कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th

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कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th

कृति


कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 [अ] तथा प्रश्न 2 [आ] के लिए
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

प्रश्न 1. संजाल पूर्ण कीजिए:
  1
उत्तर:
कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th

प्रश्न 2. कृतियाँ पूर्ण कीजिए:
  2
उत्तर:
कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th
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प्रश्न 3. वाक्य पूर्ण कीजिए:
a. कृषक कमजोर शरीर को ____________
b. कृषक बंजर जमीन को ____________
उत्तर:
[i] कृषक कमजोर शरीर को पत्तियों से पालता है।
[ii] कृषक बंजर जमीन को अपने खून से सींचकर उर्वरा बना देता है।
 

प्रश्न 4. निम्नलिखित पंक्तियों में कवि के मन में कृषक के प्रति जागृत होने वाले भाव लिखिए:

कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th
उत्तर:
कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th


प्रश्न 5. कविता में आए इन शब्दों के लिए प्रयुक्त शब्द हैं:
१. निर्माता - ____________
२. शरीर - ____________
३. राक्षस - ____________
४. मानव - ____________
उत्तर:
१. निर्माता - सृजक
२. शरीर - तन
३. राक्षस - असुर।
४. मानवता - मनुजता।

प्रश्न 6. कविता की प्रथम चार पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
कृषक के अभावों की कोई सीमा नहीं है। परंतु वह संतोष रूपी धन के सहारे अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। पूरे संसार में कैसा भी वसंत आए, कृषक के जीवन में सदैव पतझड़ ही बना रहता है। अर्थात ऋतुएँ बदलती हैं, लोगों की परिस्थितियाँ बदलती हैं, परंतु कृषक के भाग्य में अभाव ही अभाव हैं। ऐसी दयनीय स्थिति के बावजूद उसे किसी से कुछ माँगना अच्छा नहीं लगता। वह हाथ फैलाना नहीं जानता। कृषक को अपनी दीन-हीन दशा पर भी नाज है। मैं ऐसे व्यक्ति पर अभिमान करना चाहता हूँ। कृषक के गीत गाना चाहता हूँ।

प्रश्न 7. निम्न मुद्दों के आधार पर पद्य विश्लेषण कीजिए:
1. रचनाकार कवि का नाम:
2. रचना का प्रकार:
3. पसंदीदा पंक्ति:
4. पसंदीदा होने का कारण:
5. रचना से प्राप्त प्रेरणा:
उत्तर:
[1] रचनाकार का नाम → दिनेश भारद्वाज।
[2] कविता की विधा → गान।
[3] पसंदीदा पंक्ति → हाथ में संतोष की तलवार ले जो उड़ रहा है।
[4] पसंदीदा होने का कारण → अनगिनत अभावों के होते हुए भी कृषक के पास संतोष रूपी धन है।
[5] रचना से प्राप्त संदेश/प्रेरणा → कृषक दिन-रात परिश्रम करके संपूर्ण सृष्टि का पालन करता है। हमें उसके परिश्रम के महत्त्व को समझना चाहिए। उसका सम्मान करना चाहिए।
 

पद्यांश क्र. 1

प्रश्न. निम्नलिखित पठित पट्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

→ कृति 1: [आकलन]

[1] कविता में आए इन शब्दों के लिए प्रयुक्त शब्द हैं:
[i] वसंत
[ii] पाला हुआ
उत्तर:
[i] वसंत - मधुमास
[ii] पाला हुआ - पालित

[2] सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए:
[i] कृषक हाथ में _____________ की तलवार लेकर चल रहा है। [श्रम/संतोष/धन]
[ii] सारे संसार में _____________ और उस पर सदा पतझड़ रहता है। [वसंत/वर्षा/फूल]
[iii] कृषक को अपनी _____________ पर अभिमान है। [मेहनत/गरीबी/दीनता]
[iv] उसके लिए _____________ और छाया एक जैसी है। [धूप/रोशनी/कालिमा]
उत्तर:
[i] कृषक हाथ में संतोष की तलवार लेकर चल रहा है।
[ii] सारे संसार में वसंत और उस पर सदा पतझड़ रहता है।
[iii] कृषक को अपनी दीनता पर अभिमान है।
[iv] उसके लिए धूप और छाया एक जैसी है।

→ कृति 2: [शब्दल]

