दो लघुकथाएँ स्वाध्याय | दो लघुकथाएँ स्वाध्याय कक्षा दसवीं | do laghu kathayen hindi swadhyay

दो लघुकथाएँ स्वाध्याय | दो लघुकथाएँ स्वाध्याय कक्षा दसवीं | do laghu kathayen hindi swadhyay

दो लघुकथाएँ स्वाध्याय | दो लघुकथाएँ स्वाध्याय कक्षा दसवीं | do laghu kathayen hindi swadhyay

कृति

कृतिपत्रिका के प्रश्न 3 [अ] के लिए

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

प्रश्न 1. संजाल पूर्ण कीजिए:
दो लघुकथाएँ स्वाध्याय | दो लघुकथाएँ स्वाध्याय कक्षा दसवीं | do laghu kathayen hindi swadhyay
Solutions : 
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प्रश्न 2. उत्तर लिखिए:
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Solutions : 
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प्रश्न 3. कारण लिखिए:
१. युवक को पहले नौकरी न मिल सकी …………………….. .
२. आखिरकार अधिकारियों द्वारा युवक का चयन कर लिया गया …………………….. .
Solutions : 
[i] युवक को पहले नौकरी न मिल सकी, क्योंकि हर जगह भ्रष्टाचार, रिश्वत का बोलबाला था।
[ii] आखिरकार अधिकारियों द्वारा युवक का चयन कर लिया गया, क्योंकि भीतर बैठे अधिकारियों ने गंभीरता से विचार विमर्श करने के बाद युवक के सही उत्तर की दाद दी थी।

प्रश्न 4. कृति पूर्ण कीजिए:
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Solutions : 
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प्रश्न 5. प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए:
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Solutions : 
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[अभिव्यक्ति]

‘भ्रष्टाचार एक कलंक’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Solutions : 
भ्रष्टाचार का अर्थ है दूषित आचार या जो आचार बिगड़ गया हो। आज हमारे जीवन के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार व्याप्त है। आए दिन नेताओं के भ्रष्टाचार के समाचार आते रहते हैं। प्रष्टाचार के आरोप में कितने नेता जेल काट रहे हैं। ये जनता के पैसे हड़प कर गए, पर इन्हें शर्म तक नहीं आती। आज हमारे देश में तेजी से भोगवादी संस्कृति फैल रही है। लोगों में रातोरात धनवान बनने की लालसा जोर पकड़ रही है।

चारों ओर घन बटोरने के लिए धोखाधड़ी, छल-कपट, किए जा रहे हैं। अपनी भौतिक समृद्धि बढ़ाने के लिए लोगों ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना लिया है। छोटे से छोटे काम के लिए लोगों को रिश्वत का सहारा लेना पड़ता है। शिक्षा का पवित्र क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रह गया है। लोगों में देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा की भावना घटती जा रही है। भ्रष्टाचार राष्ट्रीय जीवन के लिए अभिशाप बन गया है। हमें आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार एक कलंक है। इस कलंक को मिटाना जरूरी है। हम सबको इसके लिए निष्ठापूर्वक कार्य करने की जरूरत है।

