बिशन की दिलेरी के प्रश्न उत्तर | Class 5 Hindi Chapter 15 | Bishan Ki Dileri Question Answer

 विशन की दिलेरी के प्रश्न उत्तर | Class 5 Hindi Chapter 15 | Bishan Ki Dileri Question Answer

विशन की दिलेरी के प्रश्न उत्तर | Class 5 Hindi Chapter 15 | Bishan Ki Dileri Question Answer

कहानी से

Question: 1. जी हाँ, हमारे पास लाइसेंस वाली बंदूकें हैं। सरपंच माधोसिंह भी हमें जानता है।” शिकारियों ने कर्नल साहब से क्या सोचकर ऐसा कहा होगा?

Answer:
शिकारियों ने कर्नल साहब से ऐसा इसलिए कहा होगा ताकि कर्नल साहब यह समझ जाएं कि वे (शिकारी) अवैध -रूप से तीतर का शिकार नहीं कर रहे हैं। बल्कि उन्हें सरकार से लाइसेंस वाली बंदूकें मिली हैं। इतना ही नहीं, वे यह भी साबित करना चाहते थे कि वे उस इलाके में अजनबी नहीं है। उन्हें वहाँ का सरपंच माधोसिंह अच्छी तरह जानता है।

Question: 2. बिशन घायल तीतर को क्यों बचाना चाहता था?

Answer:
घायल तीतर को देखकर बिशन का दिल पिघल गया। वह उसको घायल अवस्था में असहाय नहीं छोड़ सकता था। अतः उसने उसे उठा लिया और उचित इलाज करके तीतर को बचा लिया।

Question: 3. घायल तीतर को बचाने के लिए उसे किस तरह की परेशानियाँ हुईं?

Answer:
उसने झाड़ियों से गुजरकर बड़ी मुश्किल से घायल तीतर को पकड़ा। शिकारियों से बचने के लिए उसे कैंटीले तारों की बाड़ में से होकर गुजरना पड़ा। उसे घुटने के बल भी चलना पड़ा। बहुत सँभलकर चलने पर भी उसके हाथ-पाँव पर काँटों की बहुत-सी खरोंचें उभर आईं। खरोंचों से खून भी निकलने लगा। कमीज की एक आस्तीन भी फट गई जिसके कारण माँ से डाँट खानी पड़ सकती थी। उसे चिमनी के पीछे छिपना पड़ा। तीतर को बड़ी मुश्किल से एक टोकरी में छिपा सका।

Question: 4. घायल तीतर अगर तुम्हें मिला होता, तो क्या तुम उसे पालते या अच्छा होने पर छोड़ देते? क्यों?

Answer:
घायल तीतर को बिल्कुल स्वस्थ होने तक मैं उसे अपने पास रखता। फिर उसे छोड़ देता ताकि वह स्वच्छंद जीवन जी सके।

भाषा की बात

Question: 1 .इन वाक्यों को अपने शब्दों में लिखो।

(i) सुबह की हल्की धूप में खेत सुनहरे दिखाई दे रहे थे।
(ii) वह इतना तेज़ चल रहा था मानो उसके पंख लग गए हों।
Answer:
(i) सुबह की हल्की धूप खेतों में खिल रही थी।
(ii) वह इतना तेज चल रहा था जैसे उसके पैरों में पंख लगे हों।

Question: 2. “तीतर स्वेटर में फंस गया तो बिशन ने उसे पकड़ लिया और अपने सीने से चिपका लिया”। ऊ लिखे वाक्य में ‘उसे’ शब्द का इस्तेमाल ‘तीतर’ के लिए किया गया है। एक ही संज्ञा का बार-बार इस्तेमाल .’ करने की बजाय उसकी जगह पर कुछ खास शब्दों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। नीचे लिखे वाक्यों में सर्वनाम का ठीक रूप छाँटकर लिखो।

(क) मास्टर साहब ने अप्पाराव को ………………… पास बुलाकर कहा, ………………… कल ………………… घर आना। (मैं, अपना, तुम)
(ख) सेंटीला ………………… घर नागालैंड के किस शहर में है? (तुम)
(ग) सुधा ने ………………… बुआ से पूछा, पापा ………………… कितने बड़े हैं? (आप)
(घ) मोहन को समझ में नहीं आ रहा कि ………………… क्या करना चाहिए? (वह)
(ङ) विमल ने ………………… अफ़सर को याद दिलाया कि ………………… चार बजे बैठक में जाना है। (आप, वह)
Answer:
(क) अपने, तुम
(ख) तुम्हारा
(ग) अपनी, आपसे
(घ) उसे
(ङ) अपने, उन्हें।

