मन कविता का स्वाध्याय | मन स्वाध्याय | man kavita swadhyay hindi 10th
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
प्रश्न 1. लिखिए:
हाइकु द्वारा मिलने वाला संदेश | |
करते जाओ पाने की मत सोचो जीवन सारा। | भीतरी कुंठा नयनों के द्वार से आई बाहर। |
SOLUTION :

प्रश्न 2. कृति पूर्ण कीजिए:

SOLUTION :

प्रश्न 3. उत्तर लिखिए:
a. मँझधार में डोले —-
b. छिपे हुए ——-
c. धुल गए ——-
d. अमर हुए ——-
SOLUTION :
a. मँझधार में डोले – जीवन नैया।
b. छिपे हुए सितारे
c. घुल गए विषाद
d. अमर हुए गीतों के स्वर।
प्रश्न 4. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए:
a. चलतीं साथ पटरियाँ रेल की फिर भी मौन।
b. काँटों के बीच खिलखिलाता फूल देता प्रेरणा।
SOLUTION :
a. रेल की पटरियाँ अनंत काल से साथ चल रही हैं, परंतु वे सदा मौन रहती हैं। एक-दूसरे से कभी बात नहीं करती।
b. गुलाब का फूल काँटों के बीच भी हँसता है, खिलखिलाता है। वह हमें हर पल प्रेरणा देता है कि हमें परेशानियों से घबराए बिना अपना काम करते जाना है।
उपयोजित लेखन
वक्तृत्व प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने के उपलक्ष्य में आपके मित्र/सहेली ने आपको बधाई पत्र भेजा है, उसे धन्यवाद देते हुए निम्न प्रारूप में पत्र लिखिए:
दिनांक: ……………………….
संबोधन: ……………………….
अभिवादन: ……………………….
प्रारंभ:
विषय विवेचन:
…………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………
तुम्हारा/तुम्हारी,
……………………….
नाम: ……………………….
पता: ……………………….
ई-मेल आईडी: ……………………….
SOLUTION :
दिनांक: 25/8/20
प्रिय अविनाश,
नमस्ते!
तुम्हारा पत्र अभी-अभी मिला। धन्यवाद।
अंतर विद्यालय वक्तृत्व प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने के लिए तुम्हारा बधाई-पत्र मिला। पत्र पाकर दिल गदगद हो गया। वास्तव में मेरी इस सफलता में तुम जैसे मित्रों का मुझे सदा उत्साह दिलाते रहने का बड़ा हाथ है। तुम तो जानते हो, मंच पर बोलने में मुझे कितनी झिझक होती थी।
पर तुम जैसे मित्रों और हमारे कक्षा अध्यापक के निरंतर प्रोत्साहन से आज मुझे अंतर विद्यालय वक्तृत्व प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने का अवसर मिला है। में इसके लिए तुम जैसे अपने सभी मित्रों और अपने कक्षा अध्यापक नरेश कौशल जी का तहे दिल से आभारी हूँ।
मेरा, उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद!
तुम्हारा मित्र
राजेश शर्मा।
17, विमल मेंशन,
महात्मा गांधी रोड,
औरंगाबाद।
ई-मेल आईडी: nirmal@xyz.com
पद्यांश क्र. 1
कृतिपत्रिका के प्रश्न 3 [आ] के लिए]
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
[1] उत्तर लिखिए:
[i] खिले हुए ……………………….
