पेड़ होने का अर्थ | Ped hone ka arth | पेड़ होने का अर्थ स्वाध्याय [ 12th कृती और स्वाध्याय ]
दोस्तों आज की ब्लॉग पोस्ट में हम देखने जा रहे हैं पेड़ होने का अर्थ कक्षा बारहवीं के प्रश्न उत्तर और उसके साथी प्रश्न उत्तरों के नीचे हम देखने जा रहे हैं कि इस कविता का अर्थ क्या है यह कविता किसने लिखी और एक कविता लिखने का उद्देश्य कौन सा है तो चलिए बनी रही है हमारे साथ देखते हैं पेड़ होने का अर्थ स्वाध्याय
इसी तरह की ब्लॉग पोस्ट अगर आपको चाहिए तो हमें कमेंट करके बताइए हम हिंदी में आपको जो जो परेशान हैं उनका समाधान लेकर जरूर आएंगे
लिखिए :
आकलन | Q 1 | Page 39
1) पेड़ का बुलंद हौसला सूचित करने वाली दो पंक्तियाँ :
(१) ____________
(२) ____________
SOLUTION
(१) भेड़िया, बाघ, शेर की दहाड़ पेड़ किसी से नहीं डरता है।
(२) पेड़ रात भर तूफान से लड़ा है।
2) कृति पूर्ण कीजिए :
1) पेड़ इन रूपों में दाता है
SOLUTION
(अ) पेड़ कवि को कागज देता है।
(ख)पेड़ प्रशासन को कुर्सी देता है।
(ग)पेड़ वैद्य को दवाई देता है।
(घ)पेड़ फल-फूल देता है।
निम्नलिखित भिन्नार्थक शब्दों का अर्थपूर्णवाक्य में प्रयोग कीजिए :
शब्द संपदा | Q 1 | Page 39
1) साँस - सास
SOLUTION
साँस - सच कहा गया है कि जब तक साँस है, तब तक आशा नहीं छोड़नी चाहिए।
सास - अपने गुणों के कारण रुचि सास की बहुत लाड़ली है।
2) ग्रह - गृह
SOLUTION
ग्रह - संपूर्ण सौर मंडल में शनि सबसे सुंदर ग्रह है।
गृह - आलोक ने गृह-प्रवेश के अवसर पर बड़ी शानदार पार्टी दी।
3) आँचल-अंचल
SOLUTION
आँचल - अनन्या सात साल की हो गई है पर अभी भी माँ का आँचल पकड़े उसके पीछे-पीछे घूमती रहती है।
अँचल - भाई की पोस्टिंग चंबल अँचल में होने पर घर के सभी लोग बहुत चिंतित हुए।
4) कुल-कूल
SOLUTION
कुल - रामचंद्र जी सूर्य कुल के सूर्य थे।
कूल - नदी के कूल पर ठंडी हवा मन को मोह रही थी।
अभिव्यक्ति
अभिव्यक्ति | Q 1 | Page 40
1) ‘पेड़ मनुष्य का परम हितैषी’, इस विषय पर अपना मंतव्य लिखिए ।
SOLUTION
पेड़ मनुष्य का परम हितैषी है। प्रकृति की ओर से धरती को दिया गया अनमोल उपहार है पेड़। सभी प्रकार की वनस्पतियाँ, फल, फूल, अनाज, लकड़ी, खनिज सभी हमें पेड़ों से ही मिलते हैं। पेड़ हमें इमारती लकड़ी, ईंधन, पशुओं के लिए चारा, औषधि, लाख, गोंद, पत्ते आदि देते हैं। हम जो विषैली वायु बाहर छोड़ते हैं, वृक्ष उसे ग्रहण करके स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक वायु हमें प्रदान करते हैं और हमें जीवन देते हैं। पेड़ वर्षा कराने में भी सहायक होते हैं। हमें अपने जीवन में वृक्षों के महत्व को समझना चाहिए।
2) भारतीय संस्कृति मेंपेड़ का महत्त्व’, इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
SOLUTION
भारतीय संस्कृति में आदि काल से पेड़ों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। पेड़ों को देवताओं का स्थान दिया गया है। पेड़ों की पूजा की जाती थी। उनके साथ मनुष्यों के समान आत्मीयता बरती जाती थी। पीपल के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती थी स्त्रियाँ उपवास करके उसकी परिक्रमा करती थी और जल अर्पण करती थी। इसी प्रकार केले के पेड़ के पूजन की भी प्रथा थी। तुलसी का पौधा तो आज भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। बेल के पेड़ के पत्ते भगवान शंकर के मस्तक पर चढ़ाए जाते हैं। वातावरण की शुद्धता के लिए पेड़ अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि हम जो विषैली वायु बाहर छोड़ते हैं, पेड़ उसे ग्रहण करके स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक वायु हमें प्रदान करते हैं और हमें जीवन देते हैं।
3) पेड़ हौसला है, पेड़ दाता है’, इस कथन के आधार पर संपूर्ण कविता का रसास्वादन कीजिए।
SOLUTION
पेड़ होने का अर्थ कविता में कवि डॉ. मुकेश गौतम पेड़ के माध्यम से मनुष्य को मानवता, परोपकार आदि मानवोचित गुणों की प्रेरणा दे रहा है। मनुष्य जरा-सी प्रतिकूल परिस्थिति आने पर या किसी कार्य में मनचाही सफलता न मिलने पर हौसला खो बैठता है। पेड़ भयंकर आँधी-तूफान का सामना करता है, घायल होकर टेढ़ा हो जाता है, परंतु वह अपना हौसला नहीं छोड़ता। पेड़ के हौसले के कारण शाखों में स्थित घोंसले में चिड़िया के चहचहाते छोटे-छोटे बच्चे सारी रात भयंकर तूफान चलते रहने के बाद भी सुरक्षित रहते हैं।
