लक्ष्मी स्वाध्याय | लक्ष्मी पाठ का स्वाध्याय | lakshmi Swadhyay 10th
सूचना के अनयुार कृहत्ँ कीहजए:
SOLUTION :
प्रश्न 2. उचित घटनाक्रम लगाकर वाक्य फिर से लिखिए:
१. उसके गले में रस्सी थी।
२. रहमान बड़ा मूर्ख है।
३. वह लक्ष्मी को सड़क पर ले आया।
४. उसने तुम्हें बड़ी बेदर्दी से पीटा है।
SOLUTION :
[i] उसने तुम्हें बेदर्दी से पीटा है।
[ii] रहमान बड़ा मूर्ख है।
[iii] उसके गले में रस्सी थी।
[iv] वह लक्ष्मी को सड़क पर ले आया।
प्रश्न 3. उततर हलखखए:
SOLUTION :
प्रश्न 4. गलत वाक्य, सही करके लिखिए:
१. करामत अली पिछले चार सालों से गाय की सेवा करता चला आ रहा था।
२. करामत अली को लक्ष्मी की पीठ पर रोगन लगाने के बाद इत्मीनान हुआ।
SOLUTION :
[i] करामत अली पिछले एक साल से गाय की सेवा करता चला आ रहा था।
[ii] करामत अली को लक्ष्मी की पीठ पर रोगन लगाने के बाद भी इत्मीनान नहीं हुआ।
प्रश्न 5. हनम्हलखखत मयु्दो के आधार पर वर्णन कीहजए:
3
SOLUTION :
प्रश्न 6. कारण हलखखए:
a. करामत अली लक्ष्मी के हलए सानी तैयार करने लगा।
b. रमजानी ने करामत अली को रोगन हदया।
c. रिमान ने लक् को इलाके से भहर तोडा हदया।
d. करामत अली ने लक् को गऊशाला मे भरती हकया।
SOLUTION :
a. सुबह से रमजानी या रहमान किसी ने भी लक्ष्मी को चारा, दर्रा कुछ भी नहीं दिया था। लक्ष्मी बहुत भूखी थी।
b. रहमान के मारने के कारण लक्ष्मी की पीठ पर चोट आई थी।
c. रहमान ने सोचा कि लक्ष्मी नाले के पास उगी दूब खाकर पेट भर लेगी।
d. पैसे की तंगी के कारण करामत अली लक्ष्मी के दाने-चारे का प्रबंध नहीं कर पा रहा था। वह लक्ष्मी को भूखों मरता नहीं देख सकता था।
प्रश्न 7. हिंदी-मराठी मे समोच्ररत शब् के हभन नर् हलखखए:
4
SOLUTION :
हिंदी मराठी
[1] खत पत्र खाद
[2] पीठ पीठ [शरीर का अंग] आटा
[3] खाना भोजन दराज
[4] चारा उपाय जानवरों को खिलाने की सामग्री
[5] कल बीता हुआ अथवा आने वाला समय [कल] रुझान, प्रवृत्ति
प्रश्न. यदि आप करामत अली की जगि पर होते तो’ इस संदभ् मे अपने हिचार लिखिए।
SOLUTION :
करामत अली दोस्त को दिए गए वचन को निभाने वाला और पशु की पीड़ा समझने वाला इन्सान है। यदि करामत अली की जगह मैं होती/होता तो मैं भी वही करती/करता, जो करामत अली ने किया। जब हम किसी पशु को पालते हैं, तो उसकी सुख-सुविधा और खाने-पीने की उचित व्यवस्था करना हमारी जिम्मेदारी होती है। यदि मेरे समक्ष करामत अली जैसी स्थिति [आर्थिक संकट] उत्पन्न होती, तो मैं भी अपने पालतू पशु को भूखा मरते देखने या उसे कसाई के हाथों बेचने के स्थान पर किसी अच्छे पशुघर [गऊशाला] में ही दाखिल कराती/कराता। पशुघर में अपने जैसे अन्य पशुओं के साथ मेरा प्रिय पशु भी सुखपूर्वक अपना शेष जीवन बिता सकता। इससे मुझे बहुत संतोष होता।
भाषा बिंदु
प्रश्न 1. निम्नलिखित वाक्यों में उचित विरामचिह्नों का प्रयोग कर वाक्य पुनः लिखिए:
१. ओह कंबख्त ने कितनी बेदर्दी से पीटा है
२. मैंने कराहते हुए पूछा मैं कहाँ हूँ
३. मँझली भाभी मुट्ठी भर बँदियाँ सूप में फेंककर चली गई
४. बड़ी बेटी ने ससुराल से संवाद भेजा है उसकी ननद रूठी हुई है मोथी की शीतलपाटी के लिए
५. केवल टीका नथुनी और बिछिया रख लिए थे
६. ठहरो मैं माँ से जाकर कहती हूँ इतनी बड़ी बात
७. टाँग का टूटना यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना
८. जल्दी-जल्दी पैर बढ़ा
९. लक्ष्मी चल अरे गऊशाला यहाँ से दो किलोमीटर दर है
१०. मानो उनकी एक आँख पूछ रही हो कहो कविता कैसी रही
प्रश्न 2. निम्नलिखित विरामचिह्नों का उपयोग करते हुए बारह-पंद्रह वाक्यों का परिच्छेद लिखिए:
विरामचिह्न वाक्य
- ।
- -
- ?
- ;
- ,
- !
- ‘ ’
- ‘‘ ’’
- x x x
- — 0 —
- ……………
- [ ]
- [ ]
- ^
- :
- -/
SOLUTION :
विरामचिह्न वाक्य
- । लक्ष्मी बड़ी भयभीत और घबराई हुई थी।
- - मालिक आज दर्रा-खली कुछ नहीं।
- ? कौन खरीदेगा इस बूढ़ी गाय को?