भाषा बिंदु

प्रश्न 1. अर्थ के आधार पर निम्न वाक्यों के भेद लिखिए:
1. क्या पैसा कमाने के लिए गलत रास्ता चुनना उचित है? – [ ]
2. इस वर्ष भीषण गरमी पड़ रही थी। – [ ]
3. आप उन गहनों की चिंता न करें। – [ ]
4. सुनील, जरा ड्राइवर को बुलाओ। – [ ]
5. अपने समय के लेखकों में आप किन्हें पसंद करते हैं? – [ ]
6. सैकड़ों मनुष्यों ने भोजन किया। – [ ]
7. हाय ! कितनी निर्दयी हूँ मैं। – [ ]
8. काकी उठो, भोजन कर लो। – [ ]
9. वाह ! कैसी सुगंध है। – [ ]
10. तुम्हारी बात मुझे अच्छी नहीं लगी। – [ ]
Solutions : 
1. क्या पैसा कमाने के लिए गलत रास्ता चुनना उचित है? – [प्रश्नवाचक वाक्य]
2. इस वर्ष भीषण गरमी पड़ रही थी। – [विधानवाचक वाक्य]
3. आप उन गहनों की चिंता न करें। – [निषेधवाचक वाक्य]
4. सुनील, जरा ड्राइवर को बुलाओ। – [आज्ञावाचक वाक्य]
5. अपने समय के लेखकों में आप किन्हें पसंद करते हैं? – [प्रश्नवाचक वाक्य]
6. सैकड़ों मनुष्यों ने भोजन किया। – [विधानवाचक वाक्य]
7. हाय! कितनी निर्दयी हूँ मैं – [विस्मयादिबोधक वाक्य]
8. काकी उठो, भोजन कर लो। – [आज्ञावाचक वाक्य]
9. वाह! कैसी सुगंध है। [विस्मयादिबोधक वाक्य]
10. तुम्हारी बात मुझे अच्छी नहीं लगी। – [निषेधवाचक वाक्य]


प्रश्न 2. कोष्ठक की सूचना के अनुसार निम्न वाक्यों में अर्थ के आधार पर परिवर्तन कीजिए:
a. थोड़ी बातें हुईं। [निषेधार्थक वाक्य]
b. मानू इतना ही बोल सकी। [प्रश्नार्थक वाक्य]
c. मैं आज रात का खाना नहीं खाऊँगा। [विधानार्थक वाक्य]
d. गाय ने दूध देना बंद कर दिया। [विस्मयार्थक वाक्य]
e. तुम्हें अपना ख्याल रखना चाहिए। [आज्ञार्थक वाक्य]
Solutions : 
a. थोड़ी भी बातें नहीं हुई।
b. क्या मानू इतना ही बोल सकी?
c. मैं आज रात का खाना खाऊँगा।
d. अरे! गाय ने दूध देना बंद कर दिया।
e. तुम अपना ख्याल रखो।

प्रश्न 3. प्रथम इकाई के पाठों में से अर्थ के आधार पर विभिन्न प्रकार के पाँच वाक्य ढूँढ़कर लिखिए।
Solutions : 
[1] करामत अली इधर दो-चार दिनों से अस्वस्थ था। [विधानवाचक वाक्य]
[2] इन्हें मरीज से हमदर्दी नहीं होती। [निषेधवाचक वाक्य]
[3] तो उसकी सजा इसे लाठियों से दी गई? [प्रश्नवाचक वाक्य]
[4] “जाओ, लक्ष्मी का राशन ले आओ। [आज्ञावाचक वाक्य]
[5] हे ईश्वर, अगर मेरी दूसरी टाँग भी तोड़नी हो तो जरूर तोड़ें, मगर इस जगह जहाँ मेरा कोई न हो। [इच्छावाचक वाक्य]

प्रश्न 4. रचना के आधार पर वाक्यों के भेद पहचानकर कोष्ठक में लिखिए:
a. अधिकारियों के चेहरे पर हलकी-सी मुस्कान और उत्सुकता छा गई। [………………….]
b. हर ओर से अब वह निराश हो गया था। [………………….]
c. उसे देख-देख बड़ा जी करता कि मौका मिलते ही उसे चलाऊँ। [………………….]
d. वह बूढ़ी काकी पर झपटी और उन्हें दोनों हाथों से झटककर बोली। [………………….]
e. मोटे तौर पर दो वर्ग किए जा सकते हैं। [………………….]
f. अभी समाज में यह चल रहा है क्योंकि लोग अपनी आजीविका शरीर श्रम से चलाते हैं [………………….]
Solutions : 
a. सरल वाक्य।
b. सरल वाक्य।
c. मिश्र वाक्य।
d. संयुक्त वाक्य।
e. सरल वाक्या
f. संयुक्त वाक्य।

