गोवा जैसा मैंने देखा स्वाध्याय | गोवा जैसा मैंने देखा का स्वाध्याय | Goa Jaisa Maine Dekha Swadhyay 10th
कृति
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
प्रश्न 1. प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए:
29
SOLUTION :
प्रश्न 2. कृति पूर्ण कीजिए:
Q
SOLUTION :
प्रश्न 3. लिखिए
a. नीले पानीवाला पथरीला -
b. रेतीला तथा उथला -
c. सबसे लंबा -
d. मछुआरों की पहली पसंद -
SOLUTION :
[i] नीले पानीवाला पथरीला - अंजुना बीच
[ii] रेतीला तथा उथला - बेनालियम बीच
[iii] सबसे लंबा - कलिंगवुड बीच
[iv] मछुआरों की पहली पसंद - बेनालियम बीच।
प्रश्न 4. सूची बनाइए:
गोवा का प्राकृतिक सौंदर्य दर्शाने वाले वाक्य
१.
२.
३.
४.
SOLUTION :
प्रश्न 5. कृति पूर्ण कीजिए:
SOLUTION :
[1] नवरात्रि की परंपराएँ -
[i] घरों में, गली-मोहल्लों में माँ दुर्गा की घटस्थापना।
[ii] लड़कियों द्वारा गरबा का पर्व मनाना।
[ii] दशहरा की परंपराएँ -
[1] सुबह लोग अपने वाहनों की सफाई करके उनकी पूजा करते हैं।
[2] शाम को भगवान की एक पालकी मंदिर ले जाई जाती है और लोग एक विशेष पेड़ की पत्तियाँ तोड़कर एक-दूसरे को देकर बधाई देते हैं।
प्रश्न 6. ‘बेनालिया’, ‘अंजुना’ तथा ‘कलिंगवुड’ बीच की विशेषताएँ:
SOLUTION :
बेनालियम -
[1] यह बीच उथला और रेतीला है।
[2] यहाँ सुबह-सुबह बड़ी मात्रा में मछलियाँ पकड़ी जाती हैं।
[3] यह बीच मछुआरों की पहली पसंद है।
अंजुना -
[1] यह गहरा और नीले पानीवाला खूबसूरत बीच है।
[2] इस पथरीले बीच के एक ओर लंबी-सी पहाड़ी है।
[3] यह बीच बॉलीवुड की पहली पसंद है। यहाँ कई हिट फिल्मों की शूटिंग हुई है।
कलिंगवुड -
[1] यह काफी रेतीला बीच है।
[2] यह बीच 3 से 4 किमी. तक फैला हुआ है।
[3] यह गोवा का सबसे लंबा बीच है।
प्रश्न 7. सोचिए और लिखिए:
34
SOLUTION :
28
अभिव्यक्ति-
प्रकृति को सुंदर बनाए रखने में मेरा योगदान’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
SOLUTION :
हम इस ब्रह्मांड के सबसे सुंदर, हरियाली से युक्त और बेहद आकर्षक ग्रह धरती पर निवास करते हैं। प्रकृति हम इन्सानों को ईश्वर द्वारा दिया गया सबसे खूबसूरत उपहार है। सुंदर पुष्प, आकर्षक पक्षी, वनस्पति, नीला आकाश, भूमि, समुद्र, जंगल, पर्वत, पठार, सूरज, चाँद इस सुंदर प्रकृति का हिस्सा हैं। स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति बहुत आवश्यक है। मैं इस बात का सदा ध्यान रखता हूँ कि यथासंभव प्रकृति की रक्षा कर सकूँ। मैं जब भी बाहर पार्क या बगीचे में जाता है, अनावश्यक रूप से किसी भी फूल-पत्ते को नहीं तोड़ता।
वहाँ खेलते हुए बच्चों को भी फूल-पत्ते तोड़ने से मना करता हूँ, उन्हें समझाता हूँ। मैं एक स्काउट लीडर हूँ। प्रकृति को बचाने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास करता हूँ। अन्य स्काउट्स के साथ मिलकर रैली निकलवाता हूँ कि घर के बाहर कचरा न फैलाएँ, प्लास्टिक की थैलियों के स्थान पर कपड़े के थैलों का प्रयोग करें।
भाषा बिंद
प्रश्न 1. कोष्ठक में दी गई संज्ञाओं से विशेषण संलग्न हैं। नीचे दी गई सारिणी में संज्ञा तथा विशेषणों को भेदों सहित लिखिए: [भयभीत गाय, नीला पानी, दस लीटर दूध, चालीस छात्र, कुछ लोग, दो गज जमीन, वही पानी, यह लड़का]
SOLUTION :
प्रश्न 2. उपर्युक्त संज्ञा-विशेषणों की जोड़ियों का स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
SOLUTION :
[i] भयभीत गाय - लाठियों के डर से भयभीत गाय इधर-उधर दौड़ रही थी।
[ii] नीला पानी - झील का नीला पानी चाँद की रोशनी में चमक रहा था।
[iii] दस लीटर दूध - हमारी गाय दोनों समय दस लीटर दूध देती है।
[iv] चालीस छात्र - स्वाति की कक्षा में चालीस छात्र हैं।
[v] कुछ लोग - छत पर कुछ लोग चहलकदमी कर रहे हैं।
[vi] दो गज जमीन - औरंगजेब सारी उम्र युद्ध करता रहा। अंत में उसे अपनी दिल्ली में दो गज जमीन भी नहीं मिली।
[vii] वही पानी - यह वही पानी है, जो कल भरा था।
[viii] यह लड़का - यह लड़का चोर नहीं है।
प्रश्न 3. पाठ में प्रयुक्त विशेषणों को ढूँढ़कर उनकी सूची बनाइए।
SOLUTION :
समुद्री
खूबसूरत
सफेद
सांस्कृतिक
शांत
शीतल
स्थानीय
रोमांचक
सुस्वादु
शाकाहारी।।
प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्यों में आई हुईं सहायक क्रियाओं को अधोरेखांकित कीजिए तथा उनका अर्थपूर्ण वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
[i]. टैक्सी एक पतली-सी सड़क पर दौड़ पड़ी।
वाक्य = ……………………………..