- ; हिंदी साहित्य के विकास; उन्नति में डायरी का भी योगदान है।
- , देखो, मुझे गाय बेचनी ही नहीं है।
- ! ये देखो चाचाजी!
- ‘ ’ गोआ में ‘सी-फूड’ की अधिकता है।
- ‘‘ ’’ “ऐसी कोई विशेष बात नहीं है।”
- x x x हे ग्रामदेवता नमस्कार xxx
- - ० - इस तरह राजा - ० - रानी सुख से रहने लगे।
- …………… तुम इस गाय को लेकर क्या करोगे…..?
- [ ] रवींद्रनाथ ठाकुर का [[बंगला भाषा] अनुवादित [अनूदित]] साहित्य सभी पढ़ते हैं।
- [ ] रवींद्रनाथ ठाकुर का [[बंगला भाषा] अनुवादित [अनूदित]] साहित्य सभी पढ़ते हैं।
- ^ मामा जी आगरा से आएँगे।
- : मनु [हँसते हुए]: मैंने तो लड्डू का डिब्बा देखा भी नहीं।
- -/ परीक्षार्थी उत्तीर्ण/अनुत्तीर्ण में से एक तो अवश्य होगा।
प्रश्न. हकसी पालतूप्री की आतमकरा हलखखए।
SOLUTION :
ऐसे अनेक जानवर हैं, जो या तो संख्या में कम हैं या बदलते पर्यावरण और परभक्षण मानकों के कारण लुप्तप्राय हो रहे हैं। साथ ही वनों की कटाई के कारण भोजन और पानी की कमी हो जाना भी इनकी आबादी कम होने का कारण है। भारतीय वन्थ जीवों में अनूप मृग, चौसिंगा, कस्तूरी मृग, नीलगाय, चीतल, कृष्णमृग, एक सींग वाला गैंडा, सांभर, गोर, जंगली सूअर आदि दुर्लभ प्रजातियाँ हैं।
पर्यावरण संतुलन में इन जीवों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इन प्रजातियों में बड़ी तेजी से गिरावट आ रही है। भारत में स्तनपायी वन्य जीवों की 81 प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं। इनमें से कुछ हैं-शेर, चीता, बाघ, सफेद तेंदुआ, गैंडा, जंगली भैंसा, जंगली सूअर, लाल पांडा, चिम्पैंजी, नीलगिरि लंगूर, बारहसिंगा, कस्तूरी मृग, नीलगिरि हिरन, चौसिंगा हिरन, कश्मीरी हिरन आदि।
कुत्ते की आत्मकथा
मैं गलियों में मारा-मारा फिरने वाला एक कुत्ता हूँ। मैंने अपने जीवन में बहुत सुख-दुख सहे हैं। मैं आपको अपनी व्यथा-कथा सुनाता हूँ।
मेरी माँ एक किसान-परिवार की पालतू कुतिया थी। उसी के घर में मेरा जन्म हुआ था। मेरा रंग दूध की तरह सफेद था। बच्चे-बूढ़े सभी मुझे प्यार से उठा लेते थे। वे मुझे गोद में लेकर सहलाते। लोग मुझे तरह-तरह की चीजें खाने के लिए देते थे। मैं बहुत खुश था।
एक दिन उस किसान ने मुझे एक अमीर आदमी के हाथों सौंप दिया। मेरा मालिक मुझे पाकर बहुत खुश हुआ। वह मेरा बहुत ख्याल रखता था। वह मुझे ‘टॉमी’ कहकर बुलाता था। जहाँ भी जाता, वह अपने साथ मुझे ले जाता था।
मैं भी अपने मालिक की बहुत सेवा करता था। रात के समय में उसके बँगले की रखवाली करता था। मालिक के बच्चे मुझे बहुत प्यार करते थे। लेकिन सब दिन एक समान नहीं होते। धीरे-धीरे मेरा स्वास्थ्य गिरने लगा। मैं कमजोर होता चला गया। न मैं अब पहले जैसा ताकतवर रहा और न ही सुंदर। इसलिए मेरे प्रति मालिक और उसके परिवार का रुख बदल गया।
मेरे बुढ़ापे ने मुझे कहीं का नहीं रखा। मुझे अब अपना जीवन बोझ-सा लगने लगा है। मैं पेट भरने के लिए मारा-मारा फिरता हूँ। जिसके दरवाजे पर पहुँचता हूँ, वही दो डंडे जमा देता है। [यहाँ पर ‘कुत्ते की आत्मकथा’ नमूने के रूप में दी गई है। विद्यार्थी अपनी पसंद के पालतू प्राणी की आत्मकथा लिखें।]
गद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
[1] कारण लिखिए:
[i] रहमान ने लक्ष्मी की पीठ पर डंडे बरसा दिए।
SOLUTION :
[i] लक्ष्मी ने दूध नहीं दिया था।
[2] संजाल पूर्ण कीजिए:
SOLUTION :
कृति 2: [आकलन]
• संजाल पूर्ण कीजिए:
SOLUTION :
कृति 3: [शब्द संपदा]
[1] गद्यांश में प्रयुक्त शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
[i] …………………
[ii] …………………
[iii] …………………
[iv] …………………
SOLUTION :
[i] उछलती-कूदती
[ii] दो - चार
[iii] धीरे-धीरे
[iv] इधर-उधर।
[2] निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदलकर लिखिए:
[i] गाय
[ii] बेटी
[iii] रस्सी
[iv] खूटा।
SOLUTION :
[i] गाय - बैल
[ii] बेटी - बेटा
[iii] रस्सी - रस्सा
[iv] खूटा - खूटी।
कृति 4: [स्वमत अभिव्यक्ति]
प्रश्न. पालतू जानवरों के साथ किए जाने वाले सौहार्दपूर्ण व्यवहारों के बारे में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
SOLUTION :
जानवरों का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्त्व है। इसलिए प्राचीन काल से पशु मनुष्य के साथी रहे हैं। गाय, बैल, भैंस, कुत्ता, घोड़ा आदि जानवर हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। पालतू पशु मनुष्य के परिवार के सदस्य जैसे होते हैं। हमें उन्हें प्रेम से पालना चाहिए। हमें उनके प्रति सौहार्दपूर्ण व्यवहार रखना चाहिए। उन्हें उचित समय पर अच्छी खुराक देनी चाहिए।
उनकी साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। पशु मूक प्राणी होते हैं। वे अपना दुख-दर्द बता नहीं सकते। इसलिए मनुष्य को उनके भोजन के साथ-साथ उनकी भावनाओं को भी समझना जरूरी है। ये जानवर हमारे प्रति भी सद्व्यवहार और स्नेह रखते हैं। उनकी अच्छी देखभाल करना हमारा कर्तव्य है।