Question: 3. इन वाक्यों को पूरा करो

(क) वह इतना धीरे चल रहा था, मानो ……………………….
…………………………………………………….
(ख) रात में चमकते तारे ऐसे दिख रहे थे, मानो ………………………
……………………………………………………………..
(ग) तुम तो मंगल ग्रह के बारे में ऐसे बता रहे हो, मानो ………………….
………………………………………………………………….
(घ) बिल्ली चूहे को ऐसी ललचाई नज़रों से देख रही थी, मानो ……………….
……………………………………………………………………
Answer:
(क) चीटी चल रही हो।
(ख) आकाश में दूधिया चादर बिछा हो।
(ग) तुम वहाँ के बाशिंदे हो।
(घ) अभी खा जाएगी उसे।।

फसलों के इर्द-गिर्द

Question: 1. इस कहानी में सेबों के खेत और सीढ़ीनुमा खेत का ज़िक्र आया है। अनुमान लगाकर बताओ कि यह कहानी भारत के किस भौगोलिक क्षेत्र की होगी और वहाँ सीढ़ीनुमा खेती क्यों की जाती होगी?

Answer:
यह कहानी भारत के पहाड़ी इलाके की होगी। पहाड़ी इलाकों में समतल भूमि नहीं होती। वहाँ पहाड़ों को यथासंभव काट-काटकर सीढ़ीनुमा बनाया जाता है और उसी पर खेती की जाती है। ऐसे में भारी बारिश का पानी फसलों के बीच टिक नहीं पाता हैं जो कि अच्छी फसल के लिए आवश्यक है। बर्फ भी पिघलकर फिसल जाता है और खेती बर्बाद नहीं होती है।

Question: 2. “सेबों के बाग में कीटनाशक दवा का छिड़काव हो रहा था ।” यों तो कीटनाशक दवाएँ फलों, सब्जियों और अनाज की फसलों को कीड़ा लगने से बचाती हैं, पर

(क) ये कीटनाशक दवाएँ कीड़ों को नष्ट करती हैं। इनसे इनका सेवन करने से क्या हमें भी नुकसान होता होगा? पता करो और कक्षा में बातचीत करो।
(ख) ऐसे में फलों और सब्जियों का इस्तेमाल करने से पहले किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी होगा?
Answer:
(क) कीटनाशक दवाएँ फलों, सब्जियों और अनाज की फसलों को कीड़ों से बचाती हैं। लेकिन जब हम इन्हें खाते हैं तो ये हमें भी नुकसान पहुँचाती हैं। हमारा पाचन तंत्र गड़बड़ हो जाता है।
(ख) फलों और सब्जियों को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह धोकर उन्हें पोंछ लेना चाहिए। जहाँ तक संभव हो उनके छिलके को उतार लेना चाहिए।

तुम्हारे आस-पास

Question: 1. कर्नल दत्ता ने घायल तीतर को गेंदे की पत्तियों का रस पिलाने के लिए कहा। पत्तों का इस्तेमाल कई कामों के लिए होता है। नीचे लिखी पत्तियों का इस्तेमाल किसलिए होता है?

NCERT Solutions for Class 5 Hindi Chapter 15 बिशन की दिलेरी 1
Answer:

  1. तुलसी-तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल पूजा-पाठ तथा चाय बनाने में होता है।
  2. नीम-फोड़े-फुसी निकलने पर नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से नहाया जाता है, पत्तियों को पीसकर घाव पर उसका लेप भी चढ़ाया जाता है।
  3. मीठा नीम-सब्जियों तथा दाल को अधिक जायकेदार बनाने में मीठे नीम की पत्तियों को इस्तेमाल होता है।
  4. आम-पूजा-पाठ में आम की पत्तियों का उपयोग होता है।
  5. अमरूद-दवा बनाने में अमरूद के पत्तों का इस्तेमाल होता है।
  6. तेजपत्ता-सब्जियों को जायकेदार बनाने में तेजपत्ता का प्रयोग होता है।
  7. केला-पूजा-पाठ में केले के पत्ते का प्रयोग होता है।
  8. सागवान-इनके पत्तों से दोने तथा पत्तल बनाए जाते हैं।

