गद्य आकलन प्रश्न निर्मिती | गद्य आकलन (प्रश्न निर्मिति हिंदी) | gadhya aakalan prashan niramiti hindi
भाषा सीखकर प्रश्नों की निर्मिति करना एक महत्त्वपूर्णभाषाई कौशल है । पाठ्यक्रम में भाषा कौशल को प्राप्त करने के लिए
प्रश्ननिर्मिति घटक का समावेश किया गया है ।
दिए गए परिच्छेद (गद्यांश) को पढ़कर उसी के आधार पर पाँच प्रश्नों की
निर्मिति करनी है । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में हों, ऐसे ही प्रश्न बनाए जाएँ ।
* प्रश्न ऐसे हों ः
तैयार प्रश्न सार्थक एवं प्रश्न के प्रारूप मंे हों ।
प्रश्नों के उत्तर दिए गए गद्यांश में हों ।
रचित प्रश्न के अंत में प्रश्नचिह्न लगाना आवश्यक है ।
प्रश्न रचना का कौशल प्राप्त करने के लिए अधिकाधिक अभ्यास की आवश्यकता है ।
प्रश्न का उत्तर नहीं लिखना है ।
प्रश्न रचना पूरे गद्यांश पर होनी आवश्यक है ।
प्रश्नों के उत्तर दिए गए गद्यांश में हों ।
रचित प्रश्न के अंत में प्रश्नचिह्न लगाना आवश्यक है ।
प्रश्न रचना का कौशल प्राप्त करने के लिए अधिकाधिक अभ्यास की आवश्यकता है ।
प्रश्न का उत्तर नहीं लिखना है ।
प्रश्न रचना पूरे गद्यांश पर होनी आवश्यक है ।
* प्रश्न निर्मिति के लिए आवश्यक प्रश्नवाचक शब्द निम्नानुसार हैं ः
प्रश्न-
| (१) किसी भी देश की संपत्ति कौन होते हैं ?
(२) विद्यार्थी क्या करना जानता है ?
(३) विद्यार्थी किसके लिए कुछ क्षमता प्राप्त कर सकता है ?
(४) विद्यार्थी किस प्रकार के मोती प्राप्त कर सकता है ?
(५) आप इस गद्यांश को कौन-सा शीर्षक देना उचित समझेंगे ?
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़ कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
डॉ. कलाम दृढ़ इच्छाशक्ति वाले वैज्ञानिक थे। वे भारत को विकसित देश बनाने का सपना संजोए हुए थे। उनका मानना था कि भारतवासियों को व्यापक दृष्टि से सोचना चाहिए। हमें सपने देखने चाहिए। सपनों को विचारों में बदलना चाहिए। विचारों को कार्यवाही के माध्यम से हकीकत में बदलना चाहिए। डॉ. कलाम तीसरे ऐसे वैज्ञानिक हैं, जिन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया। उन्हें ‘पद्मभूषम’ तथा ‘पद्मविभूष्ण’ से भी सम्मानित किया गया। भारत को उन पर गर्व है।
इतनी उपलब्धियाँ प्राप्त करने के बावजूद अहंकार कलाम जी को छू तक नहीं पाया। वे सहज स्वभाव के एक भावुक व्यक्ति थे। उन्हें कविताएँ लिखना, वीणा बजाना तथा बच्चों के साथ रहना पसंद था। वे सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते थे। कलाम साहब का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। कलाम जी तपस्या और कर्म ठता की प्रतिमूर्ति हैं। राष्ट्रपति पड़ की शपथ लेते समय दिए गए भाषण में उन्होंने कबीरदास जी के इस दोहे का उल्लेख किया था – ‘काल करे सो आज कर, आज करे सो अब’।
(क) डॉ. कलाम ने भारत को क्या बनाने का सपना देखा है?
अल्प विकसित देश
विकसित देश
निर्मित देश
विकासशील देश
(ख) डॉ. कलाम किस प्रवृत्ति के व्यक्ति थे?
असहज
दयालु
भावुक
क्रूर
(ग) डॉ. कलाम एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाले _______ थे?
वैज्ञानिक
कलाकार
साहित्यकार
इनमें से कोई नहीं
२) गद्य आकलन (प्रश्न निर्मिति) (4marks)
निम्नलिखित परिछेद पढकर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिये जिनके उत्तर परिछेद में एक वाक्य के हो।
गीता जीवन की कला सिखाती है। जब मैं देखता हूँ की हमारा समाज आज हमारी संस्कृति के मौलिक
सिधान्तो की अवहेलना करता है तब मेरा हदय फटता है। आप चाहे जहाँ जाये परन्तु संस्कृति के मौलिक
सिधान्तो को सदैव साथ रखे।
संसार के सारे सुख क्षणभंगुर एवं अस्थाई होते है। वास्तविक सुख हमारी आत्मा
में ही है। चरित्र नष्ट होने से मनुष्य का सब कुछ नष्ट हो जाता है। संसार के राज्य पर विजयी होने पर भी आत्मा
की हार सबसे बड़ी हार है। यही है हमारी संस्कृति का सार,जो अभ्यास द्वारा सुगम बनाकर कार्यरूप में
परिवर्तित किया जा सकता है।
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