प्रश्न 5.  रचना के आधार पर विभिन्न प्रकार के तीन-तीन वाक्य पाठों से ढूँढकर लिखिए।
Solutions : 
[i] सरल वाक्य:
[1] आज उसे साक्षात्कार के लिए जाना है।
[2] अब तक उसके हिस्से में सिर्फ असफलता ही आई थी।
[3] रिश्वत भ्रष्टाचार की बहन है।

[ii] संयुक्त वाक्य:
[1] अधिकारियों के चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान आई और उत्सुकता छा गई।
[2] व्यक्ति समाज को कम-से-कम देने की इच्छा रखता है लेकिन समाज से अधिक-से-अधिक लेने की इच्छा रखता है।
[3] विषमता दूर करने में कानून भी कुछ मदद देता है, परंतु कानून से मानवोचित गुणों का विकास नहीं हो सकता।

[iii] मिश्र वाक्य:
[1] भ्रष्टाचार एक ऐसा कीड़ा है, जो देश को घुन की तरह खा रहा है।
[2] वह जानता था कि यहाँ भी उसका चयन नहीं होगा।
[3] संपत्ति तो वे ही चीजें हो सकती हैं, जो किसी-न-किसी रूप में मनुष्य के उपयोग में आती हैं।

खुला आकाश स्वाध्याय | खुला आकाश का स्वाध्याय | khula aakash swadhyayखुला आकाश स्वाध्याय

उपयोजित लेखन

‘जल है तो कल हैं’ विषय पर अस्सी से सौ शब्दों में निबंध लिखिए।
Solutions : 
हवा के पश्चात प्राणियों को जीवित रहने के लिए जिस चीज की आवश्यकता होती है वह है जल। जल के बिना प्राणी अधिक दिनों तक नहीं जी सकता। इसीलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है।

जल हमें कुओं, तालाबों और नदियों से मिलता है। वर्षा का जंल तालाबों, झीलों आदि में जमा होता है। कुछ पानी भूगर्भ में चला जाता है। शेष पानी नदियों में होता हुआ समुद्र में चला जाता हैं। भूगर्भ का पानी कुओं के माध्यम से पीने के काम में लाया जाता हैं। नदियों और झीलों का पानी शुद्ध किया जाता है। इसके बाद वह पीने लायक होता है। गाँवों में अधिकतर कुओं के पानी से ही काम चलाया जाता है। बड़े-बड़े शहरों में नदियों और झीलों के पानी को शुद्ध करके पीने के काम में लाया जाता है।

हर व्यक्ति को पानी की आवश्यकता होती है। बिना पानी के किसी का काम नहीं चल सकता। निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आज पानी की समस्या विकट हो गई है। इसका कारण है पानी का अंधाधुंध उपयोग। गाँवों में सिंचाई के लिए अंधाधुंध तरीके से भू-जल का दोहन किया जा रहा है। इस कारण पानी का स्तर निरंतर नीचे-ही-नीचे जा रहा है। कहीं-कहीं तो कुओं में पानी ही नहीं रहा।

पीने का पानी कम होने का कारण वर्षा का निरंतर कम होते जाना है। पेड़ों और जंगलों की अंधाधुंध कटाई इसका प्रमुख कारण है। आए दिन पानी के लिए झगड़े होते रहते हैं। देश के अंदर एक राज्य दूसरे राज्य से पानी के लिए झगड़ता है। एक देश दूसरे देश से जल के लिए लड़ता है। पानी की समस्या सारी दुनिया में है। कुछ लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि भविष्य में पानी के लिए महायुद्ध होगा।

