वे सारे संसार में सबसे सुंदर, सजीले, उज्ज्वल और महिमावान हैं। जैसे मंदिर में ‘दीपक’ सबसे उजला और प्रकाशवान होता है। उसके होने से मंदिर में प्रकाश फैल जाता है। उसी प्रकार कृष्ण की उपस्थिति से ही सारे ब्रज-प्रदेश में आनंद, उत्सव और प्रकाश फैल जाता है। इसी कारण उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक कहा गया है।
Question 2.
परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।
SOLUTION
परशुराम के क्रोध करने पर राम ने अत्यंत विनम्र शब्दों में–धनुष तोड़ने वाला आपका कोई दास ही होगा’ कहकर परशुराम का क्रोध शांत करने एवं उन्हें सच्चाई से अवगत कराने का प्रयास किया। उनके मन में बड़ों के प्रति श्रद्धा एवं आदर भाव था। उनके शीतल जल के समान वचन परशुराम की क्रोधाग्नि को शांत कर देते हैं।
लक्ष्मण का चरित्र श्रीराम के चरित्र के बिलकुल विपरीत था। उनका स्वभाव उग्र एवं उद्दंड था। वे परशुराम को उत्तेजित एवं क्रोधित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते थे। उनकी व्यंग्यात्मकता से परशुराम आहत हो उठते हैं और उन्हें मारने के लिए उद्यत हो जाते हैं जो सभा में उपस्थित लोगों को भी अनुचित लगता है।
Question 3.
लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।
SOLUTION
इसमें ब्रज-दुलारे, नटवर-नटेश, कलाप्रेमी कृष्ण की सुंदर रूप-छवि प्रस्तुत की गई है। उनका रूप मनमोहक है। साँवले शरीर पर पीले वस्त्र और गले में बनमाला है। पाँवों में पाजेब और कमर में मुँघरूदार आभूषण हैं। उनकी चाल संगीतमय है।
- अनुप्रास की छटा देखते ही बनती है। शब्द पायल की तरह झनकते प्रतीत होते हैं। यथा
- पाँयनि नूपुर मंजु बजें’ में आनुप्रासिकता है। इसका नाद-सौंदर्य दर्शनीय है।।
- :कटि किंकिनि कै धुनि की’ में ‘क’ ध्वनि और ‘न’ की झनकार मिल गए-से प्रतीत होते हैं।
- ‘पट पीत’ और ‘हिये हुलसै बनमाल’ में भी अनुप्रास है।
- ‘भाषा’ कोमल, मधुर और संगीतमय है। सवैया छंद का माधुर्य मन को प्रभावित करता है।
Question 4.
परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए
बाल ब्रह्मचारी अति कोही बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही॥
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही ।।
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा॥
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर ॥
SOLUTION
परशुराम ने अपने बारे में कहा कि मैं बचपन से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करता आया हूँ। मेरा स्वभाव अत्यंत क्रोधी है। मैं क्षत्रियों का विनाश करने वाला हूँ, यह सारा संसार जानता है। मैंने अपनी भुजाओं के बल पर पृथ्वी को अनेक बार जीतकर ब्राह्मणों को दे दिया। सहस्त्रबाहु की भुजाओं को काटने वाले इस फरसे के भय से गर्भवती स्त्रियों के गर्भ तक गिर जाते हैं। इसी फरसे से मैं तुम्हारा वध कर सकता हूँ।
Question 5.
लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं ?
SOLUTION
इस पंक्ति का भाव है-स्वयं सवेरा वसंत रूपी शिशु को जगाने के लिए गुलाब रूपी चुटकी बजाती है। आशय यह है कि वसंत ऋतु में प्रात:काल गुलाब के फूल खिल उठते हैं।
Question 6.
साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
SOLUTION
यह पूर्णतया सत्य है कि साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का मेल हो तो सोने पर सोहागा होने जैसी स्थिति हो जाती है। अन्यथा विनम्रता के अभाव में व्यक्ति उद्दंड हो जाता है। वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए दूसरों का अहित करने लगता है। साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का मेल श्रीराम में है जो स्वयं को ‘दास’ शब्द से संबोधित करके प्रभावित करते हैं। वे अपनी विनम्रता के कारण परशुराम की क्रोधाग्नि को शीतल जल रूपी वचन के छीटें मारकर शांत कर देते हैं।
Question 7.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क)बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन पूँकि पहारू।
(ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
(ग) गाधिसूनु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ ।।
SOLUTION
कवि कहना चाहता है कि राधिका की सुंदरता और उज्ज्वलता अपरंपार है। स्वयं चाँद भी उसके सामने इतना तुच्छ और छोटा है कि वह उसकी परछाईं-सा है। इसमें व्यतिरेक अलंकार है। व्यतिरेक में उपमान को उपमेय के सामने बहुत हीन और तुच्छ दिखाया जाता है।
Question 8.
पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।
SOLUTION
तुलसी की भाषा सरल, सरस, सहज और अत्यंत लोकप्रिय भाषा है। वे रस सिद्ध और अलंकारप्रिय कवि हैं। उन्हें अवधी और ब्रजे दोनों भाषाओं पर समान अधिकार है। रामचरितमानस की अवधी भाषा तो इतनी लोकप्रिय है कि वह जन-जन की कंठहार बनी हुई है। इसमें चौपाई छंदों के प्रयोग से गेयता और संगीतात्मकता बढ़ गई है। इसके अलावा उन्होंने दोहा, सोरठा, छंदों का भी प्रयोग किया है। उन्होंने भाषा को कंठहार बनाने के लिए कोमल शब्दों के प्रयोग पर बल दिया है तथा वर्गों में बदलाव किया है; जैसे
• का छति लाभु जून धनु तोरें ।
• गुरुहि उरिन होतेउँ श्रम थोरे
तुलसी के काव्य में वीर रस एवं हास्य रस की सहज अभिव्यक्ति हुई है; जैसे
बालकु बोलि बधौं नहि तोहीं। केवल मुनिजड़ जानहि मोही।।
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाही। जे तरजनी देखि मर जाही।।
- अलंकार – तुलसी अलंकार प्रिय कवि हैं। उनके काव्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक जैसे अलंकारों की छटा देखते ही बनती है; जैसे
- अनुप्रास – बालकु बोलि बधौं नहिं तोही।
- उपमा – कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा।
- रूपक – भानुवंश राकेश कलंकू। निपट निरंकुश अबुध अशंकू।।
- उत्प्रेक्षा – तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा।।
- वक्रोक्ति – अहो मुनीसु महाभट मानी।
- यमक – अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहु न बूझ, अबूझ
- पुनरुक्ति प्रकाश – पुनि-पुनि मोह देखाव कुठारू।
इस तरह तुलसी की भाषा भावों की तरह भाषा की दृष्टि से भी उत्तम है।
Question 9.
इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
SOLUTION
पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं-
- (क) देव दरबारी कवि थे। उन्होंने अपने आश्रयदाताओं, उनके परिवारजनों तथा दरबारी समाज को प्रसन्न करने के लिए जगमगाते हुए सुंदर चित्रण किए। उन्होंने जीवन के दुखों के नहीं, अपितु वैभव-विलास और सौंदर्य के चित्र खींचे। उनके सवैये में कृष्ण का दूल्हा-रूप है तो कवित्तों में वसंत और चाँदनी को भी राजसी वैभव-विलास से भरा-पूरा दिखाया गया है।
- (ख) देव में कल्पना-शक्ति का विलास देखने को मिलता है। वे नई-नई कल्पनाएँ करते हैं। वृक्षों को पालना, पत्तों को बिछौना, फूलों को झिंगूला, वसंत को बालक, चाँदनी रात को आकाश में बना ‘सुधा-मंदिर’ आदि कहना उनकी उर्वर कल्पना शक्ति का परिचायक है।
- (ग) देव ने सवैया और कवित्त छंदों का प्रयोग किया है। ये दोनों ही छंद वर्णिक हैं। छंद की कसौटी पर देव खरे उतरते हैं।
- (घ) देव की भाषा संगीत, प्रवाह और लय की दृष्टि से बहुत मनोरम है।
- (ङ) देव अनुप्रास, उपमा, रूपक आदि अलंकारों का सहज स्वाभाविक प्रयोग करते हैं।
- (च) उनकी भाषा में कोमल और मधुर शब्दावली का प्रयोग हुआ है।
Question 10.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचानकर लिखिए
(क) बालकु बोलि बधौं नहि तोही।
(ख) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।
(ग) तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। ।
बार बार मोहि लागि बोलावा ॥
(घ) लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।
बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु॥
SOLUTION
(क) ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार।
(ख) कोटि-कुलिस – उपमा अलंकार।
कोटि कुलिस सम बचन तुम्हारा। – उपमा अलंकार।
(ग) तुम्ह तौ काल हाँक जनु लावा – उत्प्रेक्षा अलंकार।
बार-बार मोहि लाग बोलावा – पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार।
(घ) लखन उतर आहुति सरिस, जल सम वचन – उपमा अलंकार।
भृगुवर कोप कृसानु – रूपक अलंकार।
रचना और अभिव्यक्ति
Question 11.
“सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।”
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी- कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष य विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए।
SOLUTION
क्रोध के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों पर छात्र स्वयं चर्चा करें।
Question 12.
संकलित अंश में राम का व्यवहार विनयपूर्ण और संयन्न है, लक्ष्मण लगातार व्यंग्य बाणों का उपयोग करते हैं और परशुराम का व्यवहार क्रोध से भरा हुआ है। आप अपने आपको इस परिस्थिति में रखकर लिखें कि आपका व्यवहार कैसा होता?
SOLUTION
राम, लक्ष्मण और परशुराम जैसी परिस्थितियाँ होने पर मैं राम और लक्ष्मण के मध्य का व्यवहार करूंगा। मैं श्रीराम जैसा नम्र-विनम्र हो नहीं सकता और लक्ष्मण जितनी उग्रता भी न करूंगा। मैं परशुराम को वस्तुस्थिति से अवगत कराकर उनकी बातों का साहस से भरपूर जवाब देंगा परंतु उनका उपहास न करूंगा।
Question 13.
अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
SOLUTION
छात्र अपने परिचित या मित्र की विशेषताएँ स्वयं लिखें।
Question 14.
दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए-इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए एक कहानी लिखिए।
SOLUTION
वन में बरगद का घना-सा पेड़ था। उसकी छाया में मधुमक्खियों ने छत्ता बना रखा था। उस पेड़ पर एक कबूतर भी रहता था। वह अक्सर मधुमक्खियों को नीचा, हीन और तुच्छ प्राणी समझकर सदा उनकी उपेक्षा किया करता था। उसकी बातों से एक मधुमक्खी तो रोनी-सी सूरत बना लेती थी और कबूतर से जान बचाती फिरती। वह मधुमक्खियों को बेकार का प्राणी मानता था। एक दिन एक शिकारी दोपहर में उसी पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुका।
पेड़ पर बैठे कबूतर को देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। वह धनुषबाण उठाकर कबूतर पर निशाना लगाकर बाण चलाने वाला ही था कि एक मधुमक्खी ने उसकी बाजू पर डंक मार दिया। शिकारी का तीर कबूतर के पास से दूर निकल गया। उसने बाजू पकड़कर बैठे शिकारी को देखकर बाकी का अनुमान लगा लिया। उस मधुमक्खी के छत्ते में लौटते ही उसने सबसे पहले सारी मधुमक्खियों से क्षमा माँगी और भविष्य में किसी की क्षमता को कम न समझने की कसम खाई। अब कबूतर उन मधुमक्खियों का मित्र बन चुका था।
Question 15.
उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
SOLUTION
एक बार मेरे अध्यापक ने गणित में एक ही सवाल के लिए मुझे तीन अंक तथा किसी अन्य छात्र को पाँच अंक दे दिया। ऐसा उन्होंने तीन प्रश्नों में कर दिया था जिससे मैं कक्षा में तीसरे स्थान पर खिसक रहा था। यह बात मैंने अपने पिता जी को बताई। उन्होंने प्रधानाचार्य से मिलकर कापियों का पुनर्मूल्यांकन कराया और मैं कक्षा में संयुक्त रूप से प्रथम आ गया।
Question 16.
अवधी भाषा आज किन-किन क्षेत्रों में बोली जाती है?
SOLUTION
अवधी भाषा कानपुर से पूरब चलते ही उन्नाव के कुछ भागों लखनऊ, फैज़ाबाद, बाराबंकी, प्रतापगढ़, सुलतानपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, इलाहाबाद तथा आसपास के क्षेत्रों में बोली जाती है।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
Question 1.
