स्वागत है कविता 11वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

स्वागत है कविता 11वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

स्वागत है !
स्वागत-स्वागत-स्वागत है ।
आओ, आओ, आओ!
ओ मेरे भाइयो!
बिखरे हुए मेरे परम दोस्तो!
आप सबों का सप्रेम स्वागत है 
एक ही माँ के बालक हैं हम
और अनेक देशों में बिखरे हैं
आज मिलन हमारा हो रहा
कई युगों के बाद
तुम सब मॉरिशस की भूमि पर
पधार रहे हो आज
स्वागत है!

हम सब जहाजिया भाई ठहरे
कोई इस जहाज पर चढ़ा था,
तो कोई उस जहाज पर
और जब जहाज पानी में बहने लगे,
तो एक ही देश में नहीं पाए गए
लंगर पड़ा जब समुद्र तट पर,
हक्का-बक्का ताकने लगे,
अरे! कहाँ आ गए हम इतनी दूर!
अरे! मेरे भाई-भतीजे कहाँ हैं?
इस जहाज में जगह नहीं थी
फिर उस जहाज पर तो चढ़े थे
स्वागत है!


भल जाओ वह पुरानी कथा
मेरे हृदय के टुकड़ो!
भूल जाओ वह जहाजी कारनामे
जो होना था प्रारब्ध में,
वही तो हुआ हम सबके साथ
अब रोना, रोने से क्या होगा?
जहाजी प्रणयन को सोचना क्या,
आज तो हम मिल ही रहे हैं,
युग-युगांतरों बाद
देखो, हम सब कैसे साथ हैं आज,
लघु भारत के प्रांगण में!
स्वागत है! 

पनिया-जहाज पर कौन चढ़ेगा अब भैया,
बड़ा डर लग रहा है उससे तो
कहीं पुनः दोहरा न दे इतिहास हमारा
इस-उस धरती पर बिखर न जाएँ,
खोजते हुए निज बंधुओं को
आसमान की राह पकड़ आगे चल,
मॉरिशस की भूमि पर उतरेंगे सब
नैहर हो जैसे वही हमारा
बाबुल के लोग वहीं मिलेंगे
देश परदेश के नाम मिटेंगे,
आँसू थामे वहीं मिलेंगे
स्वागत है!

हे मेरे गिरमिटिया भाई!
‘परमीट’ अपनी जिगरछाप थी,
पर दासता पंक में जा गिरे थे
कितने युग लगे पंकज बनने में,
‘मारीच’ से मॉरिशस बनने में,
देखो इस पावन भूमि पर
बन बांधवों का सफल प्रणयन 
यह तो तब था, घास ही पत्थर
पत्थर में प्राण हमने डाले
देखो इस देश को घूम-घूमकर
बिछड़े बंधुओं के लहू कणों का
स्वागत है!

हे मेरे भारत-नेपाल-श्रीलंका!
फीजी-सूरीनाम-पाक-गयाना !
साऊथ अफ्रीका, यूके-यूएसए-कनाडा!
फ्रांस रेनियन आदि के सहोदर बंधुओ!
इस भूमि में तुम सभी की
स्मृति अंकित है तल तक,
कहते हैं ‘स्वर्ग’ इसे हिंद महासागर का
कल्पना है या सत्य है?
प्रिय भाइयो, कल्पना भी हो
तो स्वर्ग इसे तुम बना जाओ
स्वागत-स्वागत-स्वागत है ! 

स्वागत है कविता 11वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

स्वागत है कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

कवि परिचय -

  1.  शाम दानीश्वर जी का जन्म फरवरी १९4३ में हुआ। शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात आप हिंदी अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे। हिंदी के प्रति लगाव होने के कारण साहित्य रचना में रुचि जाग्रत हुई। 
  2. प्रवासी साहित्य में माॅरिशस के कवि के रूप में आपकी पहचान बनी। अपने परिजनों से विछोह का दुख, गुलामी का दंश और पीड़ा आपके काव्य में पूरी संवेदना के साथ उभरी है। 
  3. यथार्थ अंकन के साथ भविष्य के प्रति आशावादिता आपके काव्य की विशेषता है। प्रवासी भारतीय साहित्य में आपका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । 
  4. शाम दानीश्वर जी की मृत्यु २००६ में हुई ।प्रमुख कृतियाँ ः ‘पागल’, ‘कमल कांड’ (उपन्यास), काव्य संग्रह आदि। 

काव्य प्रकार -

  1.  विदेशों में बसे भारतीयों द्‌वारा हिंदी में रचा गया साहित्य ‘प्रवासी भारतीय हिंदी साहित्य’ कहलाता है। 
  2. इन रचनाओं ने नीति-मूल्य, मिथक, इतिहास, सभ्यता के माध्यम से भारतीयता को सुरक्षित रखा है । 
  3. प्रवासी साहित्य ने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने के साथ-साथ पाठकों को प्रवास की संस्कृति, संस्कार एवं उस भूभाग के लोगों की स्थिति से भी अवगत कराया है । 
  4. अभिमन्यु अनत, जोगिंदर सिंह कंवल, स्नेहा ठाकुर आदि अन्य प्रवासी साहित्यकार हैं ।

काव्य परिचय -

  1. प्रस्तुत कविता में कवि प्रवासी भारतीयों को अपनी विगत दुखद स्मृतियाँ भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहा है। 
  2. अब माॅरिशस की भूमि नैहर के समान है, जहाँ परिजनों से मिलाप होगा। लघु भारत के आँगन में कवि सभी का स्वागत कर रहा है। कवि ने गिरमिटियों के जीवन में आए सकारात्मक पहलुओं को उजागर किया है । 
  3. गिरमिटियों की पीढ़ियों के मन में स्थित भारतीयों की संवेदनाओं और उनकी सृजनात्मक प्रतिभाओं के दर्शन भी कराए हैं ।

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