संध्या सुंदरी कविता 10th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही है
वह संध्या सुंदरी, परी-सी,
धीरे-धीरे-धीरे,
तिमिरांचल में चंचलता का नहीं कहीं आभास,
मधुर-मधुर हैं दोनों उसके अधर,
किंतु जरा गंभीर, नहीं है उनमें हास-विलास ।
हँसता है तो केवल तारा एक
गुंॅथा हुआ उन घुँघराले काले-काले बालों से,
हृदय राज्य की रानी का वह करता है अभिषेक ।
अलसता की-सी लता,
किंतु कोमलता की वह कली,
सखी नीरवता के कंधे पर डाले बाँह,
छाँह-सी अंबर पथ से चली ।
नहीं बजती उसके हाथों में कोई वीणा,
नहीं होता कोई अनुराग-राग-आलाप,
नूपुरों में भी रुन-झुन, रुन-झुन नहीं,
सिर्फ एक अव्यक्त शब्द-सा ‘चुप-चुप-चुप’
है गूँज रहा सब कहीं
और क्या है , कुछ नहीं
अमृत की वह नदी बहाती आती,
थके हुए जीवों को वह सस्नेह,
चषक एक पिलाती ।
सुलाती उन्हें अंक पर अपने,
दिखलाती फिर विस्मृति के वह अगणित मीठे सपने ।
अद्र्धरात्रि की निश्चलता में हो जाती जब लीन,
कवि का बढ़ जाता अनुराग,
विरहाकुल कमनीय कंठ से,
संध्या सुंदरी कविता 10th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
परिचय
जन्म ः १8९६, मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल)
मृत्युः १९६१, इलाहाबाद (उ.प्र.)
परिचय ः सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी एक महान कवि, उपन्यासकार, निबंधकारऔर कहानीकार थे । आपने कविता में कल्पना का सहारा न लेते हुए यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है । आपका व्यक्तित्व अतिशय विद्रोही और क्रांतिकारी तत्त्वों से निर्मित हुआ । यह विद्रोह आपकी रचनाओं में भी मुखर हुआ है । आप हिंदी में ‘मुक्त छंद’ के प्रवर्तक भी माने जाते हैं । आप छायावादी काव्यधारा के प्रमुख चारस्तंभों में से एक हैं ।
प्रमुख कृतियाँ ः ‘जूही की कली’, ‘गीतिका’, ‘अनामिका’, ‘परिमल’, ‘कुकुरमुत्ता’ (काव्य संग्रह), ‘अप्सरा’,
‘प्रभावती’, ‘िनरुपमा’, ‘कुल्ली भाट’ (उपन्यास), ‘लिली’, ‘सखी’ (कहानी संग्रह), ‘चाबुक’, ‘चयन’, ‘रवींद्र कविता कानन’ (निबंध) ‘राम की शक्ति पूजा’, ‘सरोज स्मृति’ (लंबी कविता) आदि
प्रस्तुत नई कविता में ‘निराला’ जी ने सायंकाल का बड़ा ही मनोहारी वर्णन किया है । ‘संध्या सुंदरी’ के वर्णन में यहाँ कविद् वारा प्रयुक्त प्रतीक, बिंब, अलंकारउल्लेखनीय हैं ।
- तिमिरांचल पुं.सं.(सं) = अंधकारभरा क्षेत्र
- अनुराग पुं.सं.(सं.) = प्रीति, प्रेम, अनुरक्ति
- आलाप पुं.सं.(सं.) = गाने की तान
- नूपुर पुं.सं.(सं.) = पायल
- चषक पुं.सं.(सं.) = प्याला, एक पात्र
- विहाग पुं.सं.(सं.) = संगीत का एक राग
संध्या सुंदरी कविता 10th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
Tags:
हिंदी कविता