[ii]. शरीर को कुछ समय के लिए विश्राम मिल जाता है।
वाक्य = ……………………………..
[iii]. हम आराम करने के इरादे से अपने-अपने स्यूट चले गए।
वाक्य = ……………………………..
[iv]. फिर भी धूप तीखी ही होती जाती है।
वाक्य = ……………………………..
[v]. सबके बावजूद यह अपने में एक सांस्कृतिक विरासत भी समेटे हुए हैं।
वाक्य = ……………………………..
[vi]. इधर बच्चे रेत का घर बनाने लगे।
वाक्य = ……………………………..
[vii]. अब समुद्र स्याह और भयावह दिखने लगा।
वाक्य = ……………………………..
[viii]. यहाँ सुबह-सुबह बड़ी मात्रा में मछलियाँ पकड़ी जाती हैं।
वाक्य = ……………………………..
SOLUTION :
[i] टैक्सी एक पतली-सी सड़क पर दौड़ पड़ी।
वाक्य - गोली की आवाज सुनकर उड़ती हुई चिड़िया नीचे गिर पड़ी।
[ii] शरीर को कुछ समय के लिए विश्राम मिल जाता है।
वाक्य - सरदियों में सूरज जल्दी छिप जाता है।
[iii] हम आराम करने के इरादे से अपने-अपने स्यूट में चले गए।
वाक्य - बिटिया के विदा होते ही सारे मेहमान चले गए।
[iv] फिर भी धूप तीखी ही होती है।
वाक्य - प्रातःकाल आकाश की आभा मनोरम होती है।
[v] सबके बावजूद यह अपने में एक सांस्कृतिक विरासत भी समेटे हुए है।
वाक्य - जल्दी कक्षा में पहुँचो, विद्यार्थी खाली बैठे हुए हैं।
[vi] इधर बच्चे रेत का घर बनाने लगे।
वाक्य - पिता जी तेजी से दौड़ने लगे।
[vii] अब समुद्र स्याह और भयावह दिखने लगा।
वाक्य - बेटा, अब उठो। सूरज दिखने लगा।
[viii] यहाँ सुबह-सुबह बड़ी मात्रा में मछलियाँ पकड़ी जाती हैं।
वाक्य - गुजरात में मकर संक्रांति के दिन सुबह से रात तक पतंग उड़ाई जाती हैं।
प्रश्न 5. पाठ में प्रयुक्त दस सहायक क्रियाएँ छाँटकर लिखिए।
SOLUTION :
- हो उठता है।
- चले आते हैं।
- देते हैं।
- जा पहुँचा।
- हो गए।
- रुक गई।
- पकड़े हुए है।
- भाग रहे थे।
- दौड़ पड़ी।
- बटौं हुआ है।
उपयोजित लेखन-
विजय/विजया मोहिते, वरदा सोसाइटी, विजयनगर, कोल्हापुर से व्यवस्थापक, औषधि भंडार, नागपुर को पत्र लिखकर आयुर्वेदिक औषधियों की माँग करता/करती है।
SOLUTION :
5/7/2020
सेवा में,
व्यवस्थापक महोदय,
औषधि भंडार,
नागपुर।
विषय: आयुर्वेदिक औषधियाँ मँगाने के लिए पत्र।
महोदय,
मैं कोल्हापुर निवासी विजय/विजया हूँ। मुझे कुछ आयुर्वेदिक औषधियों की आवश्यकता है, जो हमारे यहाँ उपलब्ध नहीं हैं। कृपया आप निम्नलिखित औषधियाँ शीघ्रातिशीघ्र भेजकर अनुगृहीत
करें:
[1] कायम चूर्ण 10 शीशी [50 ग्राम]
[2] सुदर्शन धनवटी 3 शीशी [50 ग्राम]
[3] खदिरादि वटी 2 शीशी [50 ग्राम]
[4] शीतोपलादि चूर्ण 5 शीशी [50 ग्राम]
औषधियाँ मिलने पर आपको बैंक ड्राफ्ट द्वारा राशि भेज दी जाएगी।
धन्यवाद।
भवदीया,
विजय/विजया मोहिते
वरदा सोसाइटी,
कोल्हापुर।
ई-मेल आईडी: Nirmal@xyz.com
लक्ष्मी स्वाध्याय | लक्ष्मी पाठ का स्वाध्याय | lakshmi Swadhyay 10th
कृतिपत्रिका के प्रश्न 1 [अ] तथा प्रश्न 1 [आ] के लिए]
गद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
प्रश्न 1. आकृति पूर्ण कीजिए:
SOLUTION :
1
SOLUTION :
प्रश्न 2. गलत वाक्यों को सही करके लिखिए:
[i] देश के मध्य में स्थित होने के कारण यह छोटा-सा राज्य प्रत्येक पर्यटक के दिल की धड़कन है।
[ii] शीतल हवा के झोंकों से मन प्रसन्न हो गया और यात्रा की चिंता मिट गई।
SOLUTION :
[i] देश के एक कोने में स्थित होने के कारण यह छोटा-सा राज्य प्रत्येक पर्यटक के दिल की धड़कन है।
[ii] शीतल हवा के झोंकों से मन प्रसन्न हो गया और यात्रा की सारी थकान मिट गई।
प्रश्न 3. संजाल पूर्ण कीजिए: [बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका]
प्रश्न 4. एक-दो शब्दों में SOLUTION : लिखिए: [बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका]
[i] लेखक का ध्यान अपनी ओर खींचने वाला - [ ]
[ii] समस्याओं से निजात पाने का सबसे अच्छा तरीका - [ ]
[iii] लेखक के सफर का साधन - [ ]
[iv] लेखक के मड़गाँव में पहुँचने का दिन - [ ]
SOLUTION :
कृति 2: [आकलन]
प्रश्न 1. आकृति पूर्ण कीजिए:
6
SOLUTION :
प्रश्न 2.
