गुरु और चेला के प्रश्न उत्तर | Class 5 Hindi Chapter 12 | Chitthi Ka Safar Question Answer

गुरु और चेला के प्रश्न उत्तर | Class 5 Hindi Chapter 12 | Chitthi Ka Safar Question Answer


गुरु और चेला के प्रश्न उत्तर | Class 5 Hindi Chapter 12 | Chitthi Ka Safar Question Answer

टके की बात

Question:1. टका पुराने जमाने का सिक्का था। अगर आजकल सब चीजें एक रुपया किलो मिलने लगे तो उससे किस तरह के फायदे और नुकसान होंगे?

Answers:
फायदा-गरीबों को भी सब चीजें खरीदने का मौका मिलेगा। अमीर-गरीब का भेद खत्म हो जाएगा।
नुकसान-बाजार मंदा पड़ता जाएगा। देश की अर्थव्यवस्था लचर हो जाएगी।

Question:2.भारत में कोई चीज़ खरीदने-बेचने के लिए रुपये का इस्तेमाल होता है और बांग्लादेश में ‘टके’ का। ‘रुपया’ और

‘टका’ क्रमशः भारत और बांग्लादेश की मुद्राएँ हैं। नीचे लिखे देशों की मुद्राएँ कौन-सी हैं?
सऊदी अरब जापान फ्रांस, इटली इंग्लैंड
Answers:
  • सऊदी अरब – दीनार
  • जापान – येन
  • फ्रांस – यूरो
  • इटली – यूरो
  • इंग्लैंड – पाउंड

कविता की कहानी


Question:1. इस कविता की कहानी अपने शब्दों में लिखो।

Answers:
के लिए कविता का सारांश देखें।

Question:2.क्या तुमने कोई और ऐसी कहानी या कविता पढ़ी है जिसमें सूझ-बूझ से बिगड़ा काम बना हो, उसे अपनी कक्षा में सुनाओ।

Answers:
स्वयं करो।

Question:3.कविता को ध्यान से पढ़कर ‘अंधेर नगरी’ के बारे में कुछ वाक्य लिखो।

(सड़कें, बाजार, राजा का राजकाज)
Answers:
सड़कें-अंधेर नगरी में सड़कें चमकदार थीं।
बाजार-अंधेर नगरी के बाजार में सब चीजें टके सेर बिकती थीं।
राजा का राजकाज-अंधेर नगरी का राजा मूर्ख था। इसलिए उसका राजकाज सही नहीं था। प्रजा बहुत दुखी रहती थी। ऐसे राजा से मुक्ति चाहती थी।

Question:4.क्या ऐसे देश को ‘अंधेर नगरी’ कहना ठीक है? अपने Answers: का कारण भी बताओ।

Answers:
हाँ, ऐसे देश को ही तो ‘अंधेर नगरी’ कहते हैं क्योंकि इस नगरी का राजा निहायत मूर्ख था। उसे यह भी पता । नहीं था कि सही क्या है गलत क्या है, किसे सजा चाहिए, किसे शाबाशी। उसके राज में प्रजा काफी दुखी रहती थी, उससे मुक्ति चाहती थी।

कविता की बात

Question: 1. “प्रजा खुश हुई जब मरा मूर्ख राजा ।”

(क) अँधेर नगरी की प्रजा राजा के मरने पर खुश क्यों हुई? ।
(ख) यदि वे राजा से परेशान थे तो उन्होंने उसे खुद क्यों नहीं हटाया? आपस में चर्चा करो।
Answers:
(क) मूर्ख को कोई नहीं चाहता क्योंकि वह हमेशा लोगों की परेशानी का कारण बनता है। अंधेर नगरी की प्रजा राजा के मरने पर इसलिए खुश हुई क्योंकि वह मूर्ख था। उसके मरने से उनकी वर्षों की तमन्ना पूरी हुई। वे राजा की मूर्खतापूर्ण शासन-व्यवस्था से बड़े दुखी थे। अब उनके दुख का अंत हो गया।
(ख) उन्होंने ऐसे राजा को खुद इसलिए नहीं हटाया क्योंकि यह काम आसान नहीं था। इस काम को – सफलतापूर्वक करने के लिए उन्हें किसी योग्य व्यक्ति के नेतृत्व में एकजुट होना पड़ता। सबको एकजुट करना भी मुश्किल काम होता है, और यदि काम हो भी जाए तो काफी समय लगता है।

Question: 2. “गुरु का कथन, झूठ होता नहीं है।”

