क्या करेगा तू बता कविता 8th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
क्या करेगा तू बता, सबसे बड़ा धनवान बन,
है अगर बनना तुझे कुछ आदमी, इनसान बन ।
चल कि चलता देखकर तुझको, सहम जाए अचल,
सिर झुकाना ही पड़े, ऐसी न कोई चाल चल ।।
कर्म का अपने, ढिंढोरा पीटना बेकार है
हाथ में लेकर तुला, इतिहास जब तैयार है ।
हैं बुलाते मुक्त मन, संसार के सारे चमन,
शूल बनकर क्या करेगा, तू अमन का फूल बन ।।
सारहीनों को गगन छूना, बहुत अासान है,
सारवानों से धरा की गोद का सम्मान है ।
रत्न का अभिमान, सागर में कभी पलता नहीं,
आँधियांे में जो उड़े, उनका पता चलता नहीं ।।
बन अगर बनना तुझे है, प्यार का हिमगिरि विरल,
या खुशी की गंध बन या बन दया-दरिया तरल ।
हाथ बन वह, गर्व से जिसको निहारें राखियाँ,
या कि बन कमजोर के संघर्ष की बैसाखियाँ ।।
सीख मत, बनना बड़ा तू खोखले आधार से,
भाग्य से उपलब्ध वैभव या किसी अधिकार से ।
प्यार से जो जीत ले, सबका हृदय, विश्वास, मन,
मूर्तिवह सत्कर्म की, सद्धर्म की साकार बन ।।
क्या करेगा तू बता कविता 8th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
जन्म ः १९३९, भदोही (उ.प्र.)
परिचय ः कवित्व का गुण आपको विरासत में प्राप्त हुआ । सुधाकर मिश्र जी का कवि मन गहरे तक पैठ बना चुकी सामाजिक समस्याओं को लेकर सदा आंदोलित होता रहा है । ये समस्याएँ आपकी रचनाओं में
स्थान पाती रहीं हैं ।
प्रमुख कृतियाँ ः ‘शांति का सूरज’, ‘हिमाद्रि गर्जन’, ‘किरणिका’, ‘काव्यत्रयी’ आदि।
पद्य संबंधी - प्रस्तुत कविता में डॉ. सुधाकर मिश्र जी ने खोखले जीवन जीने, भाग्य पर निर्भर रहने, छीनकर सुख प्राप्त करने से हमें सचेत किया है । आपने हमें इनसान बनने, शांति फैलाने, प्यार बाँटने आदि के लिए प्रेरित किया है । आपका मानना है कि कमजोर का सहारा बनने, प्रेम से सबका हृदय जीतने में ही जीवन की सार्थकता है ।
- अचल = स्थिर, अटल
- ढिंढोरा = डुग्गी बजाकर की गई घोषणा,
- सूचना देना
- शूल = काँटा, विकट पीड़ा
- सारवान = अर्थपूर्ण, तात्त्विक
- विरल = जो घना न हो, अल्प
- खोखला = व्यर्थ, थोथा, खाली
- सत्कर्म = अच्छा काम, पुण्य का काम
क्या करेगा तू बता कविता 8th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
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हिंदी कविता