क्या सचमुच आजाद हुए हम कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
जश्न कहीं हो किसी भवन में, डूबी जब बस्ती क्रंदन मंे
तब आंॅधी चलती चिंतन में, और प्रश्न उठता हैमन में
क्या सचमुच आजाद हुए हम ?
पहलेभी दुःख दर्द कई थे, पर सब कुछ व्यापार नहीं था
संबंधों मेंअपनापन था, रिश्तों का बाजार नहीं था
खुशबूबसती थी खेतों में, पड़तेथेसावन मेंझूले
अब कागज केफूल सजा कर, उन मीठेगीतों को भूले
तुलसी की चौपाई जलती, जब उल्टी धुन केईंधन में
तब आंॅधी चलती चिंतन में, और प्रश्न उठता हैमन में
क्या सचमुच आजाद हुए हम ?
माना अनपढ़ थेबाबूजी, माँथी उपवासों की मारी
भाई की अपनी मजबूरी, भाभी की अपनी लाचारी
सज्जा केसामान नहीं थे, होड़ नहीं थी दिखलानेकी
सब कुछ खोनेमेंखुशियाँथीं, चाह नहीं ज्यादा पानेकी
तब टूटा घर लगता था, अब सूनापन हैआंॅगन में
तब आँधी चलती चिंतन में, और प्रश्न उठता हैमन में
क्या सचमुच आजाद हुए हम ?
आजादी का अर्थ नहीं हैकेवल सत्ता का परिवर्तन
आजादी का अर्थ नहीं है चंद चुनेमोरों का नर्तन ।
आजादी का अर्थ नहीं हैसब का उच्छंृखल हो जाना ।
ऊँची कुर्सी केआगे जब न्याय रेंगता अभिनंदन में
तब आँधी चलती चिंतन मेंऔर प्रश्न उठता हैमन में
क्या सचमुच आजाद हुए हम ?
आजादी हैखुली हवा केझोंकों का सबको छू जाना
आजादी हैओस सरीखी नर्म पत्तियों पर चू जाना
आजादी हैइंद्रधनुष केरंगों का मिल जुलकर रहना
आजादी है निर्झनी-सा सबके हित की खातिर बहना ।
आजादी जब परिभाषित हो बंधती सत्ता केबंधन में
तब आँधी चलती चिंतन मेंऔर प्रश्न उठता हैमन में
क्या सचमुच आजाद हुए हम कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
परिचय
जन्म ः २२ सितंबर १९5६ बड़बिल (उड़ीसा)
परिचय ः कर्नल साहब राष्ट्रीय स्तर केख्याति प्राप्त कवि हैं। आपकी रचनाओं मेंराष्ट्रप्रेम के साथ-साथ सभी वर्गांे और संप्रदायों को साथ लेकर चलने और सत्य को ठोंक कर कहनेकी बात विशेष रूपसेमुखर होती है।
प्रमुख कृतियॉं ः रक्तांजलि, बूंॅद-बूंॅद की प्यास (काव्य संग्रह) आदि
पद्य संबंधी
स्वर, पद, ताल सेयुक्त गानही गीत होता है। इसमेंएक मुखड़ा तथा कुछ अंतरे होते हैं । प्रत्येक अंतरे के बाद मुखड़े को दोहराया जाता है। गीत गेय होता है। प्रस्तुत गीत के माध्यम से कर्नल साहब नेसमाज मेंफैली विसंगतियों पर कुठाराघात करते हुए हमंे वास्तविक आजादी का अर्थ समझाया है।
क्या सचमुच आजाद हुए हम कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
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हिंदी कविता