[1] पद्यांश से प्रत्यय जुड़े हुए दो शब्द ढूँढकर लिखिए:
[i] ______________
[ii] ______________
उत्तर:
[i] दीनता [ii] मनुजता।

[2] निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए:
[i] मधुमास - ______________
[ii] आह्वान - ______________
उत्तर:
[i] मधुमास - वसंत ऋतु
[ii] आह्वान - पुकार।

पद्यांश क्र. 2

प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

→ कृति 1: [आकलन]

[1] संजाल पूर्ण कीजिए:
कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th
उत्तर:
कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th
 

[2] उत्तर लिखिए:
कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th
उत्तर:
कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th

[3] आकृति पूर्ण कीजिए:
[i] कृषक विश्व का यह है
[ii] वह अपने क्षीण तन को इनसे पालता है
[iii] कृषक अपने खून से सींचकर ऊसरों को यह बना देता है
[iv] आज यह पीड़ित होकर रो रही है
उत्तर:
[i] कृषक विश्व का यह है - पालक
[ii] वह अपने क्षीण तन को इनसे पालता है - पत्तियों से
[iii] कृषक अपने खून से सींचकर ऊसरों को यह बना देता है - उर्वर
[iv] आज यह पीड़ित होकर रो रही है - मनुजता

[4] कविता की पंक्तियों को उचित क्रमानुसार लिखकर प्रवाह तख्ता पूर्ण कीजिए:
[i] आज उससे कर मिला, नव सृष्टि का निर्माण कर लूँ।
[ii] छोड़ सारे सुर-असुर, मैं आज उसका ध्यान कर लूँ।
[iii] जोड़कर कण-कण उसी के, नीड़ का निर्माण कर लूँ।
[iv] किंतु अपने पालितों के, पद दलित हो मर रहा है।
उत्तर:
[i] किंतु अपने पालितों के, पद दलित हो मर रहा है।
[ii] आज उससे कर मिला, नव सृष्टि का निर्माण कर लूँ।
[iii] छोड़ सारे सुर-असुर, मैं आज उसका ध्यान कर लूँ।
[iv] जोड़कर कण-कण उसी के, नीड़ का निर्माण कर लूँ।

[5] आकृति पूर्ण कीजिए:
  11
उत्तर:
  कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th
 

→ कृति 2: [शब्द संपदा]

[1] पद्यांश में प्रयुक्त शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए:
[i] …………………
[ii] …………………
उत्तर:
[i] सुर-असुर
[ii] कण-कण।

[2] निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग करके लिखिए:
[i] पालक = _____________
[ii] मनुजता = _____________
[iii] पीड़ित = _____________
[iv] जोड़कर = _____________
उत्तर:
[i] पालक = पाल + क
[ii] मनुजता = मनुज + ता”
[iii] पीड़ित = पीड़ा + इत
[iv] जोड़कर = जोड़ + कर।

[3] पद्यांश में आए इन शब्दों के लिए प्रयुक्त शब्द हैं:
[i] उपजाऊ
[ii] किसान
उत्तर:
[i] उपजाऊ - उर्वरा
[ii] किसान - कृषक

→ कृति 3: [सरल अर्थ]

प्रश्न. पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
देखिए कविता का सरल अर्थ [5]।

पद्य विश्लेषण

सूचना: यह प्रश्नप्रकार कृतिपत्रिका के प्रारूप से हटा दिया गया है। लेकिन यह प्रश्न पाठ्यपुस्तक में होने के कारण विद्यार्थियों के अधिक अभ्यास के लिए इसे उत्तर-सहित यहाँ समाविष्ट किया गया है।

भाषा अध्ययन [व्याकरण]

1. शब्द भेद:
अधोरेखांकित शब्दों के शब्दभेद पहचानकर लिखिए:
[i] हमें अपने देश पर अभिमान है।
[ii] भूकंप में घंटों मलबे के नीचे दबे रहकर भी बच्चा जीवित रहा।
उत्तर:
[i] अभिमान - भाववाचक संज्ञा।
[ii] जीवित - गुणवाचक विशेषण।
 

2. अव्यय:

निम्नलिखित अव्ययों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
[i] बल्कि
[ii] तो।
उत्तर:
[i] सिरचन को लोग पूछते ही नहीं थे, बल्कि उसकी खुशामद भी करते थे।
[ii] लहरें बच्चों का रेत का घर गिरा देती तो वे नया घर बनाने लगते।

