सच हम नहीं सच तुम नहीं - Sach Ham nahin Sach Tum Nahin
दोस्तों आज की इस ब्लॉक पोस्ट में आप सभी का स्वागत है आज हम इस ब्लॉग में देखने जा रहे हैं सच हम नहीं सच तुम नहीं इस कविता के प्रश्न उत्तर डॉक्टर जगदीश गुप्त इन्होंने बहुत अच्छी तरीके से इस कविता को रचा है और मैं आपके लिए ऐसी कविता के प्रश्न उत्तर लेकर आया हूं तो चलो देखते हैं
इस ब्लॉग पोस्ट को और सभी प्रश्नों के उत्तर उनको समझ लेते हैं इस ब्लॉग पोस्ट में हम पहले सच हम नहीं सच तुम नहीं इस बारहवीं कक्षा के स्वाध्याय को देखेगी फिर हम डॉक्टर जगदीश गुप्त इन्होंने यह कविता कैसे रची उस पर बातचीत करेंगे तो बने अरे यह है हमारे साथ और देखिए सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता 12वीं
(१) बेकार है मुस्कान से ढकना, ____________
(२) आदर्श नहीं हो सकती, ____________
(३) अपने हृदय का सत्य, ____________
(४) अपने नयन का नीर, ____________
SOLUTION
(१) बेकार है मुस्कान से ढकना, हृदयकीखिन्नता।
(२) आदर्श हो सकती नहीं, तनऔरमनकीभिन्नता।
(३) अपने हृदय का सत्य, अपने-आपहमकोखोजना।
(४) अपने नयन का नीर, अपने-आपहमकोपोंछना।
लिखिए :
आकलन | Q 2.1 | Page 14
1) जीवन यही है - ____________
SOLUTION
(i) नत न होना।
(ii) पंथ भूलने पर भी न रुकना।
(iii) हार देखकर भी न झुकना।
(iv) मृत्यु को भी जीत लेना।
2) मिलना वही है - ____________
SOLUTION
मिलना वही है -
जो मँझधार को मोड़ दे।
प्रत्येक शब्द केदो पर्यायवाची शब्द लिखिए :
शब्द संपदा | Q 1 | Page 14
1) पंथ - ____________ ____________
SOLUTION
पंथ - रास्ता डगर
2) काँटा - ____________ ____________
SOLUTION
काँटा - शूल कंटक
3) फूल - ____________ ____________
SOLUTION
फूल - पुष्प कुसुम
4) नीर - ____________ ____________
SOLUTION
नीर - अंबु जल
अभिव्यक्त
अभिव्यक्त | Q 1 | Page 14
1) ‘जीवन निरंतर चलते रहने का नाम है’, इस विचार की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।
SOLUTION
जीवन का उद्देश्य निरंतर आगे-ही-आगे बढ़ते रहना है। जीवन में ठहराव आने को मृत्यु की संज्ञा दी जाती है। अनेक महापुरुषों ने अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए जीवन भर संघर्ष किया है और उनका नाम अमर हो गया है। जीवन का मार्ग आसान नहीं है। उस पर पग-पग पर कठिनाइयाँ आती रहती हैं। इन कठिनाइयों से उसे जूझना पड़ता है। उसमें हार भी होती है और जीत भी होती है। असफलताओं से मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए। बल्कि उनका दृढ़तापूर्वक सामना करके उसमें से अपना मार्ग प्रशस्त करना और निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। एक दिन मंजिल अवश्य मिलेगी। जीवन संघर्ष कभी न खत्म होने वाला संग्राम है। इसका सामना करने का एकमात्र मार्ग है निरंतर चलते रहना और हर स्थिति में संघर्ष जारी रखना।
2) ‘संघर्ष करने वाला ही जीवन का लक्ष्य प्राप्त करता है’, इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए ।
SOLUTION
दुनिया में दो प्रकार के मनुष्य होते हैं। एक वे जो सामान्य रूप से चलनेवाली जिंदगी जीना पसंद करते हैं और आगे बढ़ने के लिए किए जानेवाले उठा-पटक को पसंद नहीं करते। दूसरे तरह के वे लोग होते हैं, जो अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं और उसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष का रास्ता चुनते हैं। ऐसे लोगों का जीवन आसान नहीं होता। इन्हें पग-पग पर विभिन्न रुकावटों का सामना करना पड़ता है। पर ऐसे लोग इन रुकावटों से डरते नहीं, बल्कि हँसते-हँसते इनका सामना करते हैं। सामना करने में अनेक बार असफलता भी इनके हाथ लगती है। पर ये इससे हताश नहीं होते। ये फिर अपनी गलतियों को सुधारते हैं और नए सिरे से संघर्ष करने में जुट जाते हैं। परिस्थितियाँ कैसी भी हों, वे न झुकते हैं और न हताश होते हैं। उनके सामने सदा उनका लक्ष्य होता है। उसे प्राप्त करने के लिए वे निरंतर संघर्ष करते रहते हैं। ऐसे लोग अपनी निष्ठा और लगन के बल पर एक-न-एक दिन अवश्य सफल हो जाते हैं। वे संघर्ष के बल पर अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त करके रहते हैं।