सचमुच पेड़ का घोंसला बहुत बड़ा है। पेड़ बहुत बड़ा दाता है। पेड़ की जड़, तना, शाखाएँ, पत्ते, फूल, फल और बीज अर्थात पेड़ का कोई भी भाग अनुपयोगी नहीं होता। अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाने वालों, उसे काटने वालों के किसी भी दुर्व्यवहार व अत्याचार का पेड़ कभी बदला लेने का नहीं सोचता। वह तो जीवन भर देता ही रहता है। हम श्वासोच्छ्वास के माध्यम से जो विषैली वायु बाहर छोड़ते हैं, पेड़ उसे स्वच्छ करके हमें स्वास्थ्यवर्धक वायु प्रदान करता है।
पेड़ रोगों के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियाँ देता है। मनुष्य समाज में किसी की शवयात्रा हो या कोई शुभ कार्य, या फिर किसी की बारात, पेड़ सभी को पुष्पों की सौगात देता है। पेड़ कवि को कागज, कलम तथा स्याही, पेड़ वैद्य और हकीम को विभिन्न रोगों के लिए दवाएँ तथा शासन और प्रशासन के लोगों को कुरसी, मेज और आसन देता है। वास्तव में देखा जाए तो पेड़ की ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है, जो मनुष्य के काम न आती हो। पेड़ संत के समान है, जो दूसरों को देते ही हैं, किसी से कुछ भी अपेक्षा नहीं रखते। वास्तविकता तो यह है कि पेड़ दधीचि है। जिस प्रकार दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए वज्रास्त्र बनाने के लिए जीते-जी अपनी अस्थियाँ भी दान कर दी थीं, उसी प्रकार पेड़ बिना किसी स्वार्थ के जीवन भर देता ही रहता है।
साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान |
साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान | Q 1 | Page 40
1) नयी कविता का परिचय - ____________
SOLUTION
नयी कविता में काव्य क्षेत्र में नए भाव बोध को व्यक्त करने के लिए शिल्प पक्ष और भाव पक्ष के स्तर पर नए प्रयोग किए गए। नए प्रतीकों, उपमानों और प्रतिमानों को ढूँढ़ा गया। परिणामस्वरूप नयी कविता आज के मनुष्य के व्यस्त जीवन का दर्पण और आस-पास की सच्चाई की तस्वीर बनकर उभरी।
2) डॉ. मुकेश गौतम जी की रचनाएँ - ____________
SOLUTION
(१) अपनों के बीच
(२) सतह और शिखर
(३) सच्चाइयों के रू-ब-रू
(४) वृक्षों के हक में
(५) लगातार कविता
(६) प्रेम समर्थक हैं पेड़
(७) इसकी क्या जरूरत थी (कविता संग्रह)
गुरुबानी - गुरुबानी संपूर्ण स्वाध्याय | Gurubani svaadhyaay
कवि परिचय ः डॉ. मुकेश गौतम जी का जन्म १ जुलाई १९७० को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ । आधुनिक कवियों में आपने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है । आपने आधुनिक भावबोध को सहज-सीधे रूप में अभिव्यक्ति दी है । वर्तमान मनुष्य की समस्याएँ और प्रकृति के साथ हो रहा क्रूर मजाक आपके काव्य में प्रखरता से उभरकर आते हैं । आप हास्य व्यंग्य के लोकप्रिय मंचीय कवि हैं फिर भी सामाजिक सरोकार की भावना आपके काव्य का मुख्य स्वर है । आपकी समग्र रचनाओं की भाषा अत्यंत सरल-सहज है तथा मन को छू जाती है । आपके काव्य में बड़े ही स्वाभाविक और लोकव्यवहार के बिंब, प्रतीक और प्रतिमान आते हैं जो प्रभावशाली ढंग से आपके भावों और विचारों का संप्रेषण पाठकों तक करते हैं ।
प्रमुख कृतियाँ ः ‘अपनों के बीच’, ‘सतह और शिखर’, ‘सच्चाइयों के रू-ब-रू’, ‘वृक्षों के हक में’, ‘लगातार कविता’, प्रेम समर्थक हैं पेड़’, ‘इसकी क्या जरूरत थी’ (कविता संग्रह) आदि ।
विधा परिचय ः प्रस्तुत काव्य ‘नयी कविता’ की अभिव्यक्ति है । नये भावबोध को व्यक्त करने के लिए काव्य क्षेत्र में नये प्रयोग शिल्प और भावपक्ष के स्तर पर किए गए । नये शब्द प्रयुक्त हुए, नये प्रतिमान, उपमान और प्रतीकों को तलाशा गया । फलत: नयी कविता आज के व्यस्ततम मनुष्य का दर्पण बन गई है और आस-पास की सच्चाई की तस्वीर ।
पाठ परिचय ः प्रकृति मनुष्य के जीवन का स्पंदन है औैर पेड़ इस स्पंदन का पोषक तत्त्व है । पेड़ मनुष्य का बहुत बड़ा शिक्षक है । पेड़ और मनुष्य के बीच पुरातन संबंध रहा है । पेड़ ने भारतीय संस्कृति को जीवित रखा है और मनुष्य को संस्कारशील बनाया है । पेड़ मनुष्य का हौसला बढ़ाता है, समाज के प्रति दायित्व और प्रतिबद्धता का निर्वाह करना सिखाता है और सच्ची पूजा का अर्थ समझाता है । कवि ने मनुष्य जीवन में पेड़ की विभिन्नार्थी भूमिकाओं को स्पष्ट करते हुए उसके होने की आवश्यकता की ओर संकेत किया है । सब कुछ दूसरों को देकर पेड़ जीवन की सार्थकता को सिद्ध करता है ।
आदमी पेड़ नहीं हो सकता...