3. संधि:

कृति पूर्ण कीजिए


उत्तर:

4. सहायक क्रिया:

निम्नलिखित वाक्यों में से सहायक क्रियाएँ पहचानकर उनका मूल रूप लिखिए:
[i] सामने शेर को देखते ही सभी यात्री काँपने लगे।
[ii] तुम्हारी भाभी ने कहाँ से सीखी हैं?
उत्तर:
सहायक क्रिया - मूल रूप
[i] लगे - लगना
[ii] हैं - होना

5. प्रेरणार्थक क्रिया:

निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए:
[i] चलना
[ii] चमकना
[iii] लिखना।
उत्तर:
क्रिया - प्रथम प्रेरणार्थक रूप - द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
[i] चलना - चलाना - चलवाना
[ii] चमकना - चमकाना - चमकवाना
[iii] लिखना - लिखाना - लिखवाना
 

6. मुहावरे:

[1] निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
[i] चंपत होना
[ii] मन न लगना।
उत्तर:
[i] चंपत होना।
अर्थ: गायब हो जाना।
वाक्य: पुलिस के आते ही चोर चंपत हो गया।

[ii] मन न लगना।
अर्थ: इच्छा न होना।
वाक्य: सिरचन का किसी काम में मन नहीं लग रहा था।

[2] अधोरेखांकित वाक्यांशों के लिए उचित मुहावरे का चयन कर वाक्य फिर से लिखिए: [खून का चूंट पीकर रह जाना, पानी फेरना, पिंड छुडाना]
[i] लालची और निर्लज्ज लोगों से छुटकारा पाना आसान नहीं होता।
[ii] शिवाजी आगरे से भाग निकले, इसलिए औरंगजेब को अपना मन मारकर रह जाना पड़ा।
उत्तर:
[i] लालची और निर्लज्ज लोगों से पिंड छुड़ाना आसान नहीं होता।
[ii] शिवाजी आगरे से भाग निकले, इसलिए औरंगजेब को अपना खून का चूंट पीकर रह जाना पड़ा।


7. कारक:

निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कास्क पहचानकर उनका भेद लिखिए:
[i] मानू फूट-फूटकर रो रही थी।
[ii] सिरचन ने जीभ को दाँत से काटकर दोनों हाथ जोड़ दिए।
उत्तर:
[i] मानू-कर्ता कारक
[ii] दाँत से-करण कारक।

8. विरामचिह्न:

निम्नलिखित वाक्यों में यथास्थान उचित विरामचिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए:
[i] माँ हँसकर कहती जा जा बेचारा मेरे काम में पूजा भोग की बात ही नहीं उठाता कभी
[ii] मानू कुछ नहीं बोली बेचारी किंतु मैं चुप नहीं रह सका चाची और मँझली भाभी की नजर न लग जाए इसमें भी
उत्तर:
[i] माँ हँसकर कहती,“जा-जा बेचारा मेरे काम में पूजा भोग की बात ही नहीं उठाता कभी।”
[ii] मानू कुछ नहीं बोली।…बेचारी! किंतु मैं चुप नहीं रह सका-“चाची और मँझली भाभी की नजर न लग जाए इसमें भी!”
 

9. काल परिवर्तन

निम्नलिखित वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए:
[i] सिरचन को एक सप्ताह पहले ही काम पर लगा दिया। [पूर्ण भूतकाल]
[ii] मानू ससुराल जाती है। [सामान्य भविष्यकाल]
[iii] उनके आशीर्वाद आज भी हमें मिले। [सामान्य वर्तमानकाल]
उत्तर:
[i] सिरचन को एक सप्ताह पहले ही काम पर लगा दिया था।
[ii] मानू ससुराल जाएगी।
[iii] उनके आशीर्वाद आज भी हमें मिलते हैं।

10. वाक्य भेद:

[1] निम्नलिखित वाक्यों का रचना के आधार पर भेद लिखिए:
[i] यह वही लड़का है, जिसे पुरस्कार मिला था।
[ii] मजदूर गड़ढ़ा खोदे और घर चले गए।
उत्तर:
[i] मिश्र वाक्य
[ii] संयुक्त वाक्य।