पानी का अशुद्ध होना भी पानी की कमी का एक कारण है। अशुद्ध पानी से तरह-तरह की जानलेवा बीमारियाँ होती हैं। शहरों के किनारे बहने वाली नदियों में शहर की सारी गंदगी डाली जा रही है। कल-कारखानों का विषैला पानी नदियों में प्रवाहित होता है। वही पानी पीने के लिए दिया जाता है। इससे लोगों को तरह-तरह की बीमारियाँ होती है। _सरकार की ओर से हर व्यक्ति तक पर्याप्त शुद्ध पेय जल पहुँचाने का अथक प्रयास किया जा रहा है। फिर भी अभी इस दिशा में और प्रयास करने की जरूरत है। हर व्यक्ति इस उम्मीद में है कि उसे पर्याप्त शुद्ध जल उपलब्ध हो। आखिर जल है, तो कल है।

गद्यांश क्र. 1

प्रश्न. निम्नलितिर पठित गट्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के कवियों कीजिए:

कृति 1: [आकलन]

प्रश्न 1. संजाल पूर्ण कीजिए:
दो लघुकथाएँ स्वाध्याय | दो लघुकथाएँ स्वाध्याय कक्षा दसवीं | do laghu kathayen hindi swadhyay
Solutions : 
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प्रश्न 2. आकृति पूर्ण कीजिए:
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Solutions : 
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प्रश्न 3. निम्नलिखित के लिए परिच्छेद में प्रयुक्त शब्द लिखिए:
[i] आराम –
[ii] गरीब
[iii] शांति –
[iv] बेढंगा
Solutions : 
[i] आराम – राहत
[ii] गरीब – कंगाल
[iii] शांति – सुकून
[iv] बेढंगा – लिजलिजा।

कृति 2: [स्वमत अभिव्यक्ति]

प्रश्न. ‘छोटे दुकानदारों और बड़े दुकानदारों से चीजें खरीदते समय हमारा व्यवहार’ विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
Solutions : 
हम अधिकतर दिखावे में विश्वास करते हैं। जब हम बड़ेबड़े शॉपिंग सेंटरों और मॉल में जाते हैं, तो वस्तुओं की कीमतों को लेकर हम कभी मोल-भाव नहीं करते। वहाँ सैकड़ों लोग सामान खरीदते हैं और कीमतों को लेकर कोई मोल-भाव नहीं करता। वहाँ भाव ज्यादा होते हुए भी उसके बारे में पूछने की हिम्मत नहीं होती। क्योंकि वहाँ इज्जत का सवाल होता है। कभी-कभी तो वहाँ ठगाकर लोग चले आते हैं, पर शर्म के मारे कुछ नहीं बोलते। मगर वही लोग बाजार में छोटे दुकानदारों या खोमचेवालों से दो-चार रुपए के लिए झिक-झिक करते देखे जाते हैं। यहाँ उनको.अपनी इज्जत की परवाह नहीं रहती। क्योंकि यहाँ बड़े ग्राहकों के सामने उनको अपने इस व्यवहार पर झंपने का डर नहीं रहता। यहाँ वे अपने को बड़ा दिखाते हैं। क्योंकि सामने गरीब आदमी होता है।

हमें अपनी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। छोटे व्यापारियों या गरीब खोमचेवालों से खरीदे जाने वाले सामान में मोल-भाव करने में झिक-झिक करना उचित नहीं है।

गद्यांश क्र. 2

प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश को पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: [आकलन]