गद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
[1] संजाल पूर्ण कीजिए:
[i]
11
SOLUTION :
[ii]
SOLUTION :
[iii]
SOLUTION :
[2] आकृति पूर्ण कीजिए:
[i] लक्ष्मी शांत खड़ी जख्मों पर यह लगवाती - [ ]
[ii] लक्ष्मी की पीठ पर रोगन लगाने के बाद भी करामत अली को यह नहीं हुआ - [ ]
SOLUTION :
[i] लक्ष्मी शांत खड़ी जख्मों पर यह लगवाती रही - [तेल]
[ii] लक्ष्मी की पीठ पर रोगन लगाने के बाद भी करामत अली को यह नहीं हुआ - [इत्मीनान]
कृति 2: [आकलन]
[1] उत्तर लिखिए:
[i]
SOLUTION :
[ii]
SOLUTION :
कृति 3: [शब्द संपदा]
[1] निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए:
[i] बरस
[ii] गाय
[iii] दूध
[iv] जरूरत।
SOLUTION :
[i] बरस - साल
[ii] गाय - धेनु
[iii] दूध - दुग्ध
[iv] जरूरत - आवश्यकता।
[2] निम्नलिखित शब्दों का वचन बदलकर लिखिए:
[i] निशानी
[ii] समस्या
[iii] बेटी
[iv] जरूरत।
SOLUTION :
[i] निशानी - निशानियाँ
[ii] समस्या - समस्याएँ
[iii] बेटी - बेटियाँ
[iv] जरूरत - जरूरतें।
[3] गद्यांश में प्रयुक्त उर्दू शब्द ढूँढकर लिखिए।
[i] ……………….
[ii] ……………….
[iii] ……………….
[iv] ……………….
SOLUTION :
[i] मवेशी
[ii] शौक
[iii] जरूरत
[iv] खुशनसीबी।
[4]
SOLUTION :
कृति 4: [स्वमत अभिव्यक्ति]
प्रश्न. पशुपालन के विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
SOLUTION :
आदि मानव जब से एक स्थान पर समूह बनाकर रहने और खेती करने लगा, तभी से मनुष्यों और पशुओं का साथ रहा है। कृषि कार्य में उसे कई पशुओं को पालतू बनाना पड़ा था। भारतीय समाज में पशुपालन की परंपरा तभी से चली आ रही है। देश के प्रत्येक कृषक की यह इच्छा रहती है कि उसके पास बैलों की एक जोड़ी और एक गाय अवश्य हो।
ये जानवर उसके लिए मात्र खेती में काम आने वाले, दूध देने वाले, सवारी तथा रखवाली के काम आने वाले ही नहीं होते, वरन ये कृषक परिवार का अभिन्न अंग होते हैं। घर के सभी सदस्यों को इनसे अत्यंत प्रेम होता है। ये अपने बच्चों के समान इन पशुओं के खान-पान और इनकी सुख-सुविधा का ध्यान रखते हैं।
गद्यांश क्र. 3
प्रश्न
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
कारण लिखिए:
[a] करामत अली लक्ष्मी को बेचना नहीं चाहता था।
SOLUTION :
[a] करामत अली जानता था कि बूढ़ी लक्ष्मी को अगर कोई खरीदेगा तो वह उसे काट-काटकर बेचने के लिए ही खरीदेगा।
कृति 2: [आकलन]
[1] आकृति पूर्ण कीजिए:
27
SOLUTION :
[2] उत्तर लिखिए:
SOLUTION :
[ii] रमजानी ने संदूकची से यह निकाला - [ ]
SOLUTION :
[ii] रमजानी ने संदूकची से यह निकाला - [बीस का एक नोट]
कृति 3: [शब्द संपदा]
[1] निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए:
[i] विशेष
[ii] बूढ़ी
[iii] आसान
[iv] बेचना।
SOLUTION :
[i] विशेष x सामान्य
[ii] बूढ़ी x युवा
[iii] आसान x कठिन
[iv] बेचना x खरीदना।
[2] निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए:
[i] दूध
[ii] परेशानी
[iii] जमाना
[iv] सानी।
SOLUTION :
[i] दूध - पुल्लिंग
[ii] परेशानी - स्त्रीलिंग
[iii] जमाना - पुल्लिग
[iv] सानी - स्त्रीलिंग।
कृति 4: [स्वमत अभिव्यक्ति]
प्रश्न. मानव और पशु के संबंध के विषय में 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
SOLUTION :
आदि-मानव पशुओं का शिकार पेट भरने के लिए करता था। कालांतर में उसने पशुओं का शिकार छोड़कर कृषि करना सीखा, साथ ही पशुओं को पालकर उनसे काम लेना प्रारंभ किया। गाय, बैल, घोड़ा और कुत्ता आदि हमारे बहुत अच्छे मित्र हैं। उनसे हमारे अनेक कार्य सिद्ध होते हैं। पशु अपनी मित्रता में सदा खरे उतरे हैं। उन्होंने मानव की हर तरह से सेवा की है। कुत्ता एक स्वामिभक्त जानवर है। अपने मालिक के लिए यह अपने प्राण भी न्योछावर कर देता है। सुरक्षा करने, मार्ग दिखाने आदि में कुत्ता अतुलनीय भूमिका निभाता है। संकट में फंसे लोगों को बचाने में भी कुत्ते बहुत कुशल होते हैं। कुत्तों में सूंघने की अद्भुत शक्ति होती है। कुत्ते पुलिस के काम में बहुत सहायता करते हैं।
गद्यांश क्र.4
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
[1] [i] आकृति पूर्ण कीजिए:
31
SOLUTION :
[ii]
32
SOLUTION :
[2] संजाल पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
कृति 2: [आकलन]
[1] कारण लिखिए:
[i] लक्ष्मी को कांजी हाउस में पहुँचाने की धमकी देना
[ii] माँ-बेटे को आश्चर्य होना
[iii] रहमान ने लक्ष्मी को इलाके से बाहर छोड़ दिया।
SOLUTION :
[i] क्योंकि लक्ष्मी दूसरे व्यक्ति की गाय का सब चारा खा गई है।
[ii] क्योंकि लक्ष्मी एक-डेढ घंटे बाद ही घर के सामने खड़ी थी।
[2] केवल एक/दो शब्दों में उत्तर लिखिए:
[i] करामत अली इस समय ड्यूटी से लौटा - ……………………….