(1) गुरुजी ने क्या बात कही थी?
(2) राजा यह बात सुनकर फाँसी पर लटक गया। तुम्हारे विचार से गुरुजी ने जो बात कही, क्या वह सच थी?
(3) गुरुजी ने यह बात कहकर सही किया या गलत? आपस में चर्चा करो।
Answers:
(1) यह मुहूर्त फाँसी पर चढ़ने के लिए सबसे शुभ है। इस मुहूर्त में जो फाँसी पर चढ़ेगा वह चक्रवर्ती राजा बनेगा और उसके सिर पर पूरे संसार का छत्र होगा।
(2) बिल्कुल नहीं। राजा मूर्ख था। इसलिए गुरुजी की बात को सच मान लिया।
(3) बिल्कुल सही किया। ऐसा करके उन्होंने न केवल अपने निर्दोष चेले को बचाया बल्कि उस नगरी की सारी प्रजा को भी बचा लिया। प्रजा ऐसे मूर्ख राजा से मुक्ति चाहती थी। उनकी इच्छा गुरुजी ने पूरी की।

अलग तरह से

● अगर कविता ऐसे शुरू हो तो आगे किस तरह बढ़ेगी?
थी बिजली और उसकी सहेली थी बदली
Answers:
फिर से एक बार कविता पढ़ो और इस Question: को स्वयं करो।

क्या होता यदि…
1. मंत्री की गर्दन फैदे के बराबर की होती?
2. राजा गुरुजी की बातों में न आता?
3. अगर संतरी कहता कि “दीवार इसलिए गिरी क्योंकि पोली थी” तो महाराज किस-किस को बुलाते? आगे क्या होता?
Answers:
1. उसे फाँसी पर चढ़ा दिया जाता।
2. वह जीवित रहता और उसकी शासन व्यवस्था डगमगाती हुई चलती रहती। साथ ही चेले को फाँसी मिल जाती।
3. स्वयं करो।

शब्दों की छानबीन

Question: 1.नीचे लिखे वाक्य पढ़ो। जिन शब्दों के नीचे रेखा खिंची है, उन्हें आजकल कैसे लिखते हैं, यह भी बताओ।

(क) न जाने की अंधेर हो कौन छन में!
(ख) गुरु ने कहा तेज ग्वालिन न भुग री!
(ग) इसी से गिरी, यह न मोटी घनी थी!
(घ) ये गलती न मेरी, यह गलती बिरानी!
(ङ) न ऐसी महूरत बनी बढ़िया जैसी!
Answers:
(क) छन-क्षण
(ख) भग-भाग
(ग) घनी-गहरी
(घ) बिरानी-परायी
(ङ) महूरत-मुहूर्त।

Question: 2. चमाचम थीं सड़कें… इस पंक्ति में ‘चमाचम’ शब्द आया है। नीचे लिखे शब्दों को पढ़ो और दिए गए वाक्यों में ये शब्द भरो-

पटापट चकाचक फटाफट चटाचट झकाझक खटाखट चटपट।
(i) आँधी के कारण पेड़ से …………………. फल गिर रहे हैं।
(ii) हंसा अपना सारा काम …………………… कर लेती है।
(iii) आज रहमान ने …………………… सफेद कुर्ता पाजामा पहना है।
(iv) उस भुक्खड़ ने …………………… सारे लडू खा डाले।
(v) सारे बर्तन धुलकर …………………………. हो गए।
Answers:
(i) पटापट
(ii) फटाफट
(iii) झकाझक
(iv) चटपट
(v) चकाचक

गुरु और चेला के प्रश्न उत्तर | Class 5 Hindi Chapter 12 | Chitthi Ka Safar Question Answer


गुरु एक थे और था एक चेला, चले घूमने पास में था न धेला । चले चलते-चलते मिली एक नगरी, चमाचम थी सड़कें चमाचम थी डगरी ।

मिली एक ग्वालिन धरे शीश गगरी, गुरु ने कहा तेज़ ग्वालिन न भग री। बता कौन नगरी, बता कौन राजा, कि जिसके सुयश का यहाँ बजता बाजा ।

कहा बढ़के ग्वालिन ने महाराज पंडित, पधारे भले हो यहाँ आज पंडित । यह अंधेर नगरी है अनबूझ राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा

गुरु ने कहा- जान देना नहीं है, मुसीबत मुझे मोल लेना नहीं है। न जाने की अंधेर हो कौन छन में? यहाँ ठीक रहना समझता न मन में।

गुरु ने कहा किंतु चेला न माना, गुरु को विवश हो पड़ा लौट जाना । गुरुजी गए, रह गया किंतु चेला, यही सोचता हूँगा मोटा अकेला ।

चला हाट को देखने आज चेला, तो देखा वहाँ पर अजब रेल-पेला । टके सेर हल्दी, टके सेर जीरा, टके सेर ककड़ी टके सेर खीरा ।

टके सेर मिलती थी रबड़ी मलाई, बहुत रोज़ उसने मलाई उड़ाई। सुनो और आगे का फिर हाल ताज़ा । थी अंधेर नगरी, था अनबूझ राजा ।

बरसता था पानी, चमकती थी बिजली, थी बरसात आई, दमकती थी बिजली। गरजते थे बादल, झमकती थी बिजली, थी बरसात गहरी, धमकती थी बिजली।

गिरी राज्य की एक दीवार भारी, जहाँ राजा पहुँचे तुरत ले सवारी । झपट संतरी को डपट कर बुलाया, गिरी क्यों यह दीवार, किसने गिराया ?

