जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

कृति

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

कृतिपत्रिका के प्रश्न 1[अ] तथा 1[आ] के लिए

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

प्रश्न 1.कृति पूर्ण कीजिए:


अमृतलाल नागर जी के साहित्य सृजन में सहायकलेखक१. ……………………१. ……………………
पत्रिकाएँ२. ……………………२. ……………………

अमृतलाल नागर जी के साहित्य में सहायक सृजनलेखक1. सनेही जी2. अयोध्यासिंह उपाध्याय
पत्रिकाएँ1. सरस्वती2. गृहलक्ष्मी

प्रश्न 2.उत्तर लिखिए :
[i] नागर जी की पहली कविता को प्रस्फुटित करने वाला अनुभव - - - - - - - - - - - -
[ii] नागर जी अपने पिता जी के इस गुण से प्रभावित थे - - - - - - - - - - - -
Solutions :
[i] सन 1928 - 1929 में साइमन कमीशन के बहिष्कार के समय किए गए लाठी चार्ज के अनुभव ने नागर जी की पहली कविता को प्रस्फुटित किया।
[ii] किसी के दुख-दर्द में तुरंत पहुँचने का गुण।

प्रश्न 3. कोष्ठक में दी गई नागर जी की साहित्य कृतियों का वर्गीकरण कीजिए:
[कब लौं कहीं लाठी खाय, खंजन नयन, अपशकुन, नाच्यो बहुत गोपाल, महाकाल, प्रायश्चित, गदर के फूल

कहानी उपन्यास कविता अन्य
…………………………………………

उत्तर:

कहानी उपन्यास कविता अन्य
अपशकुन नाच्यो बहुत गोपाल कब लौं कहौं लाठी खाय गदर के फूल
प्रायश्चित महाकाल
 खंजन नयन

प्रश्न 4. कृति पूर्ण कीजिए:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
Solutions :
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

प्रश्न 5.लिखिए :
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
Solutions :
 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

प्रश्न 6. एक शब्द में उत्तर लिखिए :
[i] नागर जी के प्रिय लेखक -
[ii] नागर जी के प्रिय आलोचक -
[iii] अपनी इस रचना के लिए नागर जी को बहुत लोगों से मिलना पड़ा -
[iv] नागर जी का पहला उपन्यास -
Solutions :
[i] नागर जी के समय के लेखकों में उनकी पसंद के लेखक - रामविलास शर्मा।
[ii] नागर जी के प्रिय आलोचक - [पाठकीय - प्रतिक्रियाएँ देने वाले पत्र लेखक]
[iii] अपनी इस रचना के लिए नागर जी को बहुत लोगों से मिलना पड़ा - गदर के फूल’।

प्रश्न 7. लिखिए:
[अ] तद्धित शब्दों का मूल शब्द :
[i] साहित्यिक = _____________
[ii] विलायती = _____________
Solutions :
[i] साहित्यिक - साहित्य
[ii] विलायती - विलायत

[ब] कृदंत शब्दों का मूल शब्द :
[i] खिंचाव = _____________
[ii] लिखावट = _____________
Solutions :
[i] खिंचाव - खिंच + आव
[ii] लिखावट - लिख + आवट

 

अभिव्यक्ति

‘ज्ञान तथा आनंद प्राप्ति का साधन : वाचन’ पर अपने विचार लिखिए।
Solutions :
कहते हैं, पुस्तक मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र होती है। पुस्तकों में ज्ञानभरी बातें होती हैं। किताबों में संचित ज्ञान हमारे लिए सहायक होता है। विभिन्न विचारकों, लेखकों तथा महान व्यक्तियों के विचार पुस्तकों में ही संग्रहित होते हैं। हमारे यहाँ साहित्य, तकनीक, विज्ञान, धर्म, राजनीति आदि सभी विषयों से संबंधित पुस्तकें उपलब्ध हैं। आवश्यकता है इन्हें पढ़ने में रुचि रखने की। पुस्तकें पढ़ने से ज्ञान प्राप्ति के साथ-साथ अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है। कोई भी मनुष्य हर दृष्टि से परिपूर्ण नहीं होता। मनुष्य बहुत सारी बातें देख-सुन और पढ़कर सीखता है।

विद्यार्थी पाठ्यपुस्तकों से ज्ञानार्जन करता है। बड़े होने पर इन पुस्तकों से उसका काम नहीं चलता। उसे ज्ञानार्जन के लिए और खुराक की आवश्यकता होती है। वह अपने पसंद वाले विषयों की पुस्तकें पढ़ता है। आई.सी.एस., आई.पी.एस. तथा आई.ए.एस. जैसी बड़ी-बड़ी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए भी वाचन की आवश्यकता होती है। पुस्तकों में क्या नहीं है? इसमें जो जितने गोते लगाता है, उसे उतना ही ज्ञान प्राप्त होता है।