[2] निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ के आधार पर दी गई सूचना के अनुसार परिवर्तन कीजिए:
[i] गाँव के किसान सिरचन को मजदूरी के लिए नहीं बुलाते। [इच्छावाचक वाक्य]
[ii] तुम्हें समय पर स्कूल जाना चाहिए। [आज्ञावाचक वाक्य]
उत्तर:
[i] काश! गाँव के किसान सिरचन को मजदूरी के लिए नहीं बुलाते।
[ii] तुम समय पर स्कूल जाओ।

11. वाक्य शुद्धिकरण:

निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए:
[i] लोग गंगा नदी को पवीत्र मानते हैं।
[ii] किसी झमाने में यह शहर बहुत आबाद हैं।
उत्तर:
[i] लोग गंगा नदी को पवित्र मानते हैं।
[ii] किसी जमाने में यह शहर बहुत समृद्ध था।

कृषक गान Summary in Hindi

विषय-प्रवेश : प्रस्तुत गीत में गीतकार दिनेश भारद्वाज एक कृषक का महत्त्व प्रतिपादित कर रहे हैं। कृषक, जो कि संपूर्ण संसार का अन्नदाता है, स्वयं अभावों में जीता है। पर किसी के समक्ष हाथ नहीं फैलाता। कवि समाज में उसका सम्मान पूर्ववत स्थापित करना चाहते हैं।

कविता का सरल अर्थ

1. हाथ में संतोष ………………………… का गान कर लूँ।।

कृषक के अभावों की कोई सीमा नहीं है। परंतु उसके पास संतोष रूपी धन है। वह उसी संतोष के सहारे अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। पूरे संसार में कैसा भी वसंत आए, कृषक के जीवन में सदैव पतझड़ ही रहता है। अर्थात ऋतुएँ बदलती हैं, लोगों की परिस्थितियाँ बदलती हैं, परंतु कृषक के भाग्य में अभाव ही अभाव हैं। ऐसी दयनीय स्थिति के बावजूद उसे किसी से कुछ माँगना अच्छा नहीं लगता। कृषक को अपनी दीन-हीन दशा पर भी नाज है। कवि कहते हैं कि में ऐसे व्यक्ति पर अभिमान करना चाहता हूँ। मैं कृषक के गीत गाना चाहता हूँ।

2. चूसकर श्रम रक्त ………………………… का गान कर लूँ।।

कृषक दिन-रात खेतों में काम करता है। अपने रक्त को पसीने के रूप में बहाता है और संपूर्ण जगत को जीवन-रस प्रदान करता है। ईश्वर की बनाई इस सृष्टि में उसके लिए धूप-छाया दोनों एक-सी हैं। मौसम में कैसा भी बदलाव आए, कृषक की स्थिति नहीं बदलती। मैं मानवता के साथ उसका आह्वान करना चाहता हूँ। मैं कृषक के गीत गाना चाहता हूँ।

3. विश्व का पालक  ………………………… का गान कर लूँ।।

कृषक संपूर्ण संसार का अन्नदाता है। वह अन्न उगाकर पूरे विश्व का पालन करता है। लोगों को जीवन देता है। किंतु अफसोस की बात है कि जिन लोगों को वह पालता है, उन्हीं के द्वारा उसे पददलित

किया जाता है। अपमानित किया जाता है। मैं चाहता हूँ कि मैं कृषक का हाथ पकड़कर एक नवीन सृष्टि का निर्माण करूँ, जहाँ लोग उसके महत्त्व को समझें। उसका सम्मान करें। मैं कृषक के गीत गाना चाहता हूँ।

4. क्षीण निज बलहीन ………………………… का गान कर लूँ।।

कृषक को जीवन में पर्याप्त सुविधाएँ नहीं मिल पाती। उसे अपने दुर्बल, क्षीण शरीर को ढकने के लिए कपड़े तक नहीं प्राप्त होते। वह पत्तों से अपना तन ढकने को मजबूर होता है। कृषक ऊसर धरती में जी-तोड़ मेहनत करके, पसीने के रूप में अपने खून को बहाकर उसे उपजाऊ बनाता है। मेरे लिए वह सभी देवी-देवताओं से ऊपर है। मैं चाहता हूँ कि देव-दानवों के स्थान पर कृषक का ही ध्यान करूं, उसी के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करूं। मैं कृषक के गीत गाना चाहता हूँ।