SOLUTION : लिखिए:
SOLUTION
कृति 3: [शब्द संपदा]
प्रश्न 1. गद्यांश में प्रयुक्त २ प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए। - [बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका]
[i] _____________
[ii] _____________
SOLUTION :
[i] तरंगायित
[ii] प्रत्येक
प्रश्न 2.निम्नलिखित शब्दों को वर्तनी के नियमानुसार लिखिए:
[i] त्रंगाइत
[ii] आर्कषन
[iii] ओप्चारिक
[iv] खानपुर्ती।
SOLUTION :
[i] गाइत -तरंगायित
[ii] आर्कषन -आकर्षण
[iii] ओप्चारिक -औपचारिक
[iv] खानपुर्ती -खानापूर्ति।
प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द गद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए: [बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका]
[i] अप्रसन्न x _____________
[ii] बुरा x _____________
SOLUTION :
[i] अप्रसन्न x प्रसन्न
[ii] बुरा x अच्छा।
कृति 4: [स्वमत अभिव्यक्ति]
प्रश्न. ‘आनंद प्राप्ति का साधन: पर्यटन’ विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए। [बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका]
SOLUTION :
पर्यटन से हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है। किसी स्थान के बारे में पढ़कर जानकारियाँ प्राप्त करने और उसे प्रत्यक्ष देखने में अंतर होता है। यह सुख हमें पर्यटन से प्राप्त होता है। पर्यटन से हमें भिन्नभिन्न प्रदेशों और देशों के प्रसिद्ध स्थलों एवं धरोहरों को देखने का अवसर मिलता है। उनकी संस्कृतियों, उनके रहन-सहन और रीतिरिवाजों को प्रत्यक्ष देखने का मौका मिलता है। इससे हम एक-दूसरे के करीब आते हैं। वहाँ हुए विकास कार्यों से प्रेरणा लेते हैं। इसके अतिरिक्त पर्यटन से अपने रोजमर्रा के कार्यों से कुछ दिन दूर रहने और निश्चित होकर देश-दुनिया को देखने, उससे कुछ सीखने और अपने आप में सुधार करने तथा तनावों से मुक्त रहने का अवसर मिलता है। इस तरह पर्यटन निश्चित रूप से आनंद प्राप्ति का एक सुंदर और मनोरंजक साधन है।
गद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
ति 1: [आकलन]
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए:
[i] गोवा की __________________ बड़ी अच्छी होती है। [सुबह/शाम/रात]
[ii] __________________ सागर देखने का उत्साह बढ़ता जा रहा था। [अरब/हिंद/बंगाल]
[iii] यही __________________ का सत्य भी है। [लोगों/दुनिया/जीवन]
[iv] __________________ सुस्ताने के लिए किनारे पर बैठ जाते हैं। [कुत्ते/पक्षी/लोग]
SOLUTION :
[i] गोवा की शाम बड़ी अच्छी होती है।
[ii] अरब सागर देखने का उत्साह बढ़ता जा रहा था।
[iii] यही जीवन का सत्य भी है।
[iv] पक्षी सुस्ताने के लिए किनारे पर बैठ जाते हैं।
प्रश्न 2. वाक्य पूर्ण कीजिए:
[i] फिर भी धंसे हुए पैरों को __________________
[ii] मानो, लहर कह रही हो कि __________________
SOLUTION :
[i] फिर भी धंसे हुए पैरों को पूरी ताकत से उठा-उठाकर भाग रहे थे।
[ii] मानो, लहर कह रही हो कि बनने के बाद मिटना ही नियति है।
प्रश्न 3.आकृति पूर्ण कीजिए:
[i] [1] लहरों की आवाज - [ ]
[2] बच्चों से मिली सीख - [ ]
[ii]
SOLUTION :
[i] [1] लहरों की आवाज - रणभेरी जैसी।
[2] बच्चों से मिली सीख - जीवन में आशावाद हो, तो कोई काम असंभव नहीं
[ii]
ति 2: [आकलन]
प्रश्न 1. आकृति पूर्ण कीजिए:
[i] खूबसूरत यह देखते ही मैं उससे जाकर लिपट गया
[ii] बहुत ही खूबसूरत और शांत जगह है यह -
[ii] तभी अचानक इनकी आवाज सुनाई दी
[iv] जल्दी-जल्दी चलने के बाद भी यह तय नहीं हो पा रही थी
SOLUTION :
[i] खूबसूरत यह देखते ही मैं उससे जाकर लिपट गया - [समुंदर]
[ii] बहुत ही खूबसूरत और शांत जगह है यह - [बेनालियम]
[iii] तभी अचानक इनकी आवाज सुनाई दी - [लहरों की]
[iv] जल्दी-जल्दी चलने के बाद भी यह तय नहीं हो पा रही थी - [दूरी]
प्रश्न 2.
