पानी रे पानी के प्रश्न उत्तर | Class 5 Hindi Chapter 16 | Pani Re Pani Question Answer

पानी रे पानी के प्रश्न उत्तर | Class 5 Hindi Chapter 16 | Pani Re Pani Question Answer

पानी रे पानी के प्रश्न उत्तर | Class 5 Hindi Chapter 16 | Pani Re Pani Question Answer

तुम्हारे आस-पास

अपने आस-पास के बड़ों से पूछकर पता लगाओ

1. तुम्हारे घर में पानी कहाँ से आता है?
2. तुम्हारे घर का मैला पानी बहकर कहाँ जाता है?

3. (क) तुम्हारे इलाके में धरती के अंदर का पानी कितने फीट या कितने हाथ नीचे है?
(ख) आज से पंद्रह वर्ष पहले यह पानी कितने नीचे था?
Answer:
1. हमारे घर में पानी जल बोर्ड के सप्लाई से आता है।
2. हमारे घर का मैला पानी बहकर नालों एवं सीवर में जाता है।

3. (क) हमारे इलाके में धरती के अंदर का पानी लगभग 80-100 फीट नीचे है।
(ख) आज से पंद्रह वर्ष पहले यह पानी लगभग 20-25 फीट नीचे था।

अनुमान लगाओ

पाठ के आधार पर बताओ

1. अपने घर के नल के पाइप में मोटर लगवाना दूसरों का हक छीनने के बराबर है। लेखक ऐसा क्यों मानते
2. बड़ी संख्या में इमारतें बनने से बाढ़ और अकाल का खतरा कैसे पैदा होता है?
3. धरती की गुल्लक किन-किन साधनों से भरती है?
Answer:
1. मोटर लगवाने वाले को पर्याप्त पानी मिल जाता है जबकि मोटर नहीं लगवाने वाले को पानी नहीं मिल पाता है। स्पष्टतः यह उनका हक छीनने के बराबर है।
2. बड़ी संख्या में इमारतें बनने से खाली भूमि कम पड़ती जाती है। ढकी भूमि जल नहीं सोख पाती है जिससे धरती की गुल्लक भर नहीं पाती। इससे गर्मी में अकाल और बरसात में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है।
3. हमारे गाँव में, शहर में जो छोटे-बड़े तालाब, झील आदि हैं वे धरती की गुल्लक भरने का काम करते हैं। इनमें जमा पानी जमीन के नीचे छिपे जल के भंडार में धीरे-धीरे रिसकर, छनकर जा मिलता है।

यदि हाँ तो…

1. क्या तुम्हारे इलाके में कभी बाढ़ आई है? यदि हाँ, तो उसके बारे में लिखो।
2. क्या तुम्हारे घर में पानी कुछ ही घंटों के लिए आता है? यदि हाँ, तो बताओ कि कैसे तुम्हारे परिवार की दिनचर्या नल में पानी आने के साथ बँधी होती है?
3. क्या तुम्हारे मोहल्ले में रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने के लिए लोगों को पानी खरीदना पड़ता है? यदि हाँ, तो बताओ कि तुम्हारे घर में रोज़ औसतन कितने लीटर पानी खरीदा जाता है? इस पर कितना खर्चा होता है?
Answer:
1. हमारे इलाके में बाढ़ तब आई थी जब मेरा जन्म भी नहीं हुआ था। माता-पिता बताते हैं कि वह बहुत भयंकर बाढ़ थी। सारी बस्तियाँ पानी में डूब गईं थीं। हजारों लोग बेघर हो गए थे, लोग खाने खाने को मोहताज थे। छतों पर हेलिकॉप्टर से खाने का पैकेट गिराये जाते थे जो कि पर्याप्त नहीं होते थे। बच्चों और बूढ़ों की हालत काफी बदतर थी।
2. हाँ, मेरे घर में पानी कुछ ही घंटों के लिए आता है। इसीलिए घर के लोगों की दिनचर्या पानी आने के साथ शुरू – हो जाती है। पानी प्रातः 6.30 में आता है जो करीब दो घंटे रहता है नहाना, कपड़ा-धोना आदि काम इसी बीच कर लेना पड़ता है। हम इन दो घंटों में दूसरा कोई काम नहीं करते बल्कि केवल पानी से जुड़े काम ही करते हैं।
3. हाँ, मेरे मुहल्ले में रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों को पानी खरीदना पड़ता है। स्वयं मेरे घर में रोज़ औसतन 30 लीटर पानी खरीदा जाता है। इस पर 60 रुपये खर्च होते हैं।

संकट क्यों?