भाषा बिंदु

प्रश्न 1. निम्न वाक्यों में आई हुई मुख्य और सहायक क्रियाओं को रेखांकित करके दी हुई तालिका में लिखिए :

 सहायक क्रिया मुख्य क्रिया

लिखिए :

 सहायक क्रियामुख्य क्रिया
उनके रीति रिवाजों का अध्ययन करना पड़ा।1. …………………… ……………………
माता पिता का यह रंग देखकर तो वे बूढ़ी काकी को और सताने लगे।।2. …………………… ……………………
उसकी ननद रूठ गई।3. …………………………………………
वे हड़बड़ा उठे। 4. …………………………………………
वे पुस्तक पकड़े न रख सके। 5. …………………………………………
उन्होंने पुस्तक लौटा दी। 6. …………………………………………
समुद्र स्याह और भयावह दीखने लगा। 7. …………………………………………
मैं गोवा को पूरी तरह नहीं समझ पाया। 8. …………………………………………
काकी घटनास्थल पर आ पहुँची। 9. …………………………………………
अवश्य ही लोग खा पीकर चले गए।10. …………………… ……………………

उत्तर:

जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

प्रश्न 2. पाठों में प्रयुक्त सहायक क्रियाओंवाले दस वाक्य ढूँढ़कर मुख्य और सहायक क्रियाएँ चुनकर लिखिए।

Solutions :
  जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्यों के रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित कारक चिह्नों से कीजिए तथा संबंधित कारक और कारक चिहन तालिका में वाक्य के सामने लिखिए : 

प्रश्न 4. पाठ में प्रयुक्त विभिन्न कारकों का एक-एक वाक्य छाँटकर उनसे कारक और कारक चिह्न चुनकर लिखिए।

Solutions :
  जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

उपयोजित लेख

प्रश्न 1. निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर इसपर आधारित ऐसे पाँच प्रश्न तैयार उपयोजित लेखन कीजिए, जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों :

विख्यात गणितज्ञ सी.वी. रमण ने छात्रावस्था में ही विज्ञान के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का सिक्का देश में ही नहीं विदेशों में भी जमा लिया था।

रमन का एक साथी छात्र ध्वनि के संबंध में कुछ प्रयोग कर रहा था। उसे कुछ कठिनाइयाँ प्रतीत हुईं, संदेह हुए। वह अपने अध्यापक जोन्स साहब के पास गया परंतु वह भी उसका संदेह निवारण न कर सके। रमण को पता चला तो उन्होंने उस समस्या का अध्ययन-मनन किया और इस संबंध में उस समय के प्रसिद्ध लॉर्ड रेले के निबंध पढ़े और उस समस्या का एक नया ही हल खोज निकाला। यह हल पहले हल से सरल और अच्छा था। लॉर्ड रेले को इस बात का पता चला तो उन्होंने रमण की प्रतिभा की भूरि-भूरि प्रशंसा की। अध्यापक जोन्स भी प्रसन्न हुए और उन्होंने रमण से इस प्रयोग के संबंध में लेख लिखने को कहा। रमण ने लेख लिखकर श्री जोन्स को दिया, पर जोन्स उसे जल्दी लौटा न सके। कारण संभवतः यह था कि वह उसे पूरी तरह आत्मसात न कर सके।

प्रश्न :
1. ________________________
2. ________________________
3. ________________________
4. ________________________
Solutions :
1. विज्ञान के क्षेत्र में देश में ही नहीं, विदेशों में भी बचपन में अपना सिक्का किसने जमा लिया था?
2. रमण का साथी किसके संबंध में प्रयोग कर रहा था?
3. रमण ने समस्या के संबंध में किसका निबंध पढ़ा?
4. रमण की प्रतिभा की प्रशंसा किसने की?
 
प्रश्न 2. अंतरजाल’ से ‘मेक इन इंडिया’ योजना संबंधी जानकारी प्राप्त करके इसे बढ़ावा देने हेतु विज्ञापन तैयार कीजिए : - मुद्दे
   
Solutions :
 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

गद्यांश क्र.1

प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: [आकलन]

प्रश्न 1. उत्तर लिखिए:
[i] नागर जी का साइमन कमीशन के बहिष्कार की घटना के बाद राजनीति की ओर न जाना -
Solutions :
[i] नागर जी के पिता सरकारी कर्मचारी थे। सरकारी कर्मचारी के परिवार के किसी सदस्य का सरकार के खिलाफ विद्रोह करने का अर्थ उसका नौकरी से हाथ धोना था। इसलिए नागर जी राजनीति की ओर नहीं गए।

प्रश्न 2.संजाल पूर्ण कीजिए:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
Solutions :
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

 
प्रश्न 3.आकृति पूर्ण कीजिए:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
उत्तर:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

कृति 2: [आकलन]