[ii] दूसरों की गाय का चारा खाने वाली - ……………………….
[ii] रमजानी इसकी बातें सुनती रही - ……………………….
[iv] लक्ष्मी को देखकर आश्चर्यचकित होने वाले - ……………………….
SOLUTION :
[i] दोपहर बाद।
[ii] लक्ष्मी
[iii] आगंतुक की।
[iv] माँ - बेटे।
[3] आकृति पूर्ण कीजिए:
SOLUTION :
कृति 3: [शब्द संपदा]
[1] निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए: -
[i] दिन
[ii] घर
[iii] माँ
[iv] आश्चर्य।
SOLUTION :
[i] दिन = दिवस
[ii] घर = सदन
[iii] माँ = जननी
[iv] आश्चर्य = अचरज।
[2] निम्नलिखित शब्दों का वचन बदलकर लिखिए:
[i] इलाका
[ii] आँखें
[iii] गली
[iv] नाला।
SOLUTION :
[i] इलाका - इलाके
[ii] आँखें - आँख
[iii] गली - गलियाँ
[iv] नाला - नाले।
[3] लिंग पहचानकर लिखिए:
[i] रस्सी - ……………………….
[ii] झाड़-झंखाड़ - ……………………….
SOLUTION :
[i] रस्सी-स्त्रीलिंग
[ii] झाड़-झंखाड़-पुल्लिग।
[4] गद्यांश में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्द के भिन्न-भिन्न अर्थ लिखिए:
SOLUTION :
कृति 4: [स्वमत अभिव्यक्ति]
प्रश्न. ‘कांजी हाउस में पशुओं के रखरखाव’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
SOLUTION :
कांजी हाउस सरकार द्वारा संचालित एक केंद्र [पशुधर] होता है। यहाँ उन पशुओं को रखा जाता है, जो लावारिस इधर-उधर घूमते रहते हैं और खेतों में घुसकर लोगों की फसल को नुकसान पहुँचाते हैं। शिकायतकर्ता इन पशुओं को कांजी हाउस में भेज देते हैं। इन पशुओं का नियमपूर्वक रिकॉर्ड रखा जाता है। इनके मालिक जब इन्हें लेने आते हैं तो उनसे जुर्माना वसूल कर पशु उनके हवाले कर दिए जाते हैं। यदि लंबे समय तक किसी पशु की खोज-खबर लेने कोई नहीं आता, तो उसे नीलाम कर दिया जाता है। कांजी हाउस में इन पशुओं के खान-पान का कोई ध्यान नहीं रखा जाता।
गद्यांश क्र. 5
कृति 1: [आकलन]
[1] दो ऐसे प्रश्न बनाकर लिखिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों:
[i] लक्ष्मी
[ii] गऊशाला में।
SOLUTION :
[i] टुकड़े-टुकड़े होकर कौन बिक जाएगी?
[ii] करामत अली लक्ष्मी को कहाँ भरती करा देगा?
[2] संजाल पूर्ण कीजिए:
41
SOLUTION :
कृति 2: [आकलन]
[1] संजाल पूर्ण कीजिए:
SOLUTION :
[2] कारण लिखिए:
[a] लक्ष्मी बिना किसी रुकावट के करामत अली के पीछे-पीछे चली आ रही थी।
SOLUTION :
[a] लक्ष्मी करामत अली के प्रेम को पहचानती थी। वह जानती थी कि करामत अली उसे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
[3] एक-दो शब्दों में उत्तर लिखिए:
[i] रमजानी ने किसके चेहरे के भाव भाँप लिए?
[ii] रमजानी कहाँ खड़ी लक्ष्मी को बाहर ले जाते देखती रही?
SOLUTION :
[i] करामत अली
[ii] दरवाजे पर।
कृति 3: [शब्द संपदा]
[1] निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए:
[i] दोस्त
[ii] रात
[iii] सवेरा
[iv] बाहर।
SOLUTION :
[i] दोस्त x दुश्मन
[ii] रात x दिन
[iii] सवेरा x साँझ
[iv] बाहर x भीतर।
[2] गद्यांश में प्रयुक्त उर्दू के शब्द ढूँढकर लिखिए।
[i] ………………..
[ii] ………………..
[ii] ………………..
[iv] ………………..
SOLUTION :
[i] किस्मत
[ii] खुद
[iii] हुज्जत
[iv] इत्मीनान।
[3] गद्यांश में प्रयुक्त शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
[i] ………………..