1. पाठ में पानी के संकट के किस प्रमुख कारण की बात की गई है?
2. पानी के संकट का एक और मुख्य कारण पानी की फिजूलखर्ची भी है। कक्षा में पाँच-पाँच के समूह में बातचीत करो और बताओ कि अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में पानी की बचत करने के लिए तुम क्या-क्या उपाय कर सकते हो?
3. जितना उपलब्ध है, उससे कहीं ज्यादा खर्च करने से पानी का संकट उत्पन्न होता है। क्या यही बात हम बिजली के संकट के बारे में भी कह सकते हैं?
Answer:
1. नदी-नालों तथा तालाबों को कचरे से पाटकर, भरकर समतल बना देना पानी के संकट का प्रमुख कारण है।
2. स्वयं करो।
3. हाँ, यही बात हम बिजली के संकट के बारे में भी कह सकते हैं। हमें बिजली को सावधानीपूर्वक खर्च करना चाहिए। यदि खर्च उपलब्धता से अधिक होगा तो जाहिर है संकट पैदा होगा ही।

पानी का चक्कर-भाषा का चक्कर

1. पानी की समस्या या बचत से संबंधित पोस्टर और नारे तैयार करो। यह काम तुम चार-चार के समूह में कर सकते हो।
2. “पानी की बर्बादी, सबकी बर्बादी” इस नारे में ‘बर्बादी’ शब्द का एक अर्थ है या दो अलग अर्थ हैं, सोचो।
3. पानी हमारी जिंदगी में महत्वपूर्ण तो है ही, मुहावरों की दुनिया में भी उसकी खास जगह है। पानी से संबंधित कुछ मुहावरे इकट्ठे करो और उनका उचित संदर्भ में प्रयोग करो।
Answer:
1. पानी की समस्या या बचत से संबंधित पोस्टर
Answer:
स्वयं करें।

पानी की समस्या या बचत से संबंधित नारे


पानी है अनमोल
बहाओ इसे न बेकार
जल ही जीवन है।
जल की सुरक्षा
जीवन की सुरक्षा

2. “पानी की बर्बादी” में ‘बर्बादी’ का अर्थ है पानी को बर्बाद करना। “सबकी बर्बादी” में ‘बर्बादी’ का अर्थ है पानी की कमी से होने वाली परेशानियाँ।
3. पानी से संबंधित कुछ मुहावरे और उनका वाक्य प्रयोग

मुँह में पानी आना-मिठाइयाँ देखते ही भोलू के मुँह में पानी आ गया।
आँखों में पानी भर आना-उसकी विपदा की कहानी सुनकर मेरी माँ की आँखों में पानी भर आया।
पानी-पानी होना-अपनी गलती के कारण भरी सभा में वह पानी पानी हो गया।
पानी फेरना-मेरी मेहनत पर तुमने पानी फेर दिया।

Pani Re Pani Class 5 Notes CBSE Hindi Chapter 16 [PDF]

कहाँ से आता है हमारा पानी और फिर कहाँ चला जाता है हमारा पानी? हमने कभी इस बारे में कुछ सोचा हैं? सोचा तो नहीं होगा शायद, पर इस बारे में पढ़ा जरूर है। भूगोल की किताब पढ़ते समय जल चक्र जैसी बातें हमें बताई जाती हैं। एक सुंदर सा चित्र भी होता है, इस पाठ के साथ सूरज, समुद्र, बादल, हवा, धरती फिर बरसात की बूँदें और लो फिर बहती हुई एक नदी और उसके किनारे बसा तुम्हारा, हमारा घर, गाँव या शहर चित्र के दूसरे भाग में यही नदी अपने चारों तरफ़ का पानी लेकर उसी समुद्र में मिलती दिखती है। चित्र में कुछ तीर भी बने रहते हैं समुद्र से उठी भाष बादल बनकर पानी में बदलती है और फिर इन तीरों के सहारे जल की यात्रा एक तरफ़ से शुरू होकर समुद्र में वापिस मिल जाती है। जल चक्र पूरा हो जाता है।