5. यंत्रवत जीवित बना ………………………… का गान कर लूँ।

कृषक एक जीवित मशीन के समान है। वह बिना अपने अधिकार माँगे मशीन की तरह पूरा जीवन काम करता रहता है। उस अन्नदाता, सृष्टि के पालक की दुर्दशा देखकर आज मानवता रो रही है। मैं कण-कण जोड़कर कृषक के लिए एक ऐसे नीड़ का, ऐसे घर का निर्माण करना चाहता हूँ, जहाँ उसे एक अच्छा जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ प्राप्त हों। मैं कृषक के गीत गाना चाहता हूँ।

कृषक गान का स्वाध्याय | कृषक गान स्वाध्याय | krushak gaan swadhyay 10th

जन्म ः १९4३, मुरैना (म.प्र.)
 परिचय ः दिनेश भारद्‌वाज जी की रचनाएँ जमीन से जुड़ी रहती हैं । आपकी रचनाओं में अपने देश की मिट्‌टी की सुगंध आती है । आपकी कहानियाँ, कविताएँ, पत्र-पत्रिकाओं की शोभा बढ़ाती रहती हैं । 
कृतियाँ ः ‘जन्म और जिंदगी’ ‘तृष्‍णा से तृप्ति तक’ (कविता संग्रह), ‘एकात्‍म’ (दोहा संग्रह) आदि 

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हाथ में संतोष की तलवार ले जो उड़ रहा है, 
 जगत में मधुमास,  उसपर सदा पतझर रहा है, 
 दीनता अभिमान जिसका,  आज उसपर मान कर लूँ । 
उस कृषक का गान कर लूँ ।। 

चूसकर श्रम रक्‍त जिसका, जगत में मधुरस बनाया, 
 एक-सी जिसको बनाई, सृजक ने भी धूप-छाया,
 मनुजता के ध्वज तले, आह्‌वान उसका आज कर लूँ । 
उस कृषक का गान कर लूँ ।। 

विश्व का पालक बन जो, अमर उसको कर रहा है, 
किंतु अपने पालितों के, पद दलित हो मर रहा है, 
 आज उससे कर मिला, नव सृष्‍टि का निर्माण कर लूँ ।
 उस कृषक का गान कर लूँ ।। 

क्षीण निज बलहीन तन को, पत्‍तियों से पालता जो, 
ऊसरों को खून से निज, उर्वरा कर डालता जो, 
 छोड़ सारे सुर-असुर, मैं आज उसका ध्यान कर लूँ । 
उस कृषक का गान कर लूँ ।।

 यंत्रवत जीवित बना है, माँगते अधिकार सारे,
रो रही पीड़ित मनुजता, आज अपनी जीत हारे,
 जोड़कर कण-कण उसी के, नीड़ का निर्माण कर लूँ । 
उस कृषक का गान कर लूँ ।। 
(‘गीतों का अवतार’ गीत संग्रह से

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Maharashtra State Board 10th Std Hindi Lokbharti Textbook Solutions
Chapter 1 भारत महिमा
Chapter 2 लक्ष्मी
Chapter 3 वाह रे! हम दर्द
Chapter 4 मन (पूरक पठन)
Chapter 5 गोवा : जैसा मैंने देखा
Chapter 6 गिरिधर नागर
Chapter 7 खुला आकाश (पूरक पठन)
Chapter 8 गजल
Chapter 9 रीढ़ की हड्डी
Chapter 10 ठेस (पूरक पठन)
Chapter 11 कृषक गान

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions दूसरी इकाई

Chapter 1 बरषहिं जलद
Chapter 2 दो लघुकथाएँ (पूरक पठन)
Chapter 3 श्रम साधना
Chapter 4 छापा
Chapter 5 ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)
Chapter 7 महिला आश्रम
Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा
Chapter 9 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
Chapter 10 बूढ़ी काकी (पूरक पऊन)
Chapter 11 समता की ओर
पत्रलेखन (उपयोजित लेखन)
गद्‍य आकलन (उपयोजित लेखन)
वृत्तांत लेखन (उपयोजित लेखन)

कहानी लेखन (उपयोजित लेखन)
विज्ञापन लेखन (उपयोजित लेखन)
निबंध लेखन (उपयोजित लेखन)

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