Question: 2. कर्नल साहब के कहने पर बिशन दौड़कर ‘दवाइयों का बक्सा’ ले आया। इसे तुम प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स/फर्स्ट एड बॉक्स के नाम से जानते होंगे।

(क) इस बॉक्स में क्या-क्या चीजें होती हैं?
(ख) इसका इस्तेमाल कब-कब किया जाता है?
Answer:
(क) प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स में रूई, डिटॉल, क्रेप बैन्डेड, छोटी कैंची, घाव पर लगाने के लिए मलहम, पट्टी, पुदीन हरा आदि चीजें होती हैं।
(ख) इसका इस्तेमाल तब होता है जब किसी को मामूली चोट लग जाती है, या शरीर के किसी अंग से खून निकलने लगती है।

Question: 3.तुमने पर्यावरण अध्ययन में पढ़ा होगा कि पहाड़ी क्षेत्रों में आमतौर पर छतें ढलावदार बनाई जाती हैं। सोचकर बताओ ऐसा क्यों किया जाता है?

Answer:
पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी खूब होती है। वर्षा भी उतनी ही अधिक होती है। इसीलिए उन क्षेत्रों में छतें ढलावदार बनाई जाती हैं ताकि पानी बिना रुकावट बह जाए और बर्फ भी पिघलकर नीचे गिर जाए।

पहाड़ी इलाका

इस कहानी में पहाड़ी, घाटी, शब्दों का इस्तेमाल हुआ है। पहाड़ी इलाके से जुड़े हुए और शब्द सोचकर लिखो।
जैसे-ढलान, चट्टान आदि।
Answer:
पथरीला, चोटी, सीढ़ीनुमा, झाड़ी, टेढ़ा-मेढ़ा, पहाड़ी नदी, बर्फीला, पहाड़, संकरा आदि।

तीतर

Question: 1. पहेली-तीतर के दो आगे तीतर

तीतर के दो पीछे तीतर
बोलो कितने तीतर
Answer:
तीन तीतर।

Question: 2. यहाँ तीतर का फोटो दिया गया है। गौर से देखो और उसका वर्णन करो। चौथी कक्षा में तुम यह कर चुके हो।

Answer:
तीतर कम ऊँचाई तक उड़ान भरने वाला एक छोटा पक्षी है। इसके पंख छोटे-छोटे होते हैं तथा यह देखने में सुंदर प्रतीत होता है। यह ज्यादातर झुंड में रहना पसंद करता है।

Question: 3. तीतर के बारे में और जानकारी इकट्ठा करो। जैसे-तीतर का घोंसला। वह क्या खाता है आदि।

Answer:
स्वयं करो।

NCERT Solutions: Bishan Ki Dileri Notes | Study Hindi Class 5

सुबह का समय था पहाड़ों के पीछे से सूरज झाँक रहा था। दस वर्ष का बिशन घर से बाहर निकल आया। वह रोज इसी समय इसी रास्ते से कर्नल दत्ता के फ़ार्म हाउस पर जाता है। कर्नल दत्ता की पत्नी पढ़ाई में उसकी मदद करती हैं। फ़ार्म से लगे सेबों के बाग में कीटनाशक दवा का छिड़काव हो रहा था और बहुत तड़के काम शुरू हो जाता था ।

बिशन पगडंडी से अभी सड़क तक आ ही रहा था कि उसे गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी। उसने इधर-उधर देखा, कोई भी दिखाई नहीं दिया। वह कुछ ही दूर चला था कि उसे फिर गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी। इस बार एक नहीं दो-तीन गोलियाँ एक साथ ही चली थीं। गोलियों की आवाज़ से पूरी घाटी गूँज गई। पंछी घबरा गए। आसमान में गोल-गोल चक्कर काटने लगे। बिशन सहमकर पेड़ों की आड़ में छिपकर खड़ा हो गया।

बिशन जहाँ खड़ा था, वहीं चुपचाप खड़ा रहा। उसे वहाँ से सीढ़ीनुमा खेत और फलों के बाग साफ़ दिखाई दे रहे थे। खेतों में काम करते हुए किसान भी दिखाई दे रहे थे। फसल तैयार खड़ी थी। सुबह की हल्की धूप में खेत | सुनहरे दिखाई दे रहे थे। बिशन अभी सोच ही रहा था कि गोली किसने और क्यों चलाई होगी कि तभी एक और गोली की आवाज़ आई । एकाएक बिशन को गोली चलने का कारण समझ में आ गया। जब फसल पक जाती है।
तब गेहूं के खेतों में दाना चुगने ढेरों तीतर आ जाते हैं। शिकारी इस बात को जानते हैं। इसलिए वे सुबह-सुबह ही तीतर मारने चले आते हैं। पिछले साल भी शिकारियों ने इसी तरह बहुत से तीतर मारे थे कुछ तीतर तो वे उठा ले गए, बाकी को वहीं छोड़ गए। खेतों को काटते समय किसानों को बहुत से मरे और जख्मी तीतर मिले।