यह तो हुई जल चक्र की किताबी बात पर अब तो हम सबके घरों में, स्कूल में, माता-पिता के दफ्तरों में, कारखानों और खेतों में पानी का कुछ अजीब-सा चक्कर सामने आने लगा है। नलों में अब पूरे समय पानी नहीं आता। नल खोलो तो उससे पानी के बदले सूँ सूँ की आवाज़ आने लगती है पानी आता भी है तो बेवक्त कभी देर रात को तो कभी भोर सवेरे मीठी नींद छोड़कर घर भर की वाल्टियाँ, बर्तन और पढ़े भरते फिरो । पानी को लेकर कभी-कभी, कहीं-कहीं आपस में तू-तू मैं-मैं भी होने लगती हैं।

रोज़-रोज़ के इन झगड़े- टंटों से बचने के लिए कई घरों में लोग, नलों के पाईप में मोटर लगवा लेते हैं। इससे कई घरों का पानी खिचकर एक ही घर में आ जाता है। यह तो अपने आस-पास का हक छीनने जैसा काम है। लेकिन मजबूरी मानकर इस काम को मोहल्ले में कोई

एक घर कर बैठे तो फिर और कई घर यही करने लगते हैं। पानी की कमी और बढ़ जाती है। शहरों में तो अब कई चीज़ों की तरह पानी भी बिकने लगा है। यह कमी गाँव शहरों में ही नहीं बल्कि हमारे प्रदेशों की राजधानियों में और दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलोर जैसे बड़े शहरों में भी लोगों को भयानक कष्ट में डाल देती है। देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसी हालत बन जाती है। यह तो हुई गर्मी के मौसम की बात

लेकिन बरसात के मौसम में क्या होता है? लो, सब तरफ़ पानी ही बहने लगता है। हमारे तुम्हारे घर, स्कूल, सड़कों, रेल की पटरियों पर पानी भर जाता है। देश के कई भाग बाढ़ में डूब जाते हैं। यह बाढ़ न गाँवों को छोड़ती है और न मुंबई जैसे बड़े शहरों को कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम जाता है, सब कुछ बह जाता है।

ये हालात हमें बताते हैं कि पानी का बेहद कम हो जाना और पानी का बेहद ज़्यादा हो जाना, यानी अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि हम इन दोनों को ठीक से समझ सकें और सँभाल लें तो इन कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

चलो, थोड़ी देर के लिए हम पानी के इस चक्कर को भूल जाएँ और याद करें अपनी गुल्लक को जब भी हमें कोई पैसा देता है, खुश होकर दौड़कर उसे झट से अपनी गुल्लक में डाल देते हैं। हम एक रुपया, दो रुपया पाँच रुपया, कभी सिक्के तो कभी छोटे-बड़े नोट- सब इसमें धीरे-धीरे जमा होते जाते हैं। फिर जब कभी हमें कुछ पैसों की ज़रूरत पड़ती है तो इस गुल्लक की बचत का उपयोग कर लेते हैं।

भंडार समृद्ध होता जाता है। पानी का यह खजाना हमें दिखता नहीं, लेकिन इसी खजाने से हम बरसात का मौसम बीत जाने के बाद पूरे साल भर तक अपने उपयोग के लिए घर में खेतों में, पाठशाला में पानी निकाल सकते हैं। लेकिन एक दौर ऐसा भी आया जब हम लोग इस छिपे खजाने का महत्व भूल गए और ज़मीन के लालच में हमने अपने तालाबों को कचरे से पाट कर, भर कर समतल बना दिया। देखते ही देखते इन पर तो कहीं मकान, कहीं बाज़ार, - स्टेडियम और सिनेमा आदि खड़े हो गए।

इस बड़ी गलती की सज़ा अब हम सबको मिल रही है। गर्मी के दिनों में हमारे नल सूख जाते हैं और बरसात के दिनों में हमारी बस्तियाँ डूबने लगती हैं। इसीलिए यदि हमें अकाल और बाढ़ से बचना है तो अपने आस-पास के जलस्रोतों की, तालाबों की और नदियों आदि की रखवाली अच्छे ढंग से करनी पड़ेगी। जल चक्र हम ठीक से समझें, जब बरसात हो तो उसे थाम लें, अपना भूजल भंडार सुरक्षित रखें अपनी गुल्लक भरते रहें तभी हमें ज़रूरत के समय पानी की कोई कमी नहीं आएगी। यदि हमने जल चक्र का ठीक उपयोग नहीं किया तो हम पानी के चक्कर में फँसते चले जाएँगे।
अनुपम मिश्र

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