कहा संतरी - महाराज साहब, न इसमें खता मेरी, ना मेरा करतब ! यह दीवार कमज़ोर पहले बनी थी, इसी से गिरी, यह न मोटी घनी थी।

खता कारीगर की महाराज साहब, न इसमें खता मेरी, या मेरा करतब ! बुलाया गया, कारीगर झट वहाँ पर, बिठाया गया, कारीगर झट वहाँ पर ।

कहा राजा ने - कारीगर को सज़ा दो, खता इसकी है आज इसको कज़ा दो। कहा कारीगर ने, ज़रा की न देरी, महाराज! इसमें खता कुछ न मेरी।

यह भिश्ती की गलती यह उसकी शरारत, किया गारा गीला उसी की यह गफ़लत । कहा राजा ने जल्द भिश्ती बुलाओ । पकड़ कर उसे जल्द फाँसी चढ़ाओ ।

चला आया भिश्ती, हुई कुछ न देरी, कहा उसने - इसमें खता कुछ न मेरी । यह गलती है जिसने मशक को बनाया, कि ज़्यादा ही जिसमें था पानी समाया ।

मशकवाला आया, हुई कुछ न देरी, कहा उसने इसमें खता कुछ न मेरी । यह मंत्री की गलती, है मंत्री की गफ़लत, उन्हीं की शरारत, उन्हीं की है हिकमत ।

बड़े जानवर का था चमड़ा दिलाया, चुराया न चमड़ा मशक को बनाया। बड़ी है मशक खूब भरता है पानी, ये गलती न मेरी, यह गलती बिरानी ।

है मंत्री की गलती तो मंत्री को लाओ, हुआ हुक्म मंत्री को फाँसी चढ़ाओ । चले मंत्री को लेके जल्लाद फ़ौरन, चढ़ाने को फाँसी उसी दम उसी क्षण।

मगर मंत्री था इतना दुबला दिखाता, न गर्दन में फाँसी का फंदा था आता । कहा राजा ने जिसकी मोटी हो गर्दन, पकड़ कर उसे फाँसी दो तुम इसी क्षण।

चले संतरी ढूँढ़ने मोटी गर्दन, मिला चेला खाता था हलुआ दनादन । कहा संतरी ने चलें आप फ़ौरन, महाराज ने भेजा न्यौता इसी क्षण।

बहुत मन में खुश हो चला आज चेला, कहा आज न्यौता छकूँगा अकेला !! मगर आके पहुँचा तो देखा झमेला, वहाँ तो जुड़ा था अजब एक मेला ।

यह मोटी है गर्दन, इसे तुम बढ़ाओ, कहा राजा ने इसको फाँसी चढ़ाओ ! कहा चेले ने कुछ खता तो बताओ, कहा राजा ने- 'चुप' न बकबक मचाओ।

मगर था न बुद्ध - था चालाक चेला, मचाया बड़ा ही वहीं पर झमेला !! कहा पहले गुरु जी के दर्शन कराओ, मुझे बाद में चाहे फाँसी चढ़ाओ ।

गुरुजी बुलाए गए झट वहाँ पर, कि रोता था चेला खड़ा था जहाँ पर । गुरु जी ने चेले को आकर बुलाया, तुरत कान में मंत्र कुछ गुनगुनाया।

झगड़ने लगे फिर गुरु और चेला, मचा उनमें धक्का बड़ा रेल - पेला | गुरु ने कहा- फाँसी पर मैं चलूँगा, कहा चेले ने - फाँसी पर मैं मरूँगा।

हटाए न हटते अड़े ऐसे दोनों, छुटाए न छुटते लड़े ऐसे दोनों। बढ़े राजा फ़ौरन कहा बात क्या है? गुरु ने बताया करामात क्या है।

चढ़ेगा जो फाँसी महूरत है ऐसी, न ऐसी महूरत बनी बढ़िया जैसी । वह राजा नहीं, चक्रवर्ती बनेगा, यह संसार का छत्र उस पर तनेगा।

कहा राजा ने बात सच गर यही गुरु का कथन, झूठ होता नहीं है कहा राजा ने फाँसी पर मैं चहूँगा इसी दम फाँसी पर मैं ही टँगूँगा ।

चढ़ा फाँसी राजा बजा खूब बाजा प्रजा खुश हुई जब मरा मूर्ख राजा बजा खूब घर-घर बधाई का बाजा । थी अंधेर नगरी, था अनबूझ राजा सोहन लाल द्विवेदी

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