SOLUTION :
[i] खिले हुए – फूल।
कृति 2: [स्वमत अभिव्यक्ति]
प्रश्न. फागुन के महीने में प्रकृति रंगों से रंग जाती है। इस विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
SOLUTION :
फागुन का महीना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। इस महीने में प्रकृति में चारों ओर नवीनता दिखाई देती है। खेत सरसों के पीले-पीले फूलों से भर जाते हैं। इन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे जमीन पर पीले रंग की विशाल चादरें बिछाई दी गई हों। बीच-बीच में अलसी के नीले-नीले फूल पीले रंग पर छाप जैसे लगते हैं। पलाश के वन लाल रंग के बड़े-बड़े फूलों से लद जाते हैं।
दूर से इन वनों को देखकर ऐसा लगता है, मानो पेड़ों से आग की लपटें निकल रही हों। विभिन्न प्रकार के पेड़ों पर गुलाबी रंग की नई-नई कोंपलें आ जाती हैं। इन्हें देखकर लगता है जैसे ये पेड़ गुलाबी रंग के वस्त्रों से सज गए हैं। इनके अतिरिक्त फागुन के महीने में ही तो होली का त्योहार आता है जब चारों ओर तरह-तरह के रंगों और अबीर-गुलाल की बहार आ जाती है। लोग खुशी से एक-दूसरे को रंगों से सराबोर कर देते हैं। इस तरह फागुन के महीने में प्रकृति तरह-तरह के रंगों से रँग जाती है।
पद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
[1] उचित जोड़ियाँ मिलाइए:
‘अ’ | ‘आ’ |
(i) मछली | मौन |
(ii) गीतों के स्वर | सूना |
(iii) रेल की पटरियाँ | प्यासी |
(iv) आकाश | अमर |
पीड़ा |
उत्तर:
‘अ’ | ‘आ’ |
(i) मछली | प्यासी |
(ii) गीतों के स्वर | अमर |
(iii) रेल की पटरियाँ | मौन |
(iv) आकाश | सूना। |
[i] सूना आकाश
[ii] गीतों का अमर होना।
[3] मन की ……………………. बरसी आँखें। इस हाइकु का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर
जब मन की पीड़ा बहुत गहरी हो जाती है, तो वह बादल बनकर आँसुओं के रूप में बरसने लगती है।
[4] तालिका पूर्ण कीजिए:
स्थिति निवास स्थान
मछली प्यासी सागर
सितारे छिपे हुए आकाश
कृति 2: [स्वमत अभिव्यक्ति]
प्रश्न. ‘आँखें देखने के अलावा और भी कई तरह के काम करती हैं’, इस विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
SOLUTION :
मनुष्य के शरीर में विभिन्न अंग होते हैं और वे अपनाअपना निर्धारित काम करते हैं। कुछ अंगों से निर्धारित कामों के अलावा और भी कई तरह के काम लिए जाते हैं। आँखें हमारे शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इनसे देखने का काम तो लिया ही जाता है, साथ ही साथ और भी कई काम लिए जाते हैं। आँखों से तरह-तरह के इशारे किए जाते हैं, जिन्हें सामनेवाला आदमी आसानी से समझ लेता है। आँखें तरेरकर क्रोध प्रकट किया जाता है।
आँखें झुकाकर शर्म प्रदर्शित की जाती है। मन में छुपी दुख देने वाली भावनाओं को आँखों में आँसू लाकर प्रकट किया जाता है। मन भारी होने पर लोग रोकर अपना मन हल्का करते हैं। कोई अचंभेवाली घटना होने पर वाणी के साथ-साथ आँखों से भी भाव प्रदर्शित होता है। आँखों का एक आवश्यक काम मनुष्य को निद्रावस्था में ले जाकर उसे आराम दिलाना है। इस तरह आँखें देखने के अलावा कई महत्त्वपूर्ण काम करती हैं।
मन Summary in Hindi
मन कविता का सरल अर्थ
1. घना अंधेरा ……………………………. आई बहार।
जब अँधेरा घना होता है, तब प्रकाश और अधिक चमकता है अर्थात जब प्रतिकूल परिस्थितियाँ घने अंधकार के रूप में हमें घेर लेती हैं, तब वहीं से एकाएक प्रकाश की किरणें फूट पड़ती हैं।
हमें पूरा जीवन काम करते रहना चाहिए। यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें क्या प्राप्त होगा।
जीवन रूपी नैया यदि संसार रूपी सागर में डगमगा रही है, तो उसे कोई अन्य सँभालने के लिए नहीं आएगा। हमें स्वयं उसे पार लगाने के लिए प्रयास करना होगा।
फागुन का महीना अपने संग बसंत के विविध रंग लेकर आया है। यह समय उल्लास और उमंग का समय है। अतः हम सभी को कुछ समय के लिए चिंताओं और परेशानियों को भूलकर बसंत ऋतु का आनंद लेना चाहिए।
गुलाब का फूल काँटों के बीच भी हंसता है, खिलखिलाता है। वह हमें हर पल प्रेरणा देता है कि परेशानियों से घबराए बिना अपना काम करते जाना है।
जब नेत्रों से अश्रु बहते हैं, तो यह मानना चाहिए कि मन की कुंठा नयन रूपी द्वार से बाहर आ रही है।
2. खारे जल ……………………………. प्यासी ही रही। . . .