SOLUTION : लिखिए:
SOLUTION
कृति 3: [शब्द संपदा]
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों का वचन बदलकर लिखिए:
[i] हवा
[ii] मछली
[ii] लहर
[iv] बच्चे।
SOLUTION :
[i] हवा - हवाएँ
[ii] मछली - मछलियाँ
[iii] लहर - लहरें
[iv] बच्चे - बच्चा
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए:
[i] जगह
[ii] रेत
[iii] जीवन
[iv] सड़क।
SOLUTION :
[i] जगह - स्त्रीलिंग
[ii] रेत - पुल्लिग
[iii] जीवन - पुल्लिंग
[iv] सड़क - स्त्रीलिंग।
प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए:
[i] शांत
[ii] मुश्किल
[iii] शाम
[iv] खूबसूरत।
SOLUTION :
[i] शांत x अशांत
[ii] मुश्किल x आसान
[iii] शाम x सुबह
[iv] खूबसूरत X बदसूरत।
कृति 4: [स्वमत अभिव्यक्ति]
प्रश्न. ‘गोवा की शाम’ के विषय में अपने विचार लिखिए।
SOLUTION :
भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर बसे गोवा की खूबसूरती के समान यहाँ की शामें भी अद्भुत होती हैं। जैसे-जैसे शाम होती है, गोवा मस्ती में डूबने लगता है। सागर के तट पर चाँदी जैसी रेत, नीलम जैसा पानी, चर्च, नारियल के पेड़ों का सौंदर्य मन को मोह लेता है। दूर-दूर तक विदेशी सैलानियों की भीड़ दिखाई देती है, कोई उछल रहा है, कोई कूद रहा है, कोई नाच रहा है। बीच पर तरह-तरह के वॉटर स्पोर्ट्स चल रहे हैं।
कहीं मोटरबोट राइडिंग हो रही है, तो कहीं पैराशूट राइडिंग। सैलानियों के लिए क्रूज एक अलग ही आकर्षण होता है। क्रूज अर्थात एक छोटे से स्टीमर में सौ-डेढ़ सौ लोग संगीत की तेज धुन पर थिरकते हुए। यह स्टीमर करीब एक घंटे की घुमावदार परिक्रमा कराता है।
गद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
प्रश्न 1. जोड़ियाँ मिलाइए:
SOLUTION :
प्रश्न 2. आकृति पूर्ण कीजिए:
प्रश्न 3. संजाल पूर्ण कीजिए:
Q1
SOLUTION :
कृति 2: [आकलन]
प्रश्न 1. विधानों के सामने सत्य/असत्य लिखिए:
[i] पानी नीले पत्थरों पर पछाड़ खाता रहता है।
[ii] पानी ने काट-काटकर पत्थरों में छेद कर दिए हैं।
[iii] गोवा की सारी मछलियाँ निर्यात कर दी जाती हैं।
[iv] हम लोग दिन भर पणजी शहर देखते रहे।
SOLUTION :
[i] असत्य
[ii] सत्य
[iii] असत्य
[iv] सत्य।
कृति 3: [शब्द संपदा]
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए:
[i] समुद्र
[ii] पानी
[iii] पत्थर
[iv] किनारा।
SOLUTION :
[i] समुद्र - जलधि
[ii] पानी - सलिल
[iii] पत्थर - पाषाण
[iv] किनारा - तट।
प्रश्न 2. गद्यांश में प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द ढूँढकर लिखिए।
[i] ____________
[ii] ____________
[iii] ____________
[iv] ____________
SOLUTION :
[i] शूटिंग
[ii] फिल्म
[iii] बॉलीवुड
[iv] बीच।
प्रश्न 3. गद्यांश में प्रयुक्त प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढ़कर उनके मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए।
[i] ____________
[ii] ____________
[iii] ____________
[iv] ____________
SOLUTION :
शब्द - मूल शब्द - प्रत्यय
[i] पथरीला - पत्थर - ईला
[ii] पहाड़ी - पहाड़ - ई
[iii] स्थानीय - स्थान - ईय
[iv] व्यावसायिक - व्यवसाय - ई
गद्यांश क्र. 4
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए:
[i] आप भी अपनी ______________ के अनुसार हाथ आजमा सकते हैं। [इच्छा/जेब/रुचि]
[ii] हम यानी मैं और मेरी ______________ दोनों डर भी रहे थे। [पत्नी/बिटिया/माँ]
[iii] कोलबा बीच पर हमने ______________ मछलियाँ देखीं। [व्हेल/डॉल्फिन/शार्क]
[iv] शाम को भगवान की एक ______________ मंदिर ले जाई जाती है। [मूर्ति/फोटो/पालकी]
SOLUTION :
[i] आप भी अपनी रुचि के अनुसार हाथ आजमा सकते हैं।
[ii] हम यानी मैं और मेरी पत्नी दोनों डर भी रहे थे।
[iii] कोलबा बीच पर हमने डॉल्फिन मछलियाँ देखीं।
[iv] शाम को भगवान की एक पालकी मंदिर ले जाई जाती है।
प्रश्न 2. कारण लिखिए:
उत्तर:
कृति 2: [आकलन]
प्रश्न 1. संजाल पूर्ण कीजिए:
23
SOLUTION :
कृति 3: [शब्द संपदा]
प्रश्न 1. सोचिए और लिखिए:
प्रश्न 2. गद्यांश में प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द ढूंढकर लिखिए।
[i] _____________
[ii] _____________
[iii] _____________
[iv] _____________
SOLUTION :
[i] बोटिंग
[ii] वॉटर
[iii] स्पोर्ट्स
[iv] पैराग्लाइडिंग।
प्रश्न 3. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
[i] _____________
[ii] _____________
[iii] _____________
[iv] _____________
SOLUTION :
[i] रचा-बसा
[ii] अपनी-अपनी
[iii] एक-दूसरे
[iv] घूमना-फिरना।
कृति 4: [स्वमत अभिव्यक्ति]
प्रश्न. ‘गोवा की संस्कृति’ के विषय में 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
SOLUTION :
सुरम्य सागरतट पर बसा गोवा प्रांत अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनूठी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की संस्कृति काफी प्राचीन है। आजादी से पहले गोवा पुर्तगाल और फ्रांस का उपनिवेश था। इस वजह से आज भी यहाँ के रहन-सहन, खान-पान पर पश्चिमी संस्कृति का पूरा प्रभाव दिखाई देता है। यहाँ लगभग 80 प्रतिशत लोग ईसाई हैं।
