चलो आज हम दीप जलाएँ कविता 10th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]

चलो आज हम दीप जलाएँ कविता 10th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]

भारतभूमि के वंदन हित,
राष्ट्रदेव के अभिनंदन हित,
जन-जन में चेतना जगाएँ ।
 चलो आज हम दीप जलाएँ ।
आजादी के उस प्रताप का रक्‍त गिरा था जहाँ-जहाँ पर,
राणा के चेतक की टापें जहाँ-जहाँ थीं पड़ी, वहाँ पर !
और बिलाव घास की रोटी ले भागा था जिन कुंजों में,
नन्हीं भूखी राजकुमारी, बिलख रही थी खड़ी जहाँ पर ।
हल्दी घाटी की परती पर,
आजादी की उस धरती पर
 चलो आज आरती सजाएँ ।
 चलो आज हम दीप जलाएँ ।
लक्ष्मीबाई का घोड़ा था ठिठका, जहाँ नदी के तट पर,
जहाँशिवाजी कैद हुए थे उस कारागृह की चौखट पर ।
वीर भगत सिंह की समाधि पर, अशफाक-ओ-आजाद के घर-घर
कुँअर सिंह ने गलित बाँह वह, काटी थी जिस गंगा तट पर ।
राजगुरु-सुखदेव मही पर
दुर्गा भाभी की देहरी पर,
 बिस्मिल की उस विस्मृत भू-पर
और सुभाष की वीर प्रसू पर ।
आजादी का प्रण दुहराएँ ।
 चलो आज हम दीप जलाएँ ।
जलियाँवाला की धरती पर, लहूलुहान लाल परती पर
शिशु को गोद लिए ललनाएँ, कट-कटकर गिर गईं मही पर
शीश कटा पर झुका नहीं, उन शीशगंज के गुरुद्‍वारों पर।
नन्हेशिशु चिन गए जहाँ, उन अत्याचारी दीवारों पर ।
कारगिल के उन शिखरों पर, जहाँखून ताजा है अब भी,
वीरगति को प्राप्त हुए जो, हर जवान के दरवाजे पर ।
राष्ट्रदेव की प्राण प्रतिष्ठा में
उनकी अब आरती सजाएँ
 चलो आज हम दीप जलाएँ ।

चलो आज हम दीप जलाएँ कविता 10th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]

चलो आज हम दीप जलाएँ कविता 11th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]


जन्म ः १९5३, चंपारन (बिहार)
परिचय ः सुरेंद्रनाथ तिवारी जी भारतीय सेना के पूर्व कमीशन अधिकारी हैं । पिछले बीस वर्षों से अमेरिका के विश्वविद्‍यालयों में इंजीनियरिंग मैनेजमेंट का अध्यापन कर रहे हैं । आप अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति के अध्यक्ष भी 

प्रमुख कृतियाँ ः ‘वह कविता है’, ‘कुछ तो गाओ’, ‘चलो आज हम दीप जलाएँ’, ‘अमीरों के कपड़े’ (कविता), ‘उपलब्धि’ (कहानी), ‘संउसे सहरिया’ (संस्मरण) आदि 

प्रस्तुत गीत मंे सुरेंद्रनाथ तिवारी जी ने ऐतिहासिक स्थलों, इनसे संबंधित महान विभूतियों, बलिदानियों का उल्लेख किया है । आपका कहना है कि ये सभी हमारे गौरव के प्रतीक हैं । हमें इनका सदैव सम्मान करना चाहिए। आपका मानना है कि हर भारतीय का यह पावन कर्तव्य है किहम उन स्थलों पर दीप जलाएँ और उन बलिदानियों की आरती उतारें ।

चलो आज हम दीप जलाएँ कविता 10th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]


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