बिशन ने सोचा, “कितना दुख पहुँचाने वाला काम करते हैं ये शिकारी" वह समझ गया कि शिकारी ही तीतरों पर गोलियाँ चला रहे हैं। इसलिए वह पेड़ों के बीच से निकलकर खेतों के किनारे-किनारे चलने लगा। वह चलते-चलते सोच रहा था कि इन शिकारियों को सबक सिखाया जाना चाहिए। लेकिन उन्हें कैसे सबक सिखाया जाए, यह उसकी समझ में नहीं आ रहा था। तभी उसके पाँव के पास सरसराहट सी हुई । उसने देखा एक घायल तीतर गेहूँ की बालियों के बीच फँसा छटपटा रहा है। 

बिशन वहीं घुटनों के बल बैठ गया उसने घायल तीतर को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन घबराया हुआ तीतर छिटककर खेत के और अंदर चला गया। बिशन जानता था कि शिकारी इस तीतर को ढूंढ नहीं पाएँगे और घायल तीतर यहीं तड़प-तड़पकर मर जाएगा। उसने स्वेटर उतारा और मौका देखकर तीतर पर डाल दिया। तीतर स्वेटर में फँस गया तो बिशन ने उसे पकड़ लिया। विशन ने उसे अपने सीने से चिपका लिया और खेत में से निकलकर पहाड़ी की ओर भागने लगा। वह इतना तेज़ चल रहा था मानो उसके पंख लग गए हों।

कर्नल दत्ता के घर के रास्ते में एक तरफ गेहूँ के खेत थे और दूसरी तरफ़ कैंटीले तारों की बाड़। बिशन वैसे तो कँटीले तारों की बाड़ में से होकर निकल सकता था, परंतु इस समय वह दोनों हाथों से तीतर को पकड़े हुए था। तीतर को सँभालना बहुत ज़रूरी था। इसलिए वह खेतों के साथ-साथ छिप-छिपकर चलने लगा ताकि शिकारी उसे देख न लें। वह कुछ ही दूर गया कि पीछे से भारी सी आवाज़ आई, "लड़के, रुक जा नहीं तो मैं गोली मार दूंगा। "

लेकिन विशन नहीं रुका। वह चुपचाप चलता रहा। " रुकता है या नहीं?" उस आदमी ने दुबारा चिल्लाकर कहा । तब तक बिशन कैंटीले तारों के पास आ गया था। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। आगे बढ़ना मुश्किल लग रहा था। लेकिन फिर भी वह रुका नहीं और न ही उसने कोई जवाब दिया। तभी बिशन को भारी-भरकम जूतों की आवाज़ सुनाई दी, जो तेज़ी से उसके पास आती जा रही थी पीछे से आ रहा शिकारी गुस्से में जोर-जोर से चिल्ला रहा था, "मैं तुझे देख लूंगा तू मेरा शिकार चुराकर नहीं ले जा सकता! "

बिशन के लिए आगे निकल भागने का रास्ता नहीं था। अगर वह सड़क से जाता तो शिकारी को साफ़ दिखाई दे जाता। इसलिए उसने खेतों के छोटे रास्ते से जाना तय किया। खेतों से आगे के रास्ते में काँटेदार झाड़ियाँ थीं। बिशन उसी रास्ते पर घुटनों के बल चलने लगा। बहुत सँभलकर चलने पर भी उसके हाथ-पाँव पर काँटों की बहुत-सी खरोंचें उभर आईं। खरोंचों से खून भी निकलने लगा।

 उसकी कमीज़ की एक आस्तीन भी फट गई। वह जानता था कि कमीज़ फटने पर उसे माँ से डाँट खानी पड़ेगी। पर बिशन को इस बात का संतोष था कि वह अब तक तीतर की जान बचाने में कामयाब रहा। झाड़ी से बाहर आकर वह सोचने लगा कि कैसे पहाड़ी के कोने से फिसलकर नीचे पहुँचा जाए, लेकिन उस कोने में घास बहुत ज़्यादा थी और ओस के कारण फिसलन भी। बिशन थककर वहीं एक किनारे बैठ गया। अभी वह बैठा ही था कि उसे पाँवों की आहट