प्रश्न 1. संजाल पूर्ण कीजिए:
दो लघुकथाएँ स्वाध्याय | दो लघुकथाएँ स्वाध्याय कक्षा दसवीं | do laghu kathayen hindi swadhyay
Solutions : 
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प्रश्न 2. आकृति पूर्ण कीजिए:
दो लघुकथाएँ स्वाध्याय | दो लघुकथाएँ स्वाध्याय कक्षा दसवीं | do laghu kathayen hindi swadhyay
*[iii] प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए:
दो लघुकथाएँ स्वाध्याय | दो लघुकथाएँ स्वाध्याय कक्षा दसवीं | do laghu kathayen hindi swadhyay
Solutions : 
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प्रश्न 4. आकृति पूर्ण कीजिए:
[i] उसके प्रमाणपत्र उसे सफलता दिलाने में ये रहे – [ ]
[ii] वह भ्रष्ट सामाजिक व्यवस्था को यह करता था – [ ]
[iii] उसके तर्क में अधिकारियों को यह महसूस होने लगी – [ ]
[iv] उसके अनुसार रिश्वत का भ्रष्टाचार से यह रिश्ता है – [ ]
Solutions : 
[i] उसके प्रमाणपत्र उसे सफलता दिलाने में ये रहे – [नाकामयाब]
[ii] वह भ्रष्ट सामाजिक व्यवस्था को यह करता था – [कोसता था]
[iii] उसके तर्क में अधिकारियों को यह महसूस होने लगी – [रुचि]
[iv] उसके अनुसार रिश्वत का भ्रष्टाचार से यह रिश्ता है। – [रिश्वत भ्रष्टाचार की बहन]

उपक्रम/कृति/परियोजना

श्रवणीय
बालक/बालिकाओं से संबंधित कोई ऐतिहासिक कहानी सुनकर उसका रूपांतरण संवाद में करके कक्षा में सुनाइए।

पठनीय
अपनी पसंद की कोई सामाजिक ई-बुक पढ़िए।

संभाषणीय
‘शहर और महानगर का यांत्रिक जीवन’ विषय पर बातचीत कीजिए।

लेखनीय
पहाड़ों पर रहने वाले लोगों की जीवन शैली की जानकारी प्राप्त करके अपनी जीवन शैली से उसकी तुलना करते हुए लिखिए।

मुद्दे:
[i] घर-द्वार
[ii] रहन-सहन
[iii] खान-पान
[iv] रीति-रिवाज
[v] जीवन यापन के साधन
[vi] यातायात व्यवस्था।

दो लघुकथाएँ Summary in Hindi

विषय-प्रवेश : प्रस्तुत पाठ में दो लघुकथाएँ दी गई हैं। प्रथम लघुकथा में हमारी मानसिक प्रवृत्ति के बारे में बताया गया है। लेखक ने इसके माध्यम से यह दर्शाया है कि जब लोग बड़ी-बड़ी दुकानों, मॉल या बड़े होटलों में जाते हैं, तो वहाँ वे सामानों के निश्चित मूल्यों के बारे में कोई मोल-भाव नहीं करते। मांगे गए पैसे शौक से अदा करके चले आते हैं। पर छोटे दुकानदारों या खोमचे वालों से सामान खरीदते समय लोगों का व्यवहार बिलकुल बदल जाता है। लोग उनसे दो-एक रुपये कम करने के बारे में बहस पर उतर आते हैं। हमें यह मानसिकता बदलनी चाहिए।

दूसरी लघुकथा में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के शिकार एक युवक के बारे में बताया गया है। उसके सामने भ्रष्ट सामाजिक व्यवस्था को कोसने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। पर सत्य का पालन करना उसे एक दिन अपने लक्ष्य तक पहुँचा देता है।

दो लघुकथाएँ स्वाध्याय | दो लघुकथाएँ स्वाध्याय कक्षा दसवीं | do laghu kathayen hindi swadhyay

परिचय ः नरेंद्रकौर छाबड़ा जानी- मानी कथाकार हैं । कहानियाें के साथ-साथ आपने बहुत-सी लघुकथाएँ भी लिखी हैं । आपकी लघुकथाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से स्‍थान पाती रही हैं । 
प्रमुख कृतियाँ ः ‘मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ’ आदि 

गद्‌य संबंध
यहाँ दो लघुकथाएँ दी गई हैं । प्रथम लघुकथा में लेखिका ने यह दर्शाया है कि जब हम बड़ी दूकानों, माॅल, होटलों में जाते हैं तो कोई मोल-भाव नहीं करते, चुपचाप पैसे दे, सामान ले, चले आते हैं । इसके उलट जब हम रेहड़ीवालों, फेरीवालों से सामान खरीदते हैं तो मोल-भाव करते हैं, हमें इस सोच से बचना चाहिए । दूसरी लघुकथा में लेखिका ने रिश्वतखोरी, भ्रष्‍टाचार पर करारा व्यंग्‍य किया है । यहाँ लेखिका ने दर्शाया है कि सत्‍य का पालन ही लक्ष्य तक पहुँचने में सहायक होता है 