[ii] ………………..
[ii] ………………..
[iv] ………………..
SOLUTION :
[i] मुँह-हाथ
[ii] पीछे-पीछे
[iii] थके-माँदे
[iv] खाए-पिए।
भाषा अध्ययन [व्याकरण]
प्रश्न, सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
1. शब्द भेद:
• अधोरेखांकित शब्दों का शब्दभेद पहचानकर लिखिए:
[i] वह लक्ष्मी को किसी भी हालत में बेचना नहीं चाहता था।
[ii] रामू ने देखा कि दूध नदारद!
[iii] राशन के लिए कुछ रुपए रखे थे।
SOLUTION :
[i] वह - पुरुषवाचक सर्वनाम ।
[ii] दूध - द्रव्यवाचक संज्ञा।
[iii] कुछ - संख्यावाचक विशेषण।
2. अव्यय:
निम्नलिखित अव्ययों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
[i] और
[ii] जहाँ
[iii] अरे!
[iv] अरे रे!
SOLUTION :
[i] लक्ष्मी ने चारे को सूंघा और फिर उसकी ओर निराशा से देखने लगी।
[ii] जहाँ इसकी किस्मत में होगा, वहीं छोड़ आऊँगा।
[iii] अरे। लक्ष्मी जल्दी चल।
[iv] अरे रे! साँप ने उसे काट लिया।
3. संधि:
कृति पूर्ण कीजिए:
संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
निराशा …………………… ……………………
अथवा
………………….. अति + अंत ……………………
SOLUTION :
संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
निराशा निः + आशा विसर्ग संधि
अथवा
अत्यंत अति + अंत स्वर संधि
4. सहायक क्रिया:
निम्नलिखित वाक्यों में से सहायक क्रियाएँ पहचानकर उनका मूल रूप लिखिए:
[i] रमजानी काम में जुट गई।
[ii] रहमान ने लक्ष्मी को घर से निकालने के लिए कमर कस ली।
[iii] लक्ष्मी ने घास छोड़ दिया।
सहायक क्रिया मूल रूप
[i] गई जाना
[ii] ली लेना
[iii] दिया देना
5. प्रेरणार्थक क्रिया:
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए:
[i] मिलना
[ii] पीना
[iii] बनना।
SOLUTION :
क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
[i] मिलना मिलाना मिलवाना
[ii] पीना पिलाना पिलवाना
[i] बनना बनाना बनवाना
6. मुहावरे:
[1] मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
[i] चंपत होना
[ii] कमर कसना
[iii] ताँता लगना
SOLUTION :
[i] चंपत होना।
अर्थ: गायब होना।
वाक्य: पुलिस को देखकर चोर चंपत हो गया।
[ii] कमर कसना।
अर्थ: तैयार होना।
वाक्य: अकाल का मुकाबला करने के लिए लोगों ने कमर कस ली।
[iii] ताँता लगना।
अर्थ: कतार लग जाना, भीड़ लगना।
वाक्य: गांधी जी के दर्शनों के लिए आश्रम में हमेशा लोगों का तांता लगा रहता।
[2] अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए कोष्ठक में दिए गए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए: [पैर पकड़ना, जान में जान आना, ताँता बंध जाना]
[i] वर्षा होने पर किसानों को धीरज प्राप्त हुआ।
[ii] रमण ने पिता जी से क्षमा याचना की।
SOLUTION :
[i] वर्षा होने पर किसानों की जान में जान आई।
[ii] रमण ने पिता जी के पैर पकड़े।
7. कारक:
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारक पहचानकर उनका भेद लिखिए:
[i] कंबख्त ने कितनी बेरहमी से पीटा है।
[ii] लक्ष्मी ने आज भी दूध नहीं दिया।
[iii] उसने लक्ष्मी के माथे पर हाथ फेरा।
SOLUTION :
[i] बेरहमी से-करण कारक
[ii] लक्ष्मी ने-कर्ता कारक
[iii] माथे पर-अधिकरण कारक।
8. काल परिवर्तन:
निम्नलिखित वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए:
[i] लक्ष्मी उसकी ओर देखती है। [अपूर्ण भूतकाल]
[ii] रहमान लक्ष्मी को मारता है। [पूर्ण वर्तमानकाल]
[iii] लक्ष्मी बड़ी घबराई हुई है। [पूर्ण भूतकाल]
SOLUTION :
[i] लक्ष्मी उसकी ओर देख रही थी।
[ii] रहमान ने लक्ष्मी को मारा है।
[iii] लक्ष्मी बड़ी घबराई हुई थी।
9. वाक्य भेद:
[1] निम्नलिखित वाक्यों का रचना के आधार पर भेद पहचानकर लिखिए:
[i] रमजानी खड़ी थी और आगंतुक की बातें सुन रही थी।
[ii] जो भी गाय के पास जाता, वह उसे सिर मारने की कोशिश करती।
SOLUTION :
[i] संयुक्त वाक्य
[ii] मिश्र वाक्य।
[2] निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ के आधार पर दी गई सूचना के अनुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए:
[i] करामत अली ने लक्ष्मी की पीठ सहलाई। [निषेधवाचक वाक्य]
[ii] यह तुम्हारा पुराना धंधा है। [प्रश्नवाचक वाक्य]
SOLUTION :
[i] करामत अली ने लक्ष्मी की पीठ नहीं सहलाई।
[i] क्या यह तुम्हारा पुराना धंधा है?