सुनाई दी। आहट सुनते ही वह उठकर दौड़ पड़ा। दौड़ते-दौड़ते वह आधी पहाड़ी पार कर चुका था। उसके कपड़े पसीने से तर-बतर हो गए, फिर भी वह रुका नहीं और किसी तरह कर्नल दत्ता के फ़ार्म हाउस के पिछवाड़े पहुँच ही गया। पिछवाड़े दरवाज़ा खुला था। उसने ताड़ के पेड़ का सहारा लिया और फ़ार्म हाउस के अंदर पहुँच गया। तीतर को वह बड़ी सावधानी के साथ अपने सीने से लगाए

हुए था। फ़ार्म हाउस में खामोशी थी। बस, रसोई घर से प्रेशर कुकर की सीटी की आवाज़ आ रही थी। मुर्गियाँ अभी अपने दड़बे में थीं और गुलाब चंद सामने का बरामदा साफ़ कर रहा था। अचानक कर्नल साहब का अल्सेशियन कुत्ता जोर-जोर से भौंकने लगा। वह किसी अजनबी को देखकर ही इस तरह भौंकता है। विशन समझ गया कि शिकारी इधर ही आ रहे हैं।

उसने इधर-उधर देखा ताकि वह तीतर को कहीं अच्छी तरह से छिपा सके । एक ओर शेड के नीचे बहुत सारा कबाड़ पड़ा था। उसी में एक टूटी टोकरी बिशन को दिखाई दे गई। "ये ठीक है" सोचते हुए उसने तीतर को टोकरी में रखकर स्वेटर से ढक दिया। घायल तीतर घबराया हुआ था इसलिए वह चुपचाप पड़ा रहा। तीतर को छुपाने के बाद बिशन ने सोचा कि अब बाहर चलकर देखना चाहिए। 

पर वह शिकारियों के सामने भी नहीं पड़ना चाहता था, इसलिए उसने छत पर चढ़कर बैठना ठीक समझा। बिना सीढ़ी के छत पर चढ़ना उसके लिए बहुत आसान काम था। वह अकसर इस शेड की ढलवाँ छत के सहारे ऊपर चढ़ जाता था। बिशन लकड़ी के खंभे पर बंदर की तरह छलाँग लगाकर लटक गया और ऊपर की ओर खिसकते - खिसकते छत पर जा पहुँचा । 

खपरैल की ढलावदार छत थी, इसलिए वह चिमनी के पीछे छिपकर बैठ गया ताकि वह किसी और को दिखाई न दे, लेकिन वह स्वयं सब कुछ देख सके। उसने देखा कि दो शिकारी इधर ही चले आ रहे हैं और उनको देखकर कर्नल साहब का अल्सेशियन कुत्ता जोर-जोर से भौंक रहा है। कर्नल ने कुत्ते को डाँटा, “चुप रहो। " पर वह न माना। पिछले दोनों पाँवों पर खड़े हो वह उछल उछलकर भौंकने लगा। वे दोनों शिकारी करीब आ गए तो कर्नल ने रौबदार आवाज में पूछा, "कौन हो तुम? यहाँ किसलिए आए हो?"

"साहब, हम शिकारी हैं! हर साल यहाँ शिकार के लिए आते हैं। " " अच्छा... तो तुम्हीं लोगों की गोलियों की आवाजें गूँज रही थीं सुबह से।" "जी हाँ, हमारे पास लाइसेंस वाली बंदूकें हैं। सरपंच माधो सिंह भी हमें जानता है। " " तो तुम हर साल तीतरों का शिकार करते हो," कर्नल ने मज़ाक -सा उड़ाते हुए कहा। " जी हाँ, तीतर भी मार लेते हैं कभी-कभी । अभी-अभी एक लड़का हमारे शिकार तीतर को लेकर आपके यहाँ आ छिपा है, हम उसे ही ढूँढ़ रहे हैं। " " अच्छा, तुम जो इतने सारे तीतर मारते हो उनका क्या करते हो?" कर्नल साहब 44 ने पूछा। "सीधी सी बात है साहब खाते हैं।" दूसरे शिकारी ने जवाब दिया। फिर कुछ " रुककर बोला, “अब तो उस लड़के को ढुढ़वा दीजिए साहब! वह इधर ही कहीं