यहाँ दो लघुकथाएँ दी गई हैं । प्रथम लघुकथा में लेखिका ने यह दर्शाया है कि जब हम बड़ी दूकानों, माॅल, होटलों में जाते हैं तो कोई मोल-भाव नहीं करते, चुपचाप पैसे दे, सामान ले, चले आते हैं । इसके उलट जब हम रेहड़ीवालों, फेरीवालों से सामान खरीदते हैं तो मोल-भाव करते हैं, हमें इस सोच से बचना चाहिए । दूसरी लघुकथा में लेखिका ने रिश्वतखोरी, भ्रष्‍टाचार पर करारा व्यंग्‍य किया है । यहाँ लेखिका ने दर्शाया है कि सत्‍य का पालन ही लक्ष्य तक पहुँचने में सहायक होता है

कंगाल

 इस वर्ष बड़ी भीषण गरमी पड़ रही थी । दिन तो अंगारे से तपे रहते ही थे, रातों में भी लू और उमस से चैन नहीं मिलता था । सोचा इस लिजलिजे और घुटनभरे मौसम से राहत पाने के लिए कुछ दिन पहाड़ों पर बिता आएँ । 

अगले सप्ताह ही पर्वतीय स्‍थल की यात्रा पर निकल पड़े । दो-तीन दिनों में ही मन में सुकून-सा महसूस होने लगा था । वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य, हरे-भरे पहाड़ गर्व से सीना ताने खड़े, दीर्घता सिद्ध करते वृक्ष, पहाड़ों की नीरवता मंे हल्‍का-सा शोर कर अपना अस्‍तित्‍व सिद्ध करते झरने, मन बदलाव के लिए पर्याप्त थे ।

उस दिन शाम के वक्‍त झील किनारे टहल रहे थे। एक भुट्‌टेवाला आया और बोला-‘‘साब, भुट्‌टा लेंगे। गरम-गरम भूनकर मसाला लगाकर दूॅंगा । सहज ही पूछ लिया-‘‘कितने का है ?
‘‘पाँच रुपये का ।’’
‘‘क्‍या ? पाँच रुपये में एक भुट्‌टा । हमारे शहर मंे तो दो रुपये में एक मिलता है, तुम तीन ले लो ।’
‘‘नहीं साब, ‘‘पाँच से कम में तो नहीं मिलेगा ...’’ 
‘‘तो रहने दो...’’ हम आगे बढ़ गए ।
एकाएक पैर ठिठक गए और मन में विचार उठा कि हमारे जैसे लोग पहाड़ों पर घूमने का शौक रखते हैं हजारों रुपये खर्च करते हैं, अच्छेहोटलों में रुकते हैं जो बड़ी दूकानों में बिना दाम पूछे खर्च करते हैं पर गरीब से दो रुपये के लिए झिक-झिक करते हैं, कितने कंगाल हैं हम ! उल्‍टे कदम लौटा और बीस रुपये में चार भुट्‌टे खरीदकर चल पड़ा अपनी राह । मन अब सुकून अनुभव कर रहा था ।
 

सही उत्‍तर

 अब तक वह कितने ही स्‍थानों पर नौकरी के लिए आवेदन कर चुका था। साक्षात्‍कार दे चुका था । उसके प्रमाणपत्रों की फाइल भी उसे सफलता दिलाने में नाकामयाब रही थी । हर जगह भ्रष्‍टाचार, रिश्वत का बोलबाला हाेने के कारण, योग्‍यता के बावजूद उसका चयन नहीं हो पाता था । हर ओर से अब वह निराश हो चुका था । भ्रष्‍ट सामाजिक व्यवस्‍था को कोसने के अलावा उसके वश में और कुछ तो था नहीं । 