10. वाक्य शुद्धिकरण:
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए:
[i] लक्ष्मी की आँख में आँसू आई।
[ii] नईम का आवाज करामत के कान में पहुंचा।
[iii] मामला लक्ष्मी को गऊशाला ले जाने पर ठिक हो गई।
SOLUTION :
[i] लक्ष्मी की आँखों में आँसू आए।
[ii] नईम की आवाज करामत के कान में पहुंची।
[iii] मामला लक्ष्मी को गऊशाला ले जाने पर ठीक हो गया।
लक्ष्मी Summary in Hindi
लक्ष्मी विषय - प्रवेश :
लक्ष्मी मवेशियों के शौकीन ज्ञान सिंह की अधेड़ उम्र की प्रिय गाय थी। नौकरी से अवकाश के बाद ज्ञान सिंह को मकान खाली करने की नौबत आई तो लक्ष्मी को रखने की समस्या आई। उसका हल उन्होंने निकाला अपने पड़ोसी और दोस्त करामत अली को लक्ष्मी को सौंप देने से। करामत अली जी - जान से लक्ष्मी की सेवा करते थे, पर जब लक्ष्मी ने दूध देना बंद कर दिया, तो वह उनके परिवार के लिए समस्या बन गई।
प्रस्तुत कहानी में कहानीकार गुरुबचन सिंह ने एक ओर मित्र को दिए गए वचन के पालन पर बल दिया है, तो दूसरी ओर प्राणिमात्र के प्रति दया - भावना को प्रतिपादित किया है। कहानी में दर्शाया गया है कि अनुपयोगी हो जाने के बाद भी पालतू प्राणियों की उचित देखभाल करना आवश्यक है।
लक्ष्मी मुहावरे - अर्थ
- मुँह मारना - जल्दी - जल्दी खाना।
- गला भर आना - भाव विह्वल होना, आवाज भर आना।
- हाथ थामना - सहारा देना।
- कोरा जवाब देना - साफ मना करना।
- तैश में आना - आवेश [जोश] में आना।
लक्ष्मी स्वाध्याय | लक्ष्मी पाठ का स्वाध्याय | lakshmi Swadhyay 10th
परिचय
सुप्रसिद्ध कहानीकार गुरुबचन सिंह जी ने साहित्य के अनेक क्षेत्रों में मुक्त लेखन किया है । आपकी भाषा सरल और प्रवाही है । इसी वजह से आपका साहित्य रोचक बन पड़ा है ।
गद्य संबंधी
प्रस्तुत संवादात्मक कहानी में कहानीकार ने दिए गए वचन के प्रति जिम्मेदारी और प्राणिमात्र के प्रति दया की भावना व्यक्त करते हुए पशुप्रेम दर्शाया है । लेखक का कहना है कि अनुपयोगी हो जाने पर भी प्राणियों का पालन-पोषण करना ही मानवता है ।
लक्ष्मी स्वाध्याय | लक्ष्मी पाठ का स्वाध्याय | lakshmi Swadhyay 10th
उस दिन लड़के ने तैश में आकर लक्ष्मी की पीठ पर चार डंडे बरसा दिए थे । वह बड़ी भयभीत और घबराई थी। जो भी उसके पास जाता, सिर हिला उसे मारने की कोशिश करती या फिर उछलती-कूदती, गले की रस्सी तोड़कर खूँटे से आजाद होने का प्रयास करती। करामत अली इधर दो-चार दिनों से अस्वस्थ था। लेकिन जब उसने यह सुना कि रहमान ने गाय की पीठ पर डंडे बरसाए हैं तो उससे रहा नहीं गया । वह किसी प्रकार चारपाई से उठकर धीरे-धीरे चलकर बथान में आया। आगे बढ़कर उसके माथे पर हाथ फेरा, पुचकारा और हौले-से उसकी पीठ पर हाथ फेरा। लक्ष्मी के शरीर में एक सिहरन-सी दौड़ गई ।
‘ओह ! कंबख्त ने कितनी बेदर्दी से पीटा है ।’’ उसकी बीबी रमजानी बोली-‘‘लो, चोट की जगह पर यह रोगन लगा दो । बेचारी को आराम मिलेगा।’’ करामत अली गुस्से में बोला-‘‘क्या अच्छा हो अगर इसी लाठी से तुम्हारे रहमान के दोनों हाथ तोड़ दिए जाएँ । कहीं इस तरह पीटा जाता है ?’’ रमजानी बाेली-‘‘लक्ष्मी ने आज भी दूध नहीं दिया ।’’ ‘‘तो उसकी सजा इसे लाठियों से दी गई ?’’ ‘रहमान से गलती हो गई, इसे वह भी कबूलता है ।’’ रमजानी कुछ क्षण खड़ी रही फिर वहाँ से हटती हुई बोली-‘‘देखो, अपना ख्याल रखो । पाँव इधर-उधर गया तो कमर सिंकवाते रहोगे ।’’ करामत अली ने फिर प्यार से लक्ष्मी की पीठ सहलाई ।
मुँह-ही-मुँह में बड़बड़ाया-‘‘माफ कर लक्ष्मी, रहमान बड़ा मूर्खहै । उम्र के साथ तू भी बुढ़ा गई है । डेयरीफार्म के डॉक्टर ने तो पिछली बार ही कहदिया था, यह तेरा आखिरी बरस है।’’ लक्ष्मी शांत खड़ी अपने जख्मों पर तेल लगवाती रही । वह करामत अली के मित्र ज्ञान सिंह की निशानी थी । ज्ञान सिंह और करामत अली एक-दूसरे के पड़ोसी तो थे ही, वे कारखाने में भी एक ही विभाग में काम करते थे । प्रायः एक साथ ड्यूटी पर जाते और एक साथ ही घर लौटते। ज्ञान सिंह को मवेशी पालने का बहुत शौक था । प्रायः उसके घर के दरवाजे पर भैंस या गाय बँधी रहती। तीन बरस पहले उसने एक जर्सी गाय खरीदी थी ।
उसका नाम उसने लक्ष्मी रखा था । अधेड़ उम्र की लक्ष्मी इतना दूध दे देती थी कि उससे घर की जरूरत पूरी हो जाने के बाद बाकी दूध गली के कुछ घरों में चला जाता। दूध बेचना ज्ञान सिंह का धंधा नहीं था। केवल गाय को चारा और दर्रा आदि देने के लिए कुछ पैसे जुटा लेता था । नौकरी से अवकाश के बाद ज्ञान सिंह को कंपनी का वह मकान खाली करना था । समस्या थी तो लक्ष्मी की । वह लक्ष्मी को किसी भी हालत में बेच नहीं सकता था । उसे अपने साथ ले जाना भी संभव नहीं था । जब अवकाश में दस-पंद्रह दिन ही रह गए तो करामत अली से कहा-‘‘मियाँ ! अगर लक्ष्मी को तुम्हें सौंप दूंॅ तो क्या तुम उसे स्वीकार करोगे...?’’