छुप गया है। " कर्नल दत्ता ने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और गुस्से से कहा, "कैसे तुम लोग, हर साल आकर इतने तीतर मार डालते हो ! कुछ को खा लेते हो, हो और बाकी को घायल करके यहाँ तड़प-तड़पकर मरने के लिए छोड़ जाते हो । जब फ़सल कटती है तब ढेरों मरे हुए तीतर मिलते हैं।"

कर्नल दत्ता की बात सुनकर वे दोनों कुछ घबरा गए। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कर्नल इस तरह उन्हें डाँट देंगे कर्नल दत्ता ने उन्हें इतना ही कहकर नहीं छोड़ा आगे बोले पक्षियों को मारने और उससे ज्यादा उन्हें घायल करके छोड़ 9 जाने में तो कोई बहादुरी नहीं है अब तुम दोनों यहाँ से जा सकते हो। यहाँ तुम्हारा कोई तीतर - वीतर नहीं है। अब जाते क्यों नहीं, खड़े क्यों हो?

विशन चिमनी के पीछे से सब देख और सुन रहा था। वे दोनों शिकारी बिना कुछ बोले मुड़े और वापस चल दिए। कर्नल दत्ता ने गुलाब चंद से दवाई छिड़कने वाली मशीन लाने को कहा । तभी बिशन छप्पर से शेड पर होता हुआ नीचे कूद पड़ा। उसने तीतर को उठा लिया और घर में घुसते ही मालकिन को पुकारने लगा. "बहूजी! बहूजी! जल्दी आइए, यह बहुत जख्मी है, आकर इसे देखिए। "

बिशन की आवाज़ सुनकर कर्नल दत्ता भी अंदर जा पहुँचे और बोले, "अच्छा! तो तीतर चुराने वाला लड़का तू ही था! " " क्या करता बाबूजी, इसे बहुत चोट लगी है ! अगर मैं न लाता तो यह मर जाता! " 44 'अब तू इसका क्या करेगा?" “ इसे पालूँगा बाबूजी, " बिशन ने कहा । कर्नल साहब मुस्करा दिए। उन्होंने घायल तीतर को देखा। उसका एक पंख टूट गया था। अब शायद ही वह उड़ सके। 'जाओ, दवाइयों का बक्सा लेकर आओ।" बिशन दौड़कर बक्सा ले आया।

कर्नल दत्ता ने तीतर के पैरों का ज़ख्म साफ़ किया। फिर दवाई लगा दी। पंख को फैलाकर टेप लगा दिया ताकि वह ज्यादा हिले-डुले नहीं। फिर उन्होंने बिशन से कहा, “बिशन, अगर तुम इसे गेंदे के पत्तों का रस दिन में दो-तीन बार पिलाओगे तो यह जल्दी ठीक हो जाएगा। " तब तक बहूजी एक कटोरी में दलिया ले आई और तीतर को दलिया खिलाते हुए बोली, “इसे रोज़ दलिया भी खिलाना विशन, तीतर को दलिया बहुत पसंद होता है। " " तब तो यह बिशन के पीछे-पीछे ही घूमता रहेगा " कर्नल ने हँसते हुए कहा ।

 " अच्छा विशन, तुम जानते हो तीतर कैसे बोलता है?" बहूजी ने पूछा। बिशन ने अपने हाथों को मुँह पर रखकर तीतर की आवाज निकाली, 'क्वाक... क्वाक... क्वाक.... कर्नल दत्ता ठहाका मारकर हँस पड़े। 44 " बहूजी भी मुँह पर पल्लू रखकर हँसने लगीं। बिशन भी हँसता हुआ हिरन की तरह छलाँगें लगाता तीतर के साथ वहाँ से अपने घर की ओर भाग चला।
प्रतिभा नाथ

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Cha NoChapter Name And Solutions link
1रखा की रस्सी
2फसलें का त्योहार
3खिलौनेवाला
4नन्हा फनकार
5जहाँ चाह वहाँ राह
6चिट्ठी का सफर
7डाकिए की कहानी ,कंवरसिंह की जुबानी
8वे दिन भी क्या दिन थे
9एक माँ की बेबसी
10एक दिन की बादशाहत
11चावल की रोटियां
12गुरु और चेला
13स्वामी की दादी
14बाघ आया उस रात
15बिशन की दिलेरी
16पानी रे पानी
17छोटी-सी हमारी नदी
18चुनौती हिमालय की

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