आज फिर उसे साक्षात्‍कार के लिए जाना है । अब तक देशप्रेम, नैतिकता, शिष्‍टाचार, ईमानदारी पर अपने तर्कपूर्णविचार बड़े विश्वास से रखता आया था लेकिन इसके बावजूद उसके हिस्‍से में सिर्फ असफलता ही आई थी ।

साक्षात्‍कार के लिए उपस्‍थित प्रतिनिधि मंडल में से एक अधिकारी ने पूछा-‘‘भ्रष्‍टाचार के बारे में आपकी क्‍या राय है ?’’ ‘‘भ्रष्‍टाचार एक ऐसा कीड़ा है जो देश को घुन की तरह खा रहा है । इसने सारी सामाजिक व्यवस्‍था को चिंताजनक स्‍थिति में पहुँचा दिया है । सच कहा जाए तो यह देश के लिए कलंक है... ।’’ अधिकारियों के चेहरे पर हलकी-सी मुसकान और उत्‍सुकता छा गई। उसके तर्क में उन्हें रुचि महसूस होने लगी । दूसरे अधिकारी ने प्रश्न किया-‘‘रिश्वत को आप क्‍या मानते हैं ?’’ 

‘‘यह भ्रष्‍टाचार की बहन है जैसे विशेष अवसरों पर हम अपने प्रियजनों, परिचितों, मित्रों को उपहार देते हैं । इसका स्‍वरूप भी कुछ-कुछ वैसा ही है लेकिन उपहार देकर हम केवल खुशियों या कर्तव्यों का आदान-प्रदान करते हैं । इससे अधिक कुछ नहीं जबकि रिश्वत देने से रुके हुए कार्य, दबी हुई फाइलें, टलती हुई पदोन्नति, रोकी गई नौकरी अादि में इसके कारण सफलता हासिल की जा सकती है । तब भी यह समाज के माथे पर कलंक है, इसका समर्थन कतई नहीं किया जा सकता, ऐसी मेरी धारणा है ।’’ 

कहकर वह तेजी से बाहर निकल आया । जानता था कि यहॉं भी चयन नहीं होगा । पर भीतर बैठे अधिकारियों ने... गंभीरता से विचार-विमर्श करने के बाद युवक के सही उत्‍तर की दाद देते हुए उसका चयन कर लिया। आज वह समझा कि ‘सत्‍य कुछ समय के लिए निराश हो सकता है, परास्‍त नहीं ।’ (‘मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ’ से)  

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अनुक्रमणिका  INDIEX

Maharashtra State Board 10th Std Hindi Lokbharti Textbook Solutions
Chapter 1 भारत महिमा
Chapter 2 लक्ष्मी
Chapter 3 वाह रे! हम दर्द
Chapter 4 मन (पूरक पठन)
Chapter 5 गोवा : जैसा मैंने देखा
Chapter 6 गिरिधर नागर
Chapter 7 खुला आकाश (पूरक पठन)
Chapter 8 गजल
Chapter 9 रीढ़ की हड्डी
Chapter 10 ठेस (पूरक पठन)
Chapter 11 कृषक गान

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions दूसरी इकाई

Chapter 1 बरषहिं जलद
Chapter 2 दो लघुकथाएँ (पूरक पठन)
Chapter 3 श्रम साधना
Chapter 4 छापा
Chapter 5 ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)
Chapter 7 महिला आश्रम
Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा
Chapter 9 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
Chapter 10 बूढ़ी काकी (पूरक पऊन)
Chapter 11 समता की ओर
पत्रलेखन (उपयोजित लेखन)
गद्‍य आकलन (उपयोजित लेखन)
वृत्तांत लेखन (उपयोजित लेखन)

कहानी लेखन (उपयोजित लेखन)
विज्ञापन लेखन (उपयोजित लेखन)
निबंध लेखन (उपयोजित लेखन)

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