मियाँ करामत अली ने कहा था-‘‘नेकी और पूछ-पूछ । भला इससे बड़ी खुशनसीबी मेरे लिए और क्या हो सकती है ?’’ करामत अली पिछले एक वर्ष से उस गाय की सेवा करता चला आ रहा था । गाय की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी। करामत अली को लक्ष्मी की पीठ पर रोगन लगाने के बाद भी इत्मीनान नहीं हुआ । वह उसके सिर पर हाथ फेरता रहा । लक्ष्मी स्थिर खड़ी उसकी ओर जिज्ञासापूर्ण दृष्टि से देखती रही । करामत अली को लगा जैसे लक्ष्मी कहना चाहती हो- ‘‘यदि मैं तुम्हारे काम की नहीं हूँ तो मुझे आजाद कर दो। मैं यह घर छोड़कर कहीं चली जाऊँगी ।’’
करामत अली ड्यूटी पर जाने की तैयारी में था । तभी रमजानी बोली- ‘‘रहमान के अब्बा, अगर लक्ष्मी दूध नहीं देगी तो हम इसका क्या करेंगे ? क्या खूँटे से बाँधकर हम इसे खिलाते-पिलाते रहेंगे...?’’ ‘‘जानवर है । बँधा है तो इसे खिलाना-पिलाना तो पड़ेगा ही।’’ ‘‘जानते हो, इस महँगाई के जमाने में सिर्फ सादा चारा देने में ही तीन-साढ़े तीन सौ महीने का खर्चाहै ।’’ ‘सो तो है ।’’ कहते हुए करामत अली आगे कुछ नहीं बोला । घर से निकलकर कारखाने की तरफ हो लिया ।
रास्ते में वह रमजानी की बात पर विचार कर रहा था, लक्ष्मी अगर दूध नहीं देगी तो इसका क्या करेंगे। यह ख्याल तो उसके मन में आया ही नहीं था कि एक समय ऐसा भी आ सकता है कि गाय को घर के सामने खूँटे सें बाँधकर मुफ्त में खिलाना भी पड़ सकता है । उसके साथी नईम ने उसे कुछ परेशान देखा तो पूछा-‘‘करामत मियाँ, क्या बात है, बड़े परेशान नजर आते हो ? खैरियत तो है?’’ ‘‘ऐसी कोई विशेष बात नहीं है ।’’ ‘‘कुछ तो होगा ।’’ ‘‘ क्या बताऊँ । गाय ने दूध देना बंद कर दिया है, बूढ़ी हो गई है। बैठाकर खिलाना पड़ेगा और इस जमाने में गाय-भैंस पालने का खर्चा...।’’ ‘‘इसमें परेशान होने की क्या जरूरत है ? गाय बेच दो ।’’
करामत अली ने हौका भरते हुए कहा, ‘‘हाँ, परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है । बहुत आसान तरीका है । लक्ष्मी को बेच दिया जाए।’’ वह नईम के पास से हटकर अपने काम में जुट गया । करामत अली रात का गया सवेरे कारखाने से घर लौटा । रात की ड्यूटी से घर लौटने पर ही वह लक्ष्मी को दुहता था । घर में घुसते ही उसने रमजानी से पूछा-‘‘क्या लक्ष्मी को अभी तक चारा नहीं दिया ?’’ रमजानी बोली-‘‘रहमान से कहा तो था ।’’ ‘तुम दाेनों की मर्जी होती तो गाय काे अब तक चारा मिल चुका होता। अगर वह दूध नहीं दे रही है तो क्या उसे भूखा रखोगे ?’’ कहते हुए करामत कटा हुआ पुआल, खली और दर्रा आदि ले जाकर लक्ष्मी के लिए सानी तैयार करने लगा। लक्ष्मी उतावली-सी तैयार हो रही सानी में मुँह मारने लगी ।
गाय को सानी देकर करामत अली उसकी पीठ देखने लगा । रोगन ने अच्छा काम किया था । दाग कुछ हल्के पड़ गए थे । दस-पंद्रह दिनों से यों ही चल रहा था । एक दिन जब करामत अली ने पुआल लाने के लिए रमजानी से पैसे माँगे तो वह बोली, ‘‘मैं कहाँ से पैसे दूँ ? पहले तो दूध की बिक्री के पैसे मेरे पास जमा रहते थे । उनमें से दे देती थी । अब कहाँ से दूँ ?’’ ‘‘लो, यह राशन के लिए कुछ रुपये रखे थे ।’’ कहते हुए रमजानी ने संदूकची में से बीस का एक नोट निकालकर उसे थमाते हुए कहा,‘‘इससे लक्ष्मी का राशन ले आओ ।’’ ‘‘ठीक है । इससे लक्ष्मी के दो-चार दिन निकल जाएँगे ।’’ ‘‘आखिर इस तरह कब तक चलेगा ?’’ रमजानी दुखी स्वर में बोली। ‘‘तुम इसे खुला छोड़कर,आजमाकर तो देखो ।’’