गोवा की एक खास बात यह है कि यहाँ के ईसाई समाज में भी हिंदुओं जैसी जाति व्यवस्था पाई जाती है। दक्षिण गोवा में ईसाई समाज का प्रभाव अधिक है, लेकिन वहाँ के वास्तुशास्त्र में हिंदू प्रभाव दिखाई देता है। गोवा में अत्यंत प्राचीन मंदिर पाए जाते हैं, जबकि SOLUTION : गोवा में पुर्तगाली वास्तुकला के नमूने ज्यादा दृष्टिगोचर होते हैं।
भाषा अध्ययन [व्याकरण]
प्रश्न. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
1. शब्द भेद:
अधोरेखांकित शब्दों का शब्दभेद पहचानकर लिखिए:
[i] मैं उनसे पूछने लगा।
[ii] हम मड़गाँव 23 नवंबर को पहुंचे।
SOLUTION :
[i] उनसे - पुरुषवाचक सर्वनाम।
[ii] मड़गाँव - व्यक्तिवाचक संज्ञा।
2. अव्यय:
निम्नलिखित अव्ययों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
[i] वहाँ
[ii] कभी-कभी।
SOLUTION :
[i] वहाँ! एक मजेदार दृश्य देखने को मिला।
[ii] कभी-कभी कोई जल-पक्षी कुत्तों का शिकार बन जाता है।
3. संधि:
कृति पूर्ण किजिए:
संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
स्वच्छ ___________ ___________
अथवा
सत् + आचार ___________ ___________
SOLUTION :
4. सहायक क्रिया:
निम्नलिखित वाक्यों में से सहायक क्रियाएँ पहचानकर उनका मूल रूप लिखिए:
[i] हम सभी समुद्र की ओर दौड़ पड़े।
[ii] हम दिन भर पणजी शहर देखते रहे।
SOLUTION :
सहायक क्रिया - मूल रूप
[i] पड़े - पड़ना
[i] रहे - रहना
5. प्रेरणार्थक क्रिया:
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए:
[i] सुनना
[ii] बनना
[iii] झुकना।
SOLUTION :
6. मुहावरे:
[1] निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
[i] शिकार होना
[ii] दीवार टूट जाना।
SOLUTION :
[i] शिकार होना।
अर्थ: पीड़ित होना।
वाक्य: पुराने जमाने में न जाने कितने गरीब जींदारों के अत्याचारों के शिकार हो जाते थे।
[ii] दीवार टूट जाना।
अर्थ: अड़चन समाप्त हो जाना।
वाक्य: स्त्रियों को समानता का अधिकार मिल जाने से सभी स्त्री-पुरुष के बीच असमानता की दीवार टूट गई।
[2] अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए कोष्ठक में दिए गए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए: [कान पक जाना, भनक पड़ना, कान पकड़ना] थानेदार ने उड़ती हुई बात सुनी कि गाँव में डाकू आने वाले हैं।
SOLUTION :
भनक पड़ना। वाक्य: थानेदार के कान में भनक पड़ी कि गाँव में डाकू आने वाले हैं।
7. कारक:
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारक पहचानकर उनका भेद ‘लिखिए:
[i] गोवा की मांडवी नदी वर्ष भर पानी से भरी रहती है।
[ii] गोवा राज्य दो भागों में बँटा हुआ है।
SOLUTION :
[i] पानी से-करण कारक।
[ii] भागों में-अधिकरण कारक।
8. विरामचिह्न:
निम्नलिखित वाक्यों में यथास्थान उचित विरामचिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए:
[i] दूर दूर तक पानी ही पानी तेज हवा और रस्सियों से हवा में लटके हम
[ii] गोवा यह नाम सुनते ही सभी का मन तरंगायित हो उठता है और हो भी क्यों न यहाँ की प्रकृति आबोहवा जीवनशैली ही ऐसी है
SOLUTION :
[i] दूर-दूर तक पानी-ही-पानी, तेज हवा और रस्सियों से हवा में लटके हम।
[ii] गोवा ! यह नाम सुनते ही सभी का मन तरंगायित हो उठता है और हो भी क्यों न, यहाँ की प्रकृति, आबोहवा जीवनशैली ही ऐसी है।
9. काल परिवर्तन:
निम्नलिखित वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए:
[i] मंत्री जी ने लोगों को एक मशवरा दिया। [पूर्ण वर्तमानकाल]
[ii] गोवा में मुझे मेरे पुराने अध्यापक मिले थे। [सामान्य भूतकाल]
SOLUTION :
[i] मंत्री जी ने लोगों को एक मशवरा दिया है।
[ii] गोवा में मुझे मेरे पुराने अध्यापक मिले।
10. वाक्य भेद:
[1] रचना के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों का भेद पहचानकर लिखिए:
[i] सबकी अपनी-अपनी सांस्कृतिक परंपरा है।
[ii] डॉल्फिन मछलियाँ छोटी थीं पर बच्चों को आनंद आया।
SOLUTION :
[i] सरल वाक्य
[ii] संयुक्त वाक्य।
[2] निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ के आधार पर दी गई सूचना के अनुसार परिवर्तन कीजिए:
[i] पर्यटन का अपना ही आनंद है। [विस्मयवाचक]
[ii] आशावाद हो तो हर काम संभव है। [निषेधवाचक]
SOLUTION :
[i] वाह! पर्यटन का अपना ही आनंद है।
[ii] आशावाद हो तो कोई काम असंभव नहीं है।
11. वाक्य शुद्धिकरण:
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए:
[i] भाषा ईश्वर का बड़ा देन है।
[ii] पैसेवाली व्यक्ति कटु बोलती है।
SOLUTION :
[i] भाषा ईश्वर की बड़ी देन है।
[ii] पैसेवाला व्यक्ति कटु बोलता है।
उपक्रम/कृति/परियोजना
प्रश्न. गोवा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की जानकारी पदिए और कालानुक्रम के अनुसार प्रमुख घटनाओं की तालिका बनाइए।
SOLUTION :
गोवा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
प्रश्न. गोवा की प्राकृतिक सुंदरता पर संवाद प्रस्तुत कीजिए।
SOLUTION :
गोवा की प्राकृतिक सुंदरता पर दो सहेलियों के बीच संवाद:
रुचि: नीनू, बहुत दिनों बाद दिखी। कैसी हो? कहीं बाहर गई थी क्या?