जब नेत्रों से अश्रु बहते हैं तो यह समझना चाहिए कि आँसुओं के खारे जल के साथ मन का संपूर्ण विषाद धुल गया है और मन पहले के समान पावन हो गया है।
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में अनेक परेशानियाँ हैं, चिंताएँ हैं, और हैं अप्रिय प्रसंग। ऐसे में जीवन रूपी संग्राम में डटे रहना हमारी जिजीविषा का प्रमाण है।
जब आकाश में बादल बहुत घने होते हैं, तभी वर्षा होती है। उसी प्रकार जब मन की पीड़ा बहुत गहरी हो जाती है, तो वह बादल बनकर आँसुओं के रूप में बरसने लगती है।
रेल की पटरियाँ अनंत काल से साथ चल रही हैं, परंतु वे सदा मौन रहती हैं। एक-दूसरे से कभी बात नहीं करती।
सितारे आकाश का शृंगार हैं। वे आकाश की शोभा बढ़ाते हैं। जैसे ही सितारे बादलों की ओट में छिपे, आकाश सूना हो जाता है। ठीक इसी प्रकार कुछ लोग हमारे जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण होते हैं। उनके चले जाने पर या विमुख हो जाने पर मानो हमारा जीवन निरर्थक हो जाता है।
कवि के अंदर अनोखी सामर्थ्य होती है। वह जिन गीतों को स्वर देता है, वे अमर हो जाते हैं। इसी प्रकार कवि अपनी रचनाओं के द्वारा समाज में परिवर्तन ला सकता है।
सागर में अथाह जलराशि होती है, परंतु खारा होने के कारण अथाह होने पर भी वह जलराशि पीने योग्य नहीं होती। उसी प्रकार कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा या धनवान क्यों न हो, यदि वह किसी जरूरतमंद के काम नहीं आ सकता तो उसका बड़प्पन व्यर्थ है।
मन विषय-प्रवेश:
प्रस्तुत कविता ‘मन’ जापान की लोकप्रिय विधा हाइकु’ पर आधारित है। यह विधा हिंदी साहित्य में स्वीकृति पा चुकी है। इस विधा को विश्व की सबसे छोटी कविता का स्थान प्राप्त है। इस कविता में कवि ने तीन-तीन छोटी पंक्तियों में अलग-अलग घटनाओं को सुंदर ढंग से पिरोया है। प्रस्तुत कविता की यह अपनी विशेषता है।
मन कविता
परिचय
जन्म ः १९8३, गुना (म.प्र.)
परिचय ः विकास परिहार ने २००० से २००६ तक भारतीय वायुसेना को अपनी सेवाएँ दीं फिर पत्रकारिता के क्षेत्र मंे उतरने के बाद रेडियो से जुड़े । साहित्य में विशेष रुचि होने के कारण आप नाटय ् गतिविधियों से भी जुड़े हुए हैं ।
पद्य संबंधी
हाइकु : यह जापान की लोकप्रिय काव्य विधा है । हाइकुविश्व की सबसे छोटी कविता कही जाती है । पाँचवें दशक से हिंदी साहित्य ने हाइकु को खुले मन सेस्वीकार किया है। हाइकु कविता 5+७+5=१७ वर्ण के ढाँचे में लिखी जाती है ।
प्रस्तुत हाइकु में कवि ने अपने अनुभवों और छोटी-छोटी विभिन्न घटनाओं को अर्थवाही सीमित शब्दों मंे प्रस्तुत किया है ।
मन कविता का स्वाध्याय | मन स्वाध्याय | man kavita swadhyay hindi 10th
घना अँधेरा
चमकता प्रकाश
आैर अधिक ।
करते जाओ
पाने की मत सोचो
जीवन सारा ।
जीवन नैया
मँझधार में डोले,
सँभाले कौन ?
रंग-बिरंगे
रंग-संग लेकर
आया फागुन ।
काँटांे के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेणा ।
भीतरी कुंठा
आँखों के द्वार से
आई बाहर ।
खारे जल से
धुल गए विषाद
मन पावन ।
मृत्यु को जीना
जीवन विष पीना
है जिजीविषा ।
मन की पीड़ा
छाई बन बादल
बरसीं आँखें ।
चलतीं साथ
पटरियाँ रेल की
फिर भी मौन ।
सितारे छिपे
बादलों की ओट में
सूना आकाश ।
तुमने दिए
जिन गीतों को स्वर
हुए अमर ।
सागर में भी
रहकर मछली
प्यासी ही रही
मन कविता का स्वाध्याय | मन स्वाध्याय | man kavita swadhyay hindi 10th
- Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 4 मन Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.
- Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokbharti Chapter 4 मन
- Hindi Lokbharti 10th Std Digest Chapter 4 मन Textbook Questions and Answers
- मन स्वाध्याय हिंदी
- मन पूरक पठन स्वाध्याय
- मन कविता स्वाध्याय
- 4 मन स्वाध्याय
- दहावी हिंदी मन स्वाध्याय
- मन कविता हिंदी स्वाध्याय
- man swadhyay