वृत्तांत लेखन | वृत्तांत लेखन क्या है | | vrutant lekhan in hindi
वृत्तांत का अर्थ है-
घटी हुई घटना का विवरण/रपट/अहवाल लेखन । यह रचना की एक विधा है । इसे विषय के अनुसार
लिखना पड़ता है। वृत्तांत लेखन एक कला है, जिसमें भाषा का कुशलतापूर्वक प्रयोग करना होता है । यहकिसी घटना, समारोह का
विस्तृत वर्णन है जो किसी को जानकारी देने हेतु लिखा होता है । इसे रिपोर्ताज, इतिवृत्त, अहवाल आदि नामों से भी जाना जाता है ।
वृत्तांत लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें ः
वृत्तांत में घटित घटना का ही वर्णन करना है ।
घटना, काल, स्थल का
उल्लेख अपेक्षित होता है । साथ-ही-साथ घटना जैसी घटित हुई हो उसी क्रम से प्रभावी और प्रवाही भाषा में वर्णित हो ।
वृत्तांत
लेखन लगभग अस्सी शब्दों में हो । समारोह में अध्यक्ष/उद्घाटक/व्याख्याता/वक्ता आदि के जो मौलिक विचार/संदेश व्यक्त
हुए हैं उनका संक्षेप में उल्लेख हो
भाषण में कहे गए वाक्यों को दुहरा अवतरण ‘‘ ...........’’ चिहन ् लगाकर लिखना चाहिए ।
आशयपूर्ण, उचित तथा आवश्यक बातों को ही वृत्तांत में शामिल करें ।
वृत्तांत का समापन उचित पद्धति से हो ।
वृत्तांत लेखन के विषय -
शिक्षक दिवस, हिंदी दिवस, वाचन प्रेणा दिवस, शहीद दिवस, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, वैश्विक महिला
दिवस, बालिका दिवस, बाल दिवस, दिव्यांग दिवस, क्रीड़ा महोत्सव, वार्षिक पुरस्कार वितरण, वन महोत्सव आदि ।
जैसे ः १. नीचे दिए गए विषय पर वृत्तांत लेखन कीजिए ः
वृत्तांत लेखन के उदाहरण 2022
विद्यालय में मनाया गया हिंदी दिवस
14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। सरकारी विभागों में हिंदी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। साथ ही हिंदी प्रोत्साहन सप्ताह का आयोजन किया जाता है। स्कूलों में भी हिंदी प्रतियोगिताएं आयोजित करायी जाती है। हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है और इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। हिंदी के महत्व को बताने और इसके प्रचार प्रसार के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर 1953 से प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
1918 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए पहल की थी। गांधी जी ने हिंदी को जनमानस की भाषा भी बताया था। इस पर साल 1949 में स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जिसे भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में बताया गया है कि राष्ट्र की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। क्योंकि यह निर्णय 14 सितंबर को लिया गया था।
इसी वजह से इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया। लेकिन जब राजभाषा के रूप में हिंदी को चुना गया और तो गैर हिन्दी भाषी राज्य खासकर दक्षिण भारत के लोगों ने इसका विरोध किया फलस्वरुप अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। लेकिन आज के समय में हिंदी भाषा लोगों के बीच से कहीं-न-कहीं गायब होती जा रही है और इंग्लिश ने अपना प्रभुत्व जमा लिया है। यदि हालात यही रहे तो वो दिन दूर नहीं जब हिंदी भाषा हमारे बीच से गायब हो जाएगी।
हमें यदि हिंदी भाषा को संजोए रखना है तो इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ाना होगा। सरकारी कामकाज में हिंदी को प्राथमिकता देनी होगी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ये शौचालय बनाये जाएंगे।नगर निगम के मेयर आलोक शर्मा ने कहा कि शहर के मंगलवाड़ा क्षेत्र में ये शौचालय बनाएं जाएंगे।इसकी डिटेल्ट प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर दी गई है।उन्होंने बताया कि यहां के बाद शहर के अन्य इलाकों में भी ऐसे शौचालय बनाएं जाएंगे।शौचलयों मे ऐसे शौचालय बनाएं जाएंगे।शौचलयों में उम्दा सुविधायें लगाई जाएंगी।इसकी लागत 25-30 लाख रुपये होगी।जिन इलाकों में किन्नरों की ज्यादा आबादी होगी,वहां शौचालयों का निर्माण किया जाएगा।
वृत्तांत लेखन के उदाहरण 2022
शिक्षक दिवस पर वृत्तांत लेखन – Shikshak Diwas Par Nibandh
कुछ शिक्षकों के साथ आपके सम्बंध इतने अच्छे होजाते हैं की वह हमें हमेशा याद रहते हैं और कई बार तो सोशल मीडिया के ज़रिये हम उनसे जुड़े भी रहते हैं। एक शिक्षक हमें हमार व्यक्तित्व बनाने या सुधारने में भी बहुत मदद करते हैं। हमारे माता पिता के बाद शिक्षक ही हैं जो एक बच्चे को उसका अच्छा बुरा, सही गलत सिखाते हैं।
हर बच्चे की जिंदगी में शिक्षक का होना बेहद ही आवश्यक है। एक बच्चा अपना बचपन कहीं ना कहीं अपना पूरी तरह अपने माता पिता के अलावा अपने शिक्षकों के साथ ही व्यतीत करता है जिसके कारण एक बच्चे के जीवन को सही आकार देने में माता पिता के अलावा एक शिक्षक का भी बहुत बड़ा हाथ होता है।
एक शिक्षक पढाई को आसान व दिलचस्प बना देते हैं। शिक्षक हमेशा अपने पढ़ाने के तरीकों से पहले ही वाक़िफ़ होता है व सब पहले से त्यार कर कर रखता है ताकि पढ़ाते वक्त कोई परेशानी ना आए।
इससे यही पता चलता है कि हर शिक्षक का एक बच्चे के जीवन में बहुत बड़ा महत्व होता है। शिक्षक एक बच्चे को एक अच्छा इंसान बनाते हैं और उसकी जिंदगी सँवारते हैं। उनका जो यह गुण है उसे कोई बच्चा अपने जिंदगी में कभी नहीं भूल सकता। हम यह भी कह सकते हैं कि एक शिक्षक का महत्व बेहद बड़ा होता है।
वह खुद को कई कुर्दारों में ढाल देते हैं ज़रूरत पड़ने पर जैसे कठोर परिस्थिति में कठोर, दोस्त की ज़रूरत पड़ने पर दोस्त, शिक्षा के समय शिक्षक आदि। परेशान या दुखी होने पर हमारे दोस्त बन जाते हैं व हमारी रक्षा हमारे माता पिता का दर्जा भी ले लेते हैं। इसी तरह एक अच्छा शिक्षक बच्चों की जिंदगी बदल कर सवार देता है।
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