नीनू: हाँ रुचि, हम लोग एक सप्ताह के लिए गोवा गए थे।
रुचि: गोवा! नीनू मैंने सुना है कि गोवा बहुत सुंदर है।
नीनू: सच सुना है रुचि। गोवा इतना सुंदर है कि मेरा तो मन करता था कि वहाँ से वापस ही नहीं आऊँ।
रुचि: मुझे भी तो कुछ बताओ।
नीनू: रुचि, गोवा अपने समुद्र तटों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। साफ नीला पानी, लंबे समुद्र तट, चमचमाती रेत और नारियल के वृक्ष यहाँ की विशेषता है। गोवा में इतनी अधिक हरियाली है कि ऐसा लगता है मानो घरती ने हरी चादर ओढ़ रखी है।
रुचि: ओह! सुनकर ही कितना अच्छा लग रहा है।
नीनू: गोवा के लोग प्रकृति से बहुत प्रेम करते हैं। छोटे-से छोटे घर के आगे भी सुंदर-सुंदर फूल-पौधे जरूर होते हैं। वहाँ बड़ा शांत और मनोरंजक वातावरण है।
रुचि: गोवा के समुद्र तट के बारे में कुछ और बताओ न।
नीनू: वहाँ सागर से आसमान देखकर लगता है मानो नीला आसमान पानी से मिल रहा है। प्रातःकाल में उगता हुआ सूरज ऐसा लगता है, मानो समुद्र में से ही उग रहा हो। इसी तरह सूर्यास्त के समय सूरज का लाल गोला धीरे-धीरे नीचे जाता हुआ अचानक समुद्र में डूबता-सा लगता है। जैसे-जैसे शाम होती है, समुद्र की लहरों का ऊँचा उठन्य शुरू हो जाता है।
गोवा जैसा मैंने देखा Summary in Hindi
गोवा जैसा मैंने देखा विषय-प्रवेश :
प्रस्तुत यात्रा निबंध में विनय शर्मा ने भारत के पश्चिमी तट पर बसे गोवा की प्राकृतिक सुंदरता, वहाँ के लोगों की जीवन शैली, त्योहारों तथा समुद्र तटों का मनोरम, मनोहारी चित्रण किया है। यहाँ के समुद्र तट पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र बिंदु हैं। पश्चिमी फैशन के साथ अपने आप को ढालते हुए भी गोवा अपनी भारतीय परंपरा और सभ्यता को नहीं भूला है।
गोवा जैसा मैंने देखा मुहावरे - अर्थ
- मन तरंगायित होना - मन उमंग से भरना।
- निजात पाना - मुक्ति पाना।
- दो - चार होना - जूझना।
- जेब ढीली होना - जेब खाली होना, बहुत खर्च होना।
गोवा जैसा मैंने देखा स्वाध्याय | गोवा जैसा मैंने देखा का स्वाध्याय | Goa Jaisa Maine Dekha Swadhyay 10th
परिचय
जन्म ः १९७३, उज्जैन (म.प्र.)
