विप्लव गान कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
कवि, कुछ एेसी तान सुनाओ, जिससेउथल-पुथल मच जाए,
एक हिलोर इधर सेआए, एक हिलोर उधर सेआए,
प्राणों केलालेपड़ जाएँ, त्राहि-त्राहि रव नभ मेंछाए,
नाश और सत्यानाशों का... धुआँधार जग मेंछा जाए,
बरसेआग, जलद जल जाएँ, भस्मसात भूधर हो जाएँ,
पाप-पुण्य सदसद भावों की, धूल उड़ उठेदायें-बायें,
नभ का वक्षस्थल फट जाए, तारेटूक-टूक हो जाएँ
कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससेउथल-पुथल मच जाए ।
माता की छाती का अमृतमय पय कालकूट हो जाए,
आँखों का पानी सूखें, वह शोणित की घूँटेंहो जाएँ,
एक आेर कायरता काँपे, गतानुगति विगलित हो जाए,
अंधेमूढ़ विचारों की वह अचल शिला विचलित हो जाए,
और दूसरी ओर कँपा देनेवाला गर्जन उठ धाए,
अंतरिक्ष मेंएक उसी नाशक तर्जन की ध्वनि मँड़राएँ,
कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससेउथल-पुथल मच जाए ।
नियम और उपनियमांेकेयेबंधन टूक-टूक हो जाएँ,
विश्वंभर की पोषण वीणा केसब तार मूक हो जाएँ
शांति दंड टूटेउस महारुद्र का सिंहासन थर्राए
उसकी श्वासोच्छ्वास दायिका, विश्व के प्रांगण मेंघहराए,
नाश ! नाश हा महानाश !!! कीे प्रलयंकारी ऑंख खुल जाए,
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ जिससेउथल-पुथल मच जाए ।
सावधान ! मेरी वीणा में, चिनगारियाँआन बैठी हैं,
टूटी हैं मिजराबें, अँगुलियाँदाेनों मेरी ऐंठी हैं।
कंठ रुका हैमहानाश का मारक गीत रुद्ध होता है,
आग लगेगी कण में, हृत्तल मेंअब क्षुब्ध युद्ध होता है।
झाड़ और झंखाड़ दग्ध हैं- इस ज्वलंत गायन के स्वर से
विप्लव गान कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
जन्म ः १8९७ भयाना, ग्वालियर (म.प्र.)
मृत्यु ः २९ अप्रैल १९६०
परिचय ः ‘नवीन’ जी को अपनेदेश की संस्कृति और सभ्यता पर बड़ा गर्व था । राष्ट्रप्रेम उसकी कविताओं का मुख्य स्व र है। आप कवि, गद्यकार, अद्वितीय वक्ता, राजनीतिज्ञ और पत्रकार थे । आपकी लेखनशैली पर आपकी अपनी भाषण कला का स्पष्ट प्रभाव है।
प्रमुख कृतियाँ ः प्राणार्पण, उर्मिला, अपलक, रश्मिरेखा, कुंकुंम,हम विषपायी जनम केआदि (काव्यसंग्रह) ।
पद्य संबंधी
‘नवीन’ जी नेइस कविता केमाध्यम सेकवियों को समाज मेंनव जागरण करने वाली क्रांतिकारी रचनाएँकरनेके लिए प्रेरित किया है।
- भस्मसात (वि.) = जलकर राख हो जाना ।
- भूधर (पुं. सं.) = पहाड़, पर्वत
- शोषित (वि.) =लाल, लहू
- गतानुगति (वि.) =अनुसार
- विगलित (वि.) =ढीला पड़ना, बिगड़ना
- दायिका (वि.) =दायक देनेवाला
- मिजराबें(स्त्री.अ.) =तार का नुकीला छल्ला
- झाड़-झंखड़ (पु.सं.) =काँटेदार पेड़ों का समूह
विप्लव गान कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
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हिंदी कविता