बादल को घिरते देखा है कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]

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बादल को घिरते देखा है कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]

अमल धवल गिरि केशिखरों पर,
बादल को घिरतेदेखा है।
छोटे-छोटेमोती जैसे
उसके शीतल तुहिन कणों को,
मानसरोवर केउन स्वर्णिम
कमलों पर गिरतेदेखा है,
बादल को घिरतेदेखा है।

तुंग हिमालय केकंधों पर
छोटी-बड़ी कई झीलेंहैं,
उनके श्यामल-नील सलिल में
समतल देशों सेआ-आकर
पावस की उमस सेआकुल
तिक्‍त-मधुर विष-तंतुखोजते
हंसो को तिरतेदेखा है।
बादल को घिरतेदेखा है।

ॠतुबसंत का सुप्रभात था
मंद-मंद था अनिल बह रहा
बालारुण की मृदु किरणेंथीं
अगल-बगल स्‍वर्णाभ शिखर थे
एक-दूसरेसे विरहित हो
अलग-अलग रहकर ही जिनको
सारी रात बितानी होगी,
बेबस उन चकवा-चकई का
बंद हुआ क्रंदन, फिर उनमें
उस महान सरवर केतीरे
शैवालों की हरी दरी पर
प्रेम-कलह छिड़तेदेखा है,
बादल को घिरतेदेखा है।

शत-सहस्र फुट ऊँचाई पर
दुर्गम बर्फानी घाटी में
अलख नाभि सेउठनेवाले
निज केही उन्मादक परिमल
केपीछेधावित हो-होकर
तरल तरुण कस्‍तूरी मृग को
अपनेपर चिढ़तेदेखा है,
बादल को घिरतेदेखा है।

कहाँगया धनपति कुबेर वह ?
कहॉंगई उसकी वह अलका ?
नहीं ठिकाना कालिदास के
व्योम प्रवाही गंगाजल का,
ढूँढ़ा बहुत परंतुलगा क्‍या
मेघदूत का पता कहीं पर,
कौन बताए वह छायामय
बरस पड़ा होगा न यहीं पर,
जानेदो, वह कवि कल्‍पित था,
मैंनेतो भीषण जाड़ों में
नभचुंबी कैलाश शीर्ष पर,
महामेघ को झंझानिल से
गरज-गरज भिड़तेदेखा है,
बादल को घिरतेदेखा है।

बादल को घिरते देखा है कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]

बादल को घिरते देखा है कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]


परिचय
जन्म ः ३० जून १९११, तैरोनी, दरभंगा (बिहार)
मृत्यु ः 5 नवंबर १९९8

परिचय ः नागार्जुन जी हिंदी और मैथिली केअप्रतिम लेखक और कवि थे। आप भारतीय वर्ग संघर्ष केकवि हैं। बाबा नागार्जुन हिंदी, मैथिली, संस्‍कृत तथा बांग्‍ला मेंकविताएँ लिखतेथे। 

प्रमुख कृतियाँ ः युगधारा, खिचड़ी, विप्लव देखा हमने, भूल जाओ पुराने सपनेआदि (कविता संग्रह) बाबा वटेसर नाथ, नई पौध, आसमान थे चाँद तारे आदि उपन्यास) कथा मंजरी भाग १-२, विद्यापति कीकहानियाँ(बालसाहित्‍य), अन्नहीनम क्रियानाम (निबंध संग्रह)

कविता ः रस की अनुभूति करानेवाली,सुंदर अर्थ प्र कट करनेवाली, हृदय कीकोमल अनुभूतियों का साकार रूपकविता है।प्रस्‍तुत कविता मेंबाबा नागार्जुन जी ने प्रकृति सौंदर्य केवास्‍तविक रूप का बड़ा सुंदर वर्णन किया है।

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