परिचय ः विनय शर्मा का अधिकांश लेखन उनके अनुभवों पर आधारित रहा है। आपकी रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में नियमित छपती रहती हैं । यात्रा वत्तां ृ त आपकी पसंदीदा विधा है । साथ ही आपने व्यंग्य और ललित निबंध भी लिखे हैं ।
कृतियाँ ः ‘आनंद का उद्गम अमरकंटक’ (ललित निबंध), ‘चित्र की परीक्षा’ (व्यंग्य), ‘अमरनाथ
यात्रा ः प्रकृति के बीच’ ‘कोइंबतूर में कुछ दिन’(यात्रा वत्तां ृ त) आदि ।
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गोवा ! यह नाम सुनते ही सभी का मन तरंगायित हो उठता है और हो भी क्यों न, यहाँ की प्रकृति, आबोहवा और जीवनशैली का आकर्षण ही ऐसा है कि पर्यटक खुद-ब-खुद यहाँ खिंचे चले आते हैं। देश के एक काेने में स्थित होने के बावजूद यह छोटा-सा राज्य प्रत्येक पर्यटक के दिल की धड़कन है । यही कारण है कि मैं भी अपने परिवार के साथ इंदौर से गोवा जा पहुँचा। खंडवा से मेरे साढ़ू साहब भी सपरिवार हमारे साथ शामिल हो गए ।
२३ नवंबर को जब ‘गाेवा एक्सप्रेस’ मड़गाँव रुकी तो सुबह का उजास हो गया था । एक टैक्सी के हॉर्न ने मेरा ध्यान उसकी ओर खींचा और हम फटाफट उसमें बैठ गए । टैक्सी एक पतली-सी सड़क पर दौड़ पड़ी । शीतल हवा के झोंकों से मन प्रसन्न हो गया और यात्रा की सारी थकान मिट गई । मैं सोचने लगा कि पर्यटन का भी अपना ही आनंद है । जब हम जीवन की कई सारी समस्याओं से जूझ रहे हों तो उनसे निजात पाने का सबसे अच्छा तरीका पर्यटन ही है । बदले हुए वातावरण के कारण मन तरोताजा हो जाता है तथा शरीर को कुछ समय के लिए विश्राम मिल जाता है ।
कुछ देर बाद हमारी टैक्सी मडगाँव से पाँच किमी दूर दक्षिण में स्थित कस्बा बेनालियम के एक रिसॉर्ट में आकर रुक गई । यह रिसॉर्टहमने पहले से बुक कर लिया था । इसलिए औपचारिक खानापूर्ति कर हम आराम करने के इरादे से अपने-अपने स्यूट मंे चले गए। इससे पहले कि हम कमरों से बाहर निकलें, मैं आपको गाेवा की कुछ खास बातें बता दूँ । दरअसल, गोवा राज्य दो भागों में बँटा हुआ है । दक्षिण गोवा जिला तथा उत्तर गोवा जिला । इसकी राजधानी पणजी मांडवी नदी के किनारे स्थित है ।
यह नदी काफी बड़ी है तथा वर्षभर पानी से भरी रहती है । फिर भी समुद्री इलाका होने के कारण यहाँ मौसम में प्रायः उमस तथा हवा में नमी बनी रहती है । शरीर चिपचिपाता रहता है लेकिन मुंबई जितना नहीं, क्योंकि यहाँ का क्षेत्र हरीतिमा से भरपूर है फिर भी धूप तो तीखी ही होती है । यांे तो गोवा अपने खूबसूरत सफेद रेतीले तटों, महँगे होटलों तथा खास जीवन शैली के लिए जाना जाता है लेकिन इन सबके बावजूद यह अपने में एक सांस्कृतिक विरासत भी समेटे हुए ह । ैं यहाँ की शाम बड़ी अच्छीहोती है तो चलो, इस शाम का आनंद लेने के लिए बेनालियम बीच की ओर चलें । आप भी चलें क्योंकि बहुत ही खूबसूरत तथा शांत जगह है बेनालियम । दिन भर की थकान तथा उमस भरी गरमी के बाद शाम को बीच पर जाना बड़ा अच्छा लग रहा था ।
रिसॉर्ट से बीच की दूरी कोई एक किमी ही थी लेकिन जल्दी-जल्दी चलने के बाद भी यह दूरी तय हो ही नहीं पा रही थी । अरब सागर देखने का उत्साह बढ़ता ही जा रहा था । तभी अचानक लहरों की आवाज सुनाई दी जो किसी रणभेदी की तरह थी । हम सभी दौड़ पड़े । सड़क पीछे छूट गई थी इसलिए रेत पर तेजी से दौड़ना मुश्किल हो रहा था, फिर भी धँसे हुए पैरों को पूरी ताकत से उठा-उठाकर भाग रहे थे । खूबसूरत समुंदर देखते ही मैं उससे
जाकर लिपट गया । इधर बच्चे रेत का घर बनाने में जुट गए। लहरें उनका घर गिरा देतीं तो वे दूसरी लहर आने के पहले फिर नया घर बनाने में जुट जाते। यही क्रम चलता रहा । मैंने इन बच्चों से सीखा कि जीवन में आशावाद हो तो कोई काम असंभव नहीं है । शाम गहराने पर हम किनारे पर बैठ गए। मानो हर लहर कह रही हो कि बनने के बाद मिटना ही नियति है । यही जीवन का सत्य भी है ।
यहाँ एक मजेदार दृश्य भी देखने को मिला । लहरों की आवाज के बीच पक्षियों की टीं-टीं-टीं की आवाज भी आपका ध्यान अपनी ओर खींच लेती है । दरअसल, ये पक्षी लहरों के साथ बहकर आई मछलियों का शिकार करने के लिए किनारे पर ही मँड़राते रहते हैं लेकिन जब तेज हवा के कारण एक ही दिशा में सीधे नहीं उड़ पाते हैं तो सुस्ताने के लिए किनारे पर बैठ जाते हैं । यहाँ बैठे कुत्तों को इसी बात का इंतजार रहता है । मौका मिलते ही वे इनपर झपट पड़ते हैं लेकिन बेचारे कुत्तों काे सफलता कम ही मिल पाती है । पक्षियों का बैठना, कुत्तों का दौड़ना और पक्षियाें का टीं-टीं-टीं कर उड़ जाना, यह दृश्य सैलानियों का अच्छा मनोरंजन करता है ।