धनुष टूटने से क्रोधित परशुराम ने राम से क्या कहा?
SOLUTION
धनुष टूटने से क्रोधित परशुराम ने राम से कहा कि सेवक वह है जो सेवा का कार्य करे। शत्रुता का कार्य करके वैर ही मोल लिया जाता है। उन्होंने राम से यह भी कहा कि राम! जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है वह सहस्रबाहु के समान मेरा दुश्मन है।
Question 2.
“न त मारे जैहहिं सब राजा’-परशुराम के मुँह से ऐसा सुनकर लक्ष्मण की क्या प्रतिक्रिया रही?
SOLUTION
सारे राजाओं के मारे जाने की बात सुनकर लक्ष्मण मुसकराने लगे। उन्होंने परशुराम से व्यंग्य के स्वर में कहा कि बचपन में मैंने बहुत-सी धनुहियाँ तोड़ी थी, तब तो आपने ऐसा क्रोध कभी नहीं किया। इस धनुष से आपका इतना मोह क्यों है?
Question 3.
परशुराम के अनुसार, लक्ष्मण क्या भूल कर रहे थे? उनकी भूल का परशुराम ने क्या कारण बताया?
SOLUTION
परशुराम के अनुसार लक्ष्मण संसार की सभी धनुषों को एक समान समझने की भूल कर रहे थे जबकि शिवजी का यह धनुष सारे संसार में प्रसिद्ध है। अन्य धनुषों की कोई विशेष महत्ता नहीं है। लक्ष्मण की इस भूल का कारण परशुराम यह मानते हैं कि लक्ष्मण काल के वश में होने से ऐसा कह रहे हैं।
अथवा
धनुष टूटने पर श्रीराम द्वारा परशुराम को जो उत्तर दिया गया उसके आधार पर राम की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
SOLUTION
धनुष टूटने पर श्रीराम ने परशुराम का क्रोध शांत करते हुए जो उत्तर दिया, उससे राम की विनम्रता, शिष्टता और उच्च सहनशीलता का पता चलता है। उनका परशुराम से यह कहना कि धनुष तोड़ने वाला आपका कोई दास ही होगा। इस कथन में उनकी विनम्रता की पराकाष्ठा झलकती है।
Question 4.
धनुष टूटने पर लक्ष्मण किन तर्कों के आधार पर राम को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयास कर रहे थे?
SOLUTION
धनुष टूट जाने पर लक्ष्मण इसका जिम्मेदार राम को नहीं मान रहे थे। उनका मानना था कि धनुष बहुत पुराना और कमज़ोर था जो राम के छूते ही टूट गया था। राम ने तो इसे नया समझकर उठाया था। ऐसा पुराना धनुष टूटने से हमारा क्या लाभ। इन तर्को द्वारा वे परशुराम के समक्ष राम को निर्दोष सिद्ध कर रहे थे।
Question 5.
परशुराम ने अपनी कौन-कौन-सी विशेषताओं द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया?
SOLUTION
परशुराम ने लक्ष्मण के मन में भय उत्पन्न करने के लिए अपनी निम्नलिखित विशेषताएँ बताईं
- लक्ष्मण को सठ कहकर चेताया कि तूने अभी मेरे स्वभाव के बारे में नहीं सुना।
- मैं तुझे बालक समझकर नहीं मार रहा हूँ।
- तू मुझे मूर्ख मुनि समझने की भूल कर रहा है।
- मैं बाल ब्रह्मचारी और क्षत्रियों का नाश करनेवाला हूँ।
- मैंने अनेक बार इस पृथ्वी को जीतकर ब्राह्मणों को दे दिया।
Question 6.
परशुराम को अपने फरसे पर इतना घमंड क्यों था?
अथवा
परशुराम ने अपने फरसे की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं ?
SOLUTION
परशुराम को अपने फरसे पर इतना घमंड इसलिए था क्योंकि
- इसी फरसे के बल पर उन्होंने सहस्रबाहु को हराया था।
- उनका फरसा अत्यंत भयानक और कठोर है।
- यह फरसा गर्भ में पल रहे बच्चों का भी वध कर डालता है।
- यह फरसा परशुराम का प्रिय हथियार था।
Question 7.