3) आँसुओं को पोंछकर अपनी क्षमता ओं को पहचानना ही जीवन है’, इस सच्चाई को समझाते हुए कविता का रसास्वादन कीजिए ।
SOLUTION
डॉ. जगदीश गुप्त द्वारा लिखित कविता 'सच हम नहीं, सच तुम नहीं में जीवन में निरंतर संघर्ष करते रहने का आह्वान किया गया है।
कवि पानी-सी बहने वाली सीधी-सादी जिंदगी का विरोध करते हुए संघर्षपूर्ण जीवन जीने की बात करते हैं। वे कहते हैं, जो जहाँ भी हो, उसे संघर्ष करते रहना चाहिए।
संघर्ष में मिली असफलता से निराश होने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी हालत में हमें किसी के सहयोग की आशा नहीं करनी। हमें अपने आप में खुद हिम्मत लानी होगी और अपनी क्षमता को पहचान कर नए सिरे से संघर्ष करना होगा। मन में यह विश्वास रखकर काम करना होगा कि हर राही को भटकने के बाद दिशा मिलती ही है और उसका प्रयास व्यर्थ नहीं जाएगा। उसे भी दिशा मिलकर रहेगी।
कवि ने सीधे-सादे शब्दों में प्रभावशाली ढंग से अपनी बात कही है। अपनी बात कहने के लिए उन्होंने 'अपने नयन का नीर पोंछने' शब्द समूह के द्वारा हताशा से अपने आपको उबार कर स्वयं में नई शक्ति पैदा करने तथा 'आकाश सुख देगा नहीं, धरती पसीजी है नहीं से यह कहने का प्रयास किया है कि भगवान तुम्हारी सहायता के लिए नहीं आने वाले हैं और धरती के लोग तुम्हारे दुख से द्रवित नहीं होने वाले हैं। इसलिए तुम स्वयं अपने आप को सांत्वना दो और नए जोश के साथ आगे बढ़ो। तुम अपने लक्ष्य पर पहुँचने में अवश्य कामयाब होंगे।
जानकारी दीजिए :
साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान | Q 1 | Page 15
1) ‘नयी कविता’ के अन्य कवियों के नाम - ____________
SOLUTION
'नयी कविता' के अन्य कवियों के नाम - रामस्वरूप चतुर्वेदी, विजयदेव साही
2) कवि डॉ. जगदीश गुप्त की प्रमुख साहित्यिक कृतियों के नाम - ____________
SOLUTION
कवि डॉ. जगदीश गुप्त की प्रमुख साहित्यिक कृतियों के नाम - 'नाँव के पाँव, शब्द दंश, हिम विद्ध, गोपा-गौतम' (काव्य संग्रह), 'शंबूक' (खंडकाव्य), 'भारतीय कला के पदचिह्न,
नयी कविता : स्वरूप और समस्याएँ, केशवदास' (आलोचना) तथा 'नयी कविता' (पत्रिका)।
निम्नलिखित वाक्यों में अधोरेखांकित शब्दों का लिंग परिवर्तन कर वाक्य फिर से लिखिए :
साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान | Q 1 | Page 15
1) बहुत चेष्टा करने पर भी हरिण न आया।
SOLUTION
बहुत चेष्टा करने पर भी हरिणी न आई।
2) सिद्धहस्त लेखिका बनना ही उसका एकमात्र सपना था।
SOLUTION
सिद्धहस्त लेखक बनना ही उनका एकमात्र सपना था।
3) तुम एक समझदार लड़की हो ।
SOLUTION
तुम एक समझदार लड़के हो।
4) मैं पहली बार वृद्धाश्रम में मौसी से मिलने आया था।
SOLUTION
मैं पहली बार वृद्धाश्रम में मौसा से मिलने आया था।
5) तुम्हारे जैसा पुत्र भगवान सब को दे।
SOLUTION
तुम्हारी जैसी पुत्री भगवान सब को दे।
6) बूढ़े मर गए।
SOLUTION
बुढ़ियाँ मर गईं।
7) वह एक दस वर्ष का बच्चा छोड़ा गया ।
SOLUTION
वह एक दस वर्ष की बच्ची छोड़ी गई।
8) तुम्हारा मौसेरा भाई माफी माँगने पहुँचा था।
SOLUTION
तुम्हारीमौसेरीबहन माफी माँगने पहुँचीथी।
9) एक अच्छी सहेली के नाते तुम उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करो।
SOLUTION
एक अच्छेमित्र के नाते तुम उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करो।
सच हम नहीं सच तुम नहीं - Sach Ham nahin Sach Tum Nahin
- सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता
- सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता स्वाध्याय
- सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता का सारांश
- सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता का अर्थ
- सच हम नहीं सच तुम नहीं के रचयिता का नाम है
- सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता के रचियता का नाम बताइए
- सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता के कवि कौन है
- सच हम नहीं सच तुम नहीं meaning
सच हम नहीं सच तुम नहीं - Sach Ham nahin Sach Tum Nahin
कवि परिचय ः डॉ. जगदीश गुप्त जी का जन्म १९२4 को उत्तर प्रदेश के शाहाबाद में हुआ । प्रयोगवाद के पश्चात जिस ‘नयी कविता’ का प्रारंभ हुआ; उसके प्रवर्तकों में आपका नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है । नया कथ्य, नया भाव पक्ष और नये कलेवर की कलात्मक अभिव्यक्ति आपके साहित्य की विशेषताएँ रही हैं । अनेक धार्मिक एवं पौराणिक प्रसंगों और चरित्रों को नये संदर्भ देने का महत्त्वपूर्ण साहित्यिक कार्य आपने किया है । ‘नयी कविता’ की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए आपने इसी नाम की पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया । आपका निधन २००१ में हुआ ।
प्रमुख कृतियाँ ः ‘नाव के पाँव’, ‘शब्द दंश’, ‘हिम विद्ध’, ‘गोपा-गौतम’ (काव्य संग्रह), ‘शंबूक’ (खंडकाव्य), ‘भारतीय कला के पद चिह्न’, ‘नयी कविता : स्वरूप और समस्याएँ’, ‘केशवदास’ (आलोचना), ‘नयी कविता’ (पत्रिका) आदि ।
विधा परिचय ः प्रयोगवाद के बाद हिंदी कविता की जो नवीन धारा विकसित हुई वह ‘नयी कविता’ है । नये भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ नये मूल्यों और नये शिल्प विधान का अन्वेषण नयी कविता की विशेषताएँ हैं । नयी कविता का प्रारंभ डॉ. जगदीश गुप्त, रामस्वरूप चतुर्वेदी और विजयदेव साही के संपादन में प्रकाशित ‘नयी कविता’ पत्रिका से माना जाता है ।
पाठ परिचय ः प्रस्तुत नयी कविता में कवि संघर्ष को ही जीवन की सच्चाई मानते हैं । सच्चा मनुष्य वही है जो कठिनाइयों से घबराकर, मुसीबतों से डरकर न कभी झुके, न रुके, परिस्थितियों से हार न माने । राह में चाहे फूल मिलें या शूल, वह चलता रहे क्योंकि जिंदगी सहज चलने का नाम नहीं बल्कि लीक से हटकर चलने का नाम है । हमें अपनी क्षमताएँ स्वयं ही पहचाननी होंगी । राह से भटककर भी मंजिल अवश्य मिलेगी। भीतर-बाहर से एक-सा रहना ही आदर्श है । हमें अपने दुखों को पहचानना होगा, अपने आँसू स्वयं पोंछने होंगे तथा स्वयं योद्धा बनना होगा । जीवन संघर्ष की यही कहानी है ।
सच हम नहीं सच तुम नहीं कविता
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
सच है सतत संघर्ष ही ।
संघर्ष से हटकर जीए तो क्या जीए, हम या कि तुम ।
जो नत हुआ, वह मृत हुआ ज्यों वृंत से झरकर कुसुम ।
जो पंथ भूल रुका नहीं,
जो हार देख झुका नहीं,
जिसने मरण को भी लिया हो जीत, है जीवन वही ।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
ऐसा करो जिससे न प्राणों में कहीं जड़ता रहे ।
जो है जहाँ चुपचाप, अपने-आपसे लड़ता रहे ।
जो भी परिस्थितियाँमिलें,
काँटे चुभें, कलियाँखिलें,
टूटे नहीं इनसान, बस ! संदेश यौवन का यही ।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
हमने रचा, आओ ! हमीं अब तोड़ दें इस प्यार को ।
यह क्या मिलन, मिलना वही, जो मोड़ दे मँझधार को ।
जो साथ फूलों के चले,
जो ढाल पाते ही ढले,
यह जिंदगी क्या जिंदगी जो सिर्फ पानी-सी बही ।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
अपने हृदय का सत्य, अपने-आप हमको खोजना ।
अपने नयन का नीर, अपने-आप हमको पोंछना ।
आकाश सुख देगा नहीं
धरती पसीजी है कहीं !
हर एक राही को भटककर ही दिशा मिलती रही ।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
बेकार है मुस्कान से ढकना हृदय की खिन्नता ।
आदर्श हो सकती नहीं, तन और मन की भिन्नता ।
जब तक बँधी है चेतना
जब तक प्रणय दुख से घना
तब तक न मानूँगा कभी, इस राह को ही मैं सही ।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
- (‘नाव के पाँव’ कविता संग्रह से)
सच हम नहीं सच तुम नहीं - Sach Ham nahin Sach Tum Nahin
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Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board
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12th हिंदी स्वाध्याय