कल अपने कमरे की
खिड़की के पास बैठकर,
जब मैं निहार रहा था एक पेड़ को
तब मैं महसूस कर रहा था पेड़ होने का अर्थ !
मैं सोच रहा था
आदमी कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए,
वह एक पेड़ जितना बड़ा कभी नहीं हो सकता
या यूँ कहूँकि-
आदमी सिर्फ आदमी है
वह पेड़ नहीं हो सकता !
हौसला है पेड़...
अंकुरित होने से ठूँठ हो जाने तक
आँधी-तूफान हो या कोई प्रतापी राजा-महाराजा
पेड़ किसी के पाँव नहीं पड़ता है,
जब तक है उसमें साँस
एक जगह पर खड़े रहकर
हालात से लड़ता है !
जहाँ भी खड़ा हो
सड़क, झील या कोई पहाड़
भेड़िया, बाघ, शेर की दहाड़
पेड़ किसी से नहीं डरता है !
हत्या या आत्महत्या नहीं करता है पेड़ ।
थके राहगीर को देकर छाँव व ठंडी हवा
राह में गिरा देता है फूल
और करता है इशारा उसे आगे बढ़ने का ।
पेड़ करता है सभी का स्वागत,
देता है सभी को विदाई !
गाँव के रास्ते का वह पेड़
आज भी मुस्कुरा रहा है
हालाँकि वह सीधा नहीं, टेढ़ा पड़ा है
सच तो यह है कि-
रात भर तूफान से लड़ा है
खुद घायल है वह पेड़
लेकिन क्या देखा नहीं तुमने
उसपर अब भी सुरक्षित
चहचहाते हुए चिड़िया के बच्चों का घोंसला है
जी हाँ, सच तो यह है कि
पेड़ बहुत बड़ा हौसला है ।
दाता है पेड़...
जड़, तना, शाखा, पत्ती, पुष्प, फल और बीज
हमारे लिए ही तो है पेड़ की हर एक चीज !
किसी ने उसे पूजा,
किसी ने उसपर कुल्हाड़ी चलाई
पर कोई बताए
क्या पेड़ ने एक बूँद भी आँसू की गिराई?
हमारी साँसों के लिए शुद्ध हवा
बीमारी के लिए दवा
शवयात्रा, शगुन या बारात
सभी के लिए देता है पुष्पों की सौगात
आदिकाल से आज तक
सुबह-शाम, दिन-रात
हमेशा देता आया है मनुष्य का साथ
कवि को मिला कागज, कलम, स्याही
वैद, हकीम को दवाई
शासन या प्रशासन
सभी के बैठने के लिए
कुर्सी, मेज, आसन
जो हम उपयोग नहीं करें
वृक्ष के पास ऐसी एक भी नहीं चीज है
जी हाँ, सच तो यह है कि
पेड़ संत है, दधीचि है ।
- (‘प्रेम समर्थक हैं पेड़’ कविता संग्रह से)
पेड़ होने का अर्थ | Ped hone ka arth | पेड़ होने का अर्थ स्वाध्याय [ 12th कृती और स्वाध्याय ]
- पेड़ होने का अर्थ कविता
- पेड़ होने का अर्थ' कविता के कवि -
- पेड़ होने का अर्थ रसास्वादन कीजिए
- पेड़ होने का अर्थ कविता का भावार्थ
- पेड़ होने का अर्थ' कविता का नाम
- पेड़ होने का अर्थ’कविता के कवि कौन है
- पेड़ होने का अर्थ यह किताब उनकी है
- पेड़ होने का अर्थ स्वाध्याय
- पेड़ होने का अर्थ रसास्वादन
- पेड़ होने का अर्थ’कविता के कवि कौन है
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