गजलें 10th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
दिल के सूरज को, सलीबांे पे चढ़ाने वालो ।
रात ढल जाएगी, इक रोज जमाने वालो ।
मैं तो खुशबू हूँ, किसी फूल में बस जाऊँगा,
तुम कहाँ जाओगे काँटों के बिछाने वालो ।
मैं उसूलों के उजालों में रहा करता हूँ,
सोच लो मेरी तरफ लौट के आने वालो ।
उँगलियाँ तुमपे उठाएगी ये दुनिया इक दिन,
अपने ‘बेदिल’ से नजर फेर के जाने वालो ।
Í Í Í Í Í Í
जहाँ पर भाईयों में प्यार का सागर नहीं होता ,
वो ईंटों का मकाँ होता है, लेकिन घर नहीं हाेता ।
जो अपने देश पर कटने का जज्बा ही न रखता हो,
वो चाहे कुछ भी हो सकता है, लेकिन सर नहीं होता ।
जो समझौते की बातें हैं, खुले दिल से ही होती हैं,
जो हम मिलते हैं उनसे, हाथ में खंजर नहीं होता ।
हकीकत और होती है, नजर कुछ और आता है,
जहाँ पर फूल खिलते हैं, वहाँ पत्थर नहीं होता ।
जो एक सीमा में रहकर रोशनी देता है ‘बेदिल’ को,
वो जुगनू हो तो हो, लेकिन कभी दिनकर नहीं होता ।
Í Í Í Í Í Í
एक कदम चलते हैं, और चल के ठहर जाते हैं,
हम तो अब वक्त की आहट से भी डर जाते हैं ।
जो भी इस आग के दरिया में उतर जाते हैं,
वही तपते हुए सोने-से निखर जाते हैं ।
भीड़ के साथ चले हैं, वो उधर जाते हैं,
हम तो खुद राह बनाते हैं, इधर जाते हैं ।
मेरी कश्ती का खिवैया है, मुहाफिज तू है,
कितने आते हैं यहाँ, कितने भँवर जाते हैं ।
जब भी आते हैं मेरी आँख में आँसू ‘बेदिल’,
गजलें 10th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन
परिचय
जन्म ः १९4६, गोंडा (उ.प्र.)
मृत्यु ः २०११
परिचय ः अदम गोंडवी जी का मूल नाम रामनाथ सिंह है । आप आम आदमी के शायर थे । गाँव-देहात, शोषित आपकी गजलों में दिखाई पड़ते हैं । व्यवस्थापर कटाक्ष आपकी रचनाओं का एक और प्रमुख पक्ष है । आपकी साहित्यिक भाषा सरल और सीधे प्रभावित करने वाली है ।
प्रमुख कृतियाँ ः ‘धरती की सतह पर’ ‘समय से मुठभेड़’ (कविता संग्रह) ।
पद्य संबंधी
यहाँ दी गई दोनों गजलों
में गजलकार अदम गोंडवी जी
ने अलग-अलग भावों को
अभिव्यक्ति दी है । इन गजलों में
गजलकार ने आपसी भाईचारा
बढ़ाने, देश पर निछावर होने,
‘एकला चलो’ की भावना आदि काे
बड़े सुंदर ढग से ं प्रस्तुत किया है ।
गजलें 10th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
Tags:
हिंदी कविता