लक्ष्मण ने क्या-क्या कहकर परशुराम पर व्यंग्य किया?
SOLUTION
लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि अरे! मुनिश्रेष्ठ आप तो महान योद्धा हैं जो बार-बार अपने कुल्हाड़े को दिखाकर फेंक मारकर पहाड़ उड़ा देना चाहते हो। आपके सामने जो भी हैं उनमें से कोई भी कुम्हड़े की बतिया के जैसे कमज़ोर नहीं हैं। जो आपके इशारे मात्र से भयभीत हो जाएँगे।
Question 8.
लक्ष्मण अपने कुल की किस परंपरा का हवाला देकर युद्ध करने से बच रहे थे?
SOLUTION
लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि मैं आपसे भयभीत नहीं हैं। हमारे कुल की यह परंपरा है कि देवता, ब्राह्मण, ईश्वरभक्त और गाय के साथ वीरता का प्रदर्शन नहीं किया जाता है। इनकी हत्या करने पर पाप का भागीदार बनना पड़ता है और हारने पर अपयश मिलता है। यदि आप मुझे मार भी देते हैं तो भी आपके पैरों में पड़ना होगा।
Question 9.
लक्ष्मण के वाक्चातुर्य पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
SOLUTION
धनुष टूटने से क्रोधित परशुराम जब राम और लक्ष्मण को डराने-धमकाने का प्रयास करते हैं तो लक्ष्मण अपने वाक्चातुर्य का परिचय देते हैं और उनके बड़बोलेपन को हँस-मुसकराकर व्यंग्योक्तियों से हवा में उड़ा देते हैं। वे ऐसे सूक्ति बाण चलाते हैं कि परशुराम का क्रोध भड़क उठता है। वे फिर कोमल शब्दों के सहारे उन्हें गंभीरता से बात करने के लिए विवश हो जाते हैं।
Question 10.
परशुराम विश्वामित्र से लक्ष्मण की शिकायत किस तरह करते हैं?
SOLUTION
परशुराम लक्ष्मण की शिकायत करते हुए विश्वामित्र से कहते हैं कि
- यह बालक बड़ा ही कुबुधि है।
- यह कुटिल एवं काल के वशीभूत होकर अपने ही कुल का नाश करने वाला है।
- यह सूर्यवंश रूपी चंद्रमा पर कलंक है।
- यह पूरी तरह उदंड, निडर और मूर्ख है।
Question 11.
लक्ष्मण ने परशुराम और उनके सुयश पर किस तरह व्यंग्य किया?
SOLUTION
लक्ष्मण ने परशुराम और उनके सुयश पर व्यंग्य करते हुए कहा कि आपके सुयश का वर्णन आपके अलावा दूसरा कोई नहीं कर सकता है। आपने अपने मुँह से अपनी बड़ाई बार-बार कर चुके हैं। इतने पर भी संतोष न हुआ हो तो फिर से कुछ कह डालिए। इसके बाद भी आप वीरव्रती और क्रोध रहित हैं। अतः आप गाली देते हुए अच्छे नहीं लगते हैं।
Question 12.
लक्ष्मण और श्रीराम के वचनों में मुख्य अंतर क्या था?
SOLUTION
लक्ष्मण और श्रीराम के वचनों में मुख्य अंतर यह था कि लक्ष्मण के वचनों में उद्दंडता, व्यंग्यात्मकता तथा उग्रता का मेल था जो परशुराम के क्रोध को यज्ञ की आहुति हवन सामग्री के समान भड़का देते थे। इसके विपरीत श्रीराम के वचनों में विनम्रता और विनयशीलता का भाव था जो शीतल जल के समान प्रभावकारी थे जिससे परशुराम की क्रोधाग्नि शांत हो गई।
Question 13.
‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ पाठ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
SOLUTION
‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ नामक पाठ में निहित संदेश यह है कि हमें क्रोध करने से बचना चाहिए। यह हमारे बुधि विवेक का नाश कर देता है। क्रोधी व्यक्ति ऐसे कार्य करता है जिससे वह उपहास का पात्र बन जाता है। हमें सदैव विनम्र, शांत एवं कोमल व्यवहार करना चाहिए। ऐसे व्यवहार से हमारे बिगड़े काम भी बन जाते हैं तथा हमें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।