सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
सच है सतत संघर्ष ही ।
संघर्ष से हटकर जीए तो क्या जीए, हम या कि तुम ।
जो नत हुआ, वह मृत हुआ ज्यों वृंत से झरकर कुसुम ।
जो पंथ भूल रुका नहीं,
जो हार देख झुका नहीं,
जिसने मरण को भी लिया हो जीत, है जीवन वही ।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।

ऐसा करो जिससे न प्राणों में कहीं जड़ता रहे ।
जो है जहाँ चुपचाप, अपने-आपसे लड़ता रहे ।
जो भी परिस्थितियाँमिलें,
काँटे चुभें, कलियाँखिलें,
टूटे नहीं इनसान, बस ! संदेश यौवन का यही ।

सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
हमने रचा, आओ ! हमीं अब तोड़ दें इस प्यार को ।
यह क्या मिलन, मिलना वही, जो मोड़ दे मँझधार को ।
जो साथ फूलों के चले,
जो ढाल पाते ही ढले,

यह जिंदगी क्या जिंदगी जो सिर्फ पानी-सी बही ।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
अपने हृदय का सत्य, अपने-आप हमको खोजना ।
अपने नयन का नीर, अपने-आप हमको पोंछना ।
आकाश सुख देगा नहीं

धरती पसीजी है कहीं !
हर एक राही को भटककर ही दिशा मिलती रही ।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
बेकार है मुस्कान से ढकना हृदय की खिन्नता ।
आदर्श हो सकती नहीं, तन और मन की भिन्नता ।

जब तक बँधी है चेतना
जब तक प्रणय दुख से घना
तब तक न मानूँगा कभी, इस राह को ही मैं सही ।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
- (‘नाव के पाँव’ कविता संग्रह से)


सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]



कवि परिचय - सच हम नहीं सच तुम नहीं 

  1.  डॉ. जगदीश गुप्त जी का जन्म १९२4 को उत्तर प्रदेश के शाहाबाद में हुआ । प्रयोगवाद के पश्चात जिस 
  2. ‘नयी कविता’ का प्रारंभ हुआ; उसके प्रवर्तकों में आपका नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है । 
  3. नया कथ्य, नया भाव पक्ष और नये कलेवर की कलात्मक अभिव्यक्ति आपके साहित्य की विशेषताएँ रही हैं । 
  4. अनेक धार्मिक एवं पौराणिक प्रसंगों और चरित्रों को नये संदर्भ देने का महत्त्वपूर्ण साहित्यिक कार्य आपने किया है । 
  5. ‘नयी कविता’ की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए आपने इसी नाम की पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया । आपका निधन २००१ में हुआ ।

प्रमुख कृतियाँ - सच हम नहीं सच तुम नहीं 

  1.  ‘नाव के पाँव’, ‘शब्द दंश’, ‘हिम विद्ध’, ‘गोपा-गौतम’ (काव्य संग्रह), ‘शंबूक’ (खंडकाव्य), ‘भारतीय 
  2. कला के पद चिह्न’, ‘नयी कविता : स्वरूप और समस्याएँ’, ‘केशवदास’ (आलोचना), ‘नयी कविता’ (पत्रिका) आदि ।

विधा परिचय - सच हम नहीं सच तुम नहीं 

  1.  प्रयोगवाद के बाद हिंदी कविता की जो नवीन धारा विकसित हुई वह ‘नयी कविता’ है । नये भावबोधों की 
  2. अभिव्यक्ति के साथ नये मूल्यों और नये शिल्प विधान का अन्वेषण नयी कविता की विशेषताएँ हैं । नयी कविता का प्रारंभ 
  3. डॉ. जगदीश गुप्त, रामस्वरूप चतुर्वेदी और विजयदेव साही के संपादन में प्रकाशित ‘नयी कविता’ पत्रिका से माना जाता है ।

पाठ परिचय - सच हम नहीं सच तुम नहीं 

  1.  प्रस्तुत नयी कविता में कवि संघर्ष को ही जीवन की सच्चाई मानते हैं । सच्चा मनुष्य वही है जो कठिनाइयों से घबराकर, मुसीबतों से डरकर न कभी झुके, न रुके, परिस्थितियों से हार न माने ।
  2. राह में चाहे फूल मिलें या शूल, वह चलता रहे क्योंकि जिंदगी सहज चलने का नाम नहीं बल्कि लीक से हटकर चलने का नाम है । हमें अपनी क्षमताएँ स्वयं ही पहचाननी                                 
  3. होंगी । 
  4. राह से भटककर भी मंजिल अवश्य मिलेगी। भीतर-बाहर से एक-सा रहना ही आदर्श है । हमें अपने दुखों को 
  5. पहचानना होगा, अपने आँसू स्वयं पोंछने होंगे तथा स्वयं योद्धा बनना होगा । जीवन संघर्ष की यही कहानी है ।

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