‘‘कहते हो तो ऐसा करके देख लेंगे ।’’ दूसरे दिन रहमान सवेरे आठ-नौ बजे के करीब लक्ष्मी को इलाके से बाहर जहाँ नाला बहता है, जहाँ झाड़-झंखाड़ और कहीं दूब के कारण जमीन हरी नजर आती है, छोड़ आया ताकि वह घास इत्यादि खाकर अपना कुछ पेट भर ले । लेकिन माँ-बेटे को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि लक्ष्मी एक-डेढ़ घंटे बाद ही घर के सामने खड़ी थी । उसके गले में रस्सी थी । एक व्यक्ति उसी रस्सी को हाथ में थामे कह रहा था-‘‘यह गाय क्या आप लोगों की है ?’’ रमजानी ने कहा, ‘‘हाँ ।’’ ‘यह हमारी गाय का सब चारा खा गई है । इसे आप लोग बाँधकर खें नहीं तो काँजी हाउस में पहुँचा देंगे ।’’ रमजानी चुप खड़ी आगंतुक की बातें सुनती रही ।
दोपहर बाद जब करामत अली ड्यूटी से लौटा और नहा-धाेकर कुछ नाश्ते के लिए बैठा तो रमजानी उससे बोली-‘‘मेरी मानो तो इसे बेच दो ।’’ ‘‘फिर बेचने की बात करती हो...? कौन खरीदेगा इस बुढ़िया को।’’ ‘‘रहमान कुछ कह तो रहा था, उसे कुछ लोग खरीद लेंगे । उसने किसी से कहा भी है । शाम को वह तुमसे मिलने भी आएगा ।’’ करामत अली सुनकर खामोश रह गया ।
उसे लग रहा था, सब कुछ सकी इच्छा के विरुद्ध जा रहा है, शायद जिसपर उसका कोई वश नहीं था। करामत अली यह अनुभव करते हुए कि लक्ष्मी की चिंता अब किसी को नहीं है, खामोश रहा । उठा और घर में जो सूखा चारा पड़ा था, उसके सामने डाल दिया । लक्ष्मी ने चारे को सूँघा और फिर उसकी तरफ निराशापूर्ण आँखों से देखने लगी । जैसे कहना चाहती हो, मालिक यह क्या ? आज क्या मेरे फाँकने को यह सूखा चारा ही है । दर्रा-खली कुछ नहीं । करामत अली उसके पास से उठकर मँुह-हाथ धोने के लिए गली के नुक्कड़ पर नल की ओर चला गया । सात-आठ बजे के करीब रहमान एक व्यक्ति को अपने साथ लाया। करामत अली उसे पहचानता था । इसके पहले कि उससे कुछ औपचारिक बातें हों, करामत अली ने पूछा, ‘‘क्या तुम गाय खरीदने आए हो ?’’ उसने जवाब में कहा-‘‘हाँ’’ ‘‘बूढ़ी गाय है, दूध-ऊध नहीं देती ।’’
‘‘तो क्या हुआ ...?’’ ‘‘तुम इसे लेकर क्या करोगे ...?’’ ‘‘मैं कहीं और बेच दूंॅगा ।’’ ‘‘यह तुम्हारा पुराना धंधा है । मैं जानता हूँ । मुझे तुम्हें गाय नहीं बेचनी।’’ करामत मियाँ ने उसे कोरा जवाब दे दिया । रमजानी करामत के चेहरे के भाव भाँपती हुई बोली-‘‘क्या यह भी कोई तरीका है, आने वाले को खड़े-खड़े दुत्कारकर भगा दो ।’’ ‘तुम जानती हो वह कौन है...?’’ करामत अली ने कटु स्वर में कहा। ‘वह लक्ष्मी को ले जाकर वहाँ बेच आएगा जहाँ यह टुकड़े-टुकड़े होकर बिक जाएगी ।
मेरे दोस्त ज्ञान सिंह को इसका पता चल गया तो वह मेरे बारे में क्या सोचेगा ।’’ उस दिन करामत अली बिना कुछ खाए-पिए रात को बिना बिस्तर की चारपाई पर पड़ा रहा । नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी। रात काफी निकल चुकी थी । सवेरे देर तक वह लेटा ही रह गया। कुछ देर बाद करामत अली ने चारपाई छोड़ी । मुँह-हाथ धो, घर से बाहर निकल पड़ा । लक्ष्मी के गले से बँधी हुई रस्सी खूँटे से खोली और उसे गली से बाहर ले जाने लगा । रमजानी, जो दरवाजे पर खड़ी यह सब देख रही थी, बोली- ‘‘इसे कहाँ ले चले ?’’ करामत अली ने कहा-‘‘जहाँ इसकी किस्मत में लिखा है ।’’
वह लक्ष्मी को सड़क पर ले आया । लक्ष्मी बिना किसी रुकावट या हुज्जत के उसके पीछे-पीछे चली जा रही थी । वह उसकी रस्सी पकड़ेसड़क पर आगे की ओर चलता चला गया । चलते-चलते कुछ क्षण रुककर वह बोला-‘‘लक्ष्मी चल, अरे ! गऊशाला यहाँ से दो किलोमीटर दूर है । तुझे गऊशाला में भरती करा दूंॅगा । वहाँ इत्मीनान से रहना । वहाँ तू हमारे घर की तुलना में मजे से रहेगी । भले ही मैं वहाँ न रहूँ पर जो लोग भी होंगे, मेरे ख्याल में तुम्हारे लिए अच्छेही होंगे। मैं कभी-कभी तुम्हें देख आया करूँगा।
तब तू मुझे पहचानेगी भी या नहीं, खुदा जाने, ’’ कहते हुए करामत अली का गला भर आया। उसकी आँखों में आँसू उतर आए । ‘चल, लक्ष्मी चल । जल्दी-जल्दी पैर बढ़ा’’ और वह खुद किसी थके-मांॅदे बूढ़े बैल की तरह भारी कदमों से आगे बढ़ने लगा ।
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