इधर जैसे ही सूर्य देवता ने विदा ली वैसे ही चंद्रमा की चाँदनी में नहाकर समुद्र का नया ही चेहरा नजर आने लगा । अब समुद्र स्याह और भयावह दिखने लगा । अगले दिन हमने बस से गाेवा घूमने की योजना बनाई । वैसे घूमने-फिरने के लिए यहाँ बाइक आदिकिराए पर मिल जाती है औरउनपर ही घूमने का मजा भी आता है लेकिन बच्चों के कारण हमने बस से जाना मुनासिब समझा । यहाँ ‘सी फूड’ की अधिकता होने के कारण शाकाहारी पर्यटकों को सुस्वादु भोजन की समस्या से भी दो-चार होना पड़ता है । काफी भटकने के बाद अच्छा भोजन मिल गया तो समझो किस्मत और जेब तो ढीली हो ही गई । यह समस्या हमें पहले से पता थी । इसलिए हम
अपने रिसॉर्ट के स्यूट में उपलब्ध किचन में ही भोजन करते थे। सबसे पहले हम अंजुना बीच पहुँचे । गोवा में छोटे बड़े करीब 4० बीच हैं लेकिन प्रमुख सात या आठ ही हैं । अंजुना बीच नीले पानीवाला, पथरीला बहुत ही खूबसूरत है । इसके एक ओर लंबी-सी पहाड़ी है, जहाँ से बीच का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है । समुद्र तक जाने के लिए थोड़ा नीचे उतरना पड़ता है । नीला पानी काले पत्थरों पर पछाड़ खाता रहता है । पानी ने काट-काटकर इन पत्थरों में कई छेद कर दिए हैं जिससे ये पत्थर कमजोर भी हो गए हैं । साथ ही समुद्र के काफी पीछे हट जाने से कई पत्थरों के बीच में पानी भर गया है । इससे वहाँ काई ने अपना घर बना लिया है ।
फिसलने का डर हमेशा लगा रहता है लेकिन संघर्षांे में ही जीवन है, इसलिए यहाँ घूमने का भी अपना अलग आनंद है । यहाँ युवाओं का दल तो अपनी मस्ती में डूबा रहता है, लेकिन परिवार के साथ आए पर्यटकों का ध्यान अपने बच्चों को खतरों से सावधान रहने के दिशानिर्देश देने में ही लगा रहता है । मैंने देखा कि समुद्र किनारा होते हुए भी बेनालियम बीच तथा अंजुना बीच का अपना-अपना सौंदर्यहै । बेनालियम बीच रेतीला तथा उथला है । यह मछुआरों की पहली पसंद है । यहाँ सुबह-सुबह बड़ी मात्रा में मछलियाँ पकड़ी जाती हैं लेकिन मजे की बात यहहै कि इतनी सारी मछलियाँ स्थानीय बाजारों में ही बेची जाती हैं ।
इनका निर्यात बिलकुल भी नहीं होता है । इसके विपरीत अंजुना बीच गहरा और नीले पानीवाला है । यह बॉलीवुड की पहली पसंद है । यहाँ कई हिट फिल्मों की शूटिंग हुई है । दोनों बीच व्यावसायिक हैं पर मूल अंतर व्यवसाय की प्रकृति का है । इसके बाद हम लोग दिन भर पणजी शहर देखते रहे । घूम-फिरकर शाम को हम कलिंगवुड बीच पर पहुँचे । यह काफी रेतीला तथा गोवा का सबसे लंबा बीच है जो ३ से 4 किमी तक फैला है। यहाँ पर्यटक बड़ी संख्या मंे आते हैं । यही कारण है कि यह स्थानीय लोगों के व्यवसाय का केंद्र भी है । यहाँ कई प्रकार के वाटर स्पोट्र्सहोते हैं जिनमें कुछ तो हैरतअंगेज हैं, जिन्हें देखने में ही आनंद आता है ।
आप भी अपनी रुचि के अनुसार हाथ आजमा सकते हैं । मैंने कई खेलों में हिस्सा लिया, लेकिन सबसे अधिक रोमांच पैराग्लाइडिंग में ही आया । काफी ऊँचाई से अथाह जलराशि को देखना जितना विस्मयकारी है, उतना ही भयावह भी । दूर-दूर तक पानी-ही-पानी, तेज हवा और रस्सियों से हवा में लटके हम । हम यानी मैं और मेरी पत्नी । दोनों डर भी रहे थे और खुश भी हो रहे थे । डर इस बात का कि छूट गए तो समझो गए और खुशी इस बात की कि ऐसा रोमांचक दृश्य पहली बार देखा । सचमुच अद्भुत !
हम यहाँ चार-छहदिन रहे लेकिन हमारी एक ही दिनचर्या रही। सुबह जल्दी उठना, फटाफट नाश्ता करना और दिन भर घूम-फिरकर, थककर शाम को रिसॉर्ट आकर थकान मिटाने के लिए पूल में तैरना ! एक दिन कोलवा बीच पर हमने बोटिंग का भी आनंद लिया। यहाँ हमने डॉल्फिन मछलियाँ देखीं । हालाँकि ये छोटी थीं पर बच्चों ने अच्छा आनंद लिया । इस दौरान यहाँ नवरात्रि तथा दशहरा पर्व मनाने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ । उत्तर भारत में जिस तरह हर घर तथा गली-मोहल्ले में मांॅ दुर्गा की घट स्थापना कर तथा लड़कियों द्वारा गरबा कर पर्व मनाया जाता है, ऐसा ही यहाँ भी होता है ।
रावण का पुतला कहीं भी नहीं जलाया जाता है । सुबह से लोग अपने वाहनों की सफाई कर उनकी पूजा करते हैं और शाम को भगवान की एक पालकी मंदिर ले जाई जाती है । इसके बाद एक पेड़ विशेष की पत्तियाँ तोड़कर लोग एक-दूसरे को देकर बधाई देते हैं । सबकी अपनी-अपनी सांस्कृतिक परंपरा है । इतने कम दिनों में मैं गोवा को पूरा देख-समझ तो नहीं पाया पर इतना जरूर समझ गया कि पश्चिमी फैशन और सभ्यता में रचा-बसा होने के बावजूद यह भारतीय संस्कृति को पूरी तरह से आत्मसात किए हुए हैं। पर्यटक फैशन के रंग में कुछ देर के लिए भले ही स्वयं को रँगकर चले जाते हों लेकिन स्थानीय लोग अपनी सांस्कृतिक परंपरा की उँगली अब भी पकड़े हुए हैं ।
गोवा जैसा मैंने देखा स्वाध्याय | गोवा जैसा मैंने देखा का स्वाध्याय | Goa Jaisa Maine Dekha Swadhyay 10th
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