गुरुबानी कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

गुरुबानी कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

गुरुबानी कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

गुरुबानी कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

5गुरुबानी - वृंद के दोहे Click Now

नानक गुरु न चेतनी मनि आपणे सुचेत ।
छूते तिल बुआड़ जिऊ सुएं अंदर खेत ।।
खेते अंदर छुट्टया कहु नानक सऊ नाह ।
फली अहि फूली अहि बपुड़े भी तन विच स्वाह ।। १ ।।

जलि मोह घसि मसि करि,
मति कागद करि सारु,
भाइ कलम करि चितु, लेखारि,
गुरु पुछि लिखु बीचारि,
लिखु नाम सालाह लिखु,
लिखु अंत न पारावार ।। २ ।।

मन रे अहिनिसि हरि गुण सारि ।
जिन खिनु पलु नामु न बिसरे ते जन विरले संसारि ।
जोति-जोति मिलाइये, सुरती-सुरती संजोगु ।
हिंसा हउमें गतु गए नाहीं सहसा सोगु ।
गुरु मुख जिसु हार मनि बसे तिसु मेले गुरु संजोग ।। ३ ।।

तेरी गति मिति तू ही जाणै क्या को आखि वखाणे
तू आपे गुपता, आपे प्रगटु, आपे सब रंग भाणे
साधक सिद्ध, गुरु वहु चेले खोजत फिरहि फरमाणे
समहि बधु पाइ इह भिक्षा तेरे दर्शन कउ कुरवाणे
उसी की प्रभु खेल रचाया, गुरमुख सोभी होई ।
नानक सब जुग आपे वरते, दूजा और न कोई ।। 4 ।।

गगन में काल रविचंद दीपक बने ।
तारका मंडल जनक मोती ।
धूप मलयानिल, पवनु चँवरो करे,
सकल वनराइ कुलंत जोति ।
कैसी आरती होई भव खंडना, तोरि आरती ।
अनाहत शबद बाजत भेरी ।। 5 ।।
- (‘गुरुग्रंथसाहिब’ से)

गुरुबानी कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

कवि परिचय - 

  1.  गुरु नानक जी का जन्म १5 अप्रैल १4६९ को रावी नदी के किनारे तलवंडी नामक ग्राम में हुआ । बचपन से 
  2. ही आपका झुकाव आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग की ओर रहा । 
  3. आपके व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाज सुधारक और कवि के गुण पाए जाते हैं । आप सर्वेश्वरवादी हैं और सभी धर्मों-वर्गों को समान दृष्टि से देखते हैं । 
  4. आपने विश्वबंधुत्व के विचार की पुष्टि की है । आपके भावुक और कोमल हृदय ने प्रकृति से एकात्म होकर जो अभिव्यक्ति की है, वह अनूठी है ।
  5.  आपकी काव्यभाषा में फारसी, मुल्तानी, पंजाबी, सिंधी, खड़ी बोली और अरबी भाषा के शब्द समाए हुए हैं । सहज-सरल भाषा द्वारा अपनी बात कहने में आप सिद्धहस्त हैं । आपका निधन १5३९ में हुआ ।

प्रमुख कृतियाँ  -

  1. ‘गुरुग्रंथसाहिब’ आदि ।विधा परिचय  ‘पद’ काव्य रचना की एक गेय शैली है । इसके विकास का मूल स्रोत लोकगीतों की परंपरा ही माना जा सकता 
  2. है । हिंदी पद शैली में विभिन्न छंदों का प्रयोग अनेक निश्चित रूपों में हुआ है । हिंदी साहित्य में ‘पद शैली’ की दो निश्चित
  3. परंपराएँमिलती हैं - एक संतों की ‘सबद’ और दूसरी ‘कृष्णभक्तों’ की परंपरा ।

पाठ परिचय - 

  1.  प्रस्तुत दोहों तथा पदों में गुरु नानक ने गुरु की महिमा, कर्म की महानता, सच्ची शिक्षा आदि विषयों पर अपने 
  2. विचार व्यक्त किए हैं । मनुष्य के जीवन को उदात्त और चरित्रवान बनाने में गुरु का मार्गदर्शन, मनुष्य के उत्तम कार्य और सच्ची शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान रहता है । गुरु द्वारा दिया जाने वाला ज्ञान ही शिष्य की सबसे बड़ी पूँजी है ।
  3.  संसार मनुष्यकी जाति का नहीं अपितु उसके उत्तम कर्मों का सम्मान करता है । मनुष्य का श्रेष्ठत्व उसके अच्छे कर्मों से सिद्ध होता है न कि उसकी जाति अथवा वर्ग से । 
  4. गुरु नानक ने कर्मकांड और बाह्याडंबर का घोर विरोध किया ।

शब्दार्थ -  गुरुबानी कविता

  1. बुआड़ = बुआई करना
  2.  सऊ = ईश्वर
  3. मसि = स्याही
  4.  चितु = चित्त
  5. अहिनिसि = दिन-रात
  6.  बिसरे = भूले
  7. गुपता = अप्रकट, 
  8. गुप्त जुग = युग
  9. सकल = संपूर्ण 
  10. भेरी = बड़ा ढोल

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