प्रश्न 1.आकृति पूर्ण कीजिए:
[i] नागर जी के सामने इनका साहित्य था - [ ]
[ii] नागर जी ने शुरू में इन्हें पढ़ा - [ ]
[iii] नागर जी का पहला मित्र यह था - [ ]
[iv] नागर जी की पहली कविता का शीर्षक यह था - [ ]
Solutions :
[i] नागर जी के सामने इनका - प्रेमचंद और कौशिक का साहित्य था
[ii] नागर जी ने शुरू में इन्हें पढ़ा - बंकिम के उपन्यास।
[iii] नागर जी का पहला मित्र यह था - छापे का अक्षर
[iv] नागर जी की पहली कविता का शीर्षक यह था - कब लौं कहौं लाठी खाय!

प्रश्न 2.ऐसे दो प्रश्न बनाकर लिखिए, जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों:
[i] 1933 में
[ii] चंडीप्रसाद हृदयेश।
Solutions :
[i] नागर जी की पहली कहानी ‘अपशकुन’ किस सन में छपी ?
[ii] नागर जी को किसकी लेखन शैली ने बहुत प्रभावित किया?

कृति 3: [शब्द संपदा]

प्रश्न 1.निम्नलिखित शब्दों का लिंग परिवर्तन कीजिए:
[i] लेखक - …………………….
[ii] कवि - …………………….
[iii] पितामह - …………………….
[iv] मित्र - …………………….
Solutions :
[i] लेखक - लेखिका
[ii] कवि - कवयित्री
[iii] पितामह - पितामही
[iv] मित्र - सहेली।

प्रश्न 2.उचित उपसर्ग जोड़कर सार्थक शब्द बनाइए: [अभि, आ, अनु, उप]
[i] …………………………… शासन
[ii] …………………………… वन
[iii] …………………………… जीवन
[iv] …………………………… मान
Solutions :
[i] अनु + शासन = अनुशासन
[ii] उप + वन = उपवन
[iii] आ + जीवन = आजीवन
[iv] अभि + मान = अभिमान।

कृति 4: [स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न.‘पत्र-पत्रिकाओं का महत्त्व’ विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
Solutions :
भाषा के विकास में पत्र-पत्रिकाओं का बहुत योगदान होता है। इनसे तरह-तरह की जानकारियाँ तो मिलती ही हैं, लेखन में होने वाली नई-नई प्रवृत्तियों की भी जानकारी मिलती है। पत्र-पत्रिकाओं में साहित्य, समाज, देश, राजनीति, विज्ञान, शिल्प, फिल्म, कला, मनोरंजन, कार्टून, व्यापार आदि सभी क्षेत्रों की जानकारी मिलती है। हमारे देश में विभिन्न भाषाओं में अनेक पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं और उनका बड़ा बाजार है। पढ़े-लिखे लोगों के घर में पत्र-पत्रिकाएँ आना आवश्यक माना जाता है। इनसे घर बैठे विभिन्न क्षेत्रों के बारे में जानकारी मिलती है। इनमें परिवार के हर आयु के लोगों के लिए . कुछ-न-कुछ होता है।

दूरदर्शन की लोकप्रियता के पहले पत्र-पत्रिकाएँ ही जानकारियों और मनोरंजन का एकमात्र साधन थीं। आज मोबाइल फोन तथा दूरदर्शन के युग में पत्रिकाओं की लोकप्रियता में थोड़ी कमी जरूर आई है, पर अखबारों की लोकप्रियता पहले जैसी ही कायम है। समझदार लोग पत्र-पत्रिकाओं के दीवाने हैं। कुछ लोग तो पत्रिकाओं के पुराने अंकों की जिल्दसाजी करवाकर रखते हैं। पत्र-पत्रिकाओं की हर युग में माँग रहेगी और इनका महत्त्व हमेशा बना रहेगा।

गद्यांश क्र. 2

प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: [आकलन]

प्रश्न 1.उत्तर लिखिए:
[i] नागर जी के पिता जी ने उन्हें इनमें भाग लेने से रोका -
Solutions :
[i] क्रांतिकारी आंदोलनों में

प्रश्न 2.आकृति पूर्ण कीजिए:
[i] गद्यांश में आए दो महान नेताओं के नाम - [ ]
[ii] नागर जी के लेखन की एक विशेषता - [ ]
[iii] नागर जी की पहली कहानी का नाम - [ ]
[iv] परिच्छेद में उल्लिखित स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण घटना - [ ]
Solutions :
[i] परिच्छेद में आए दो महान नेताओं गांधी जी, जवाहरलाल के नाम नेहरू
[ii] नागर जी के लेखन की एक विशेषता - गरीबों के प्रति करुणा का भाव होना
[iii] नागर जी की पहली कहानी का नाम - प्रायश्चित
[iv] परिच्छेद में उल्लिखित स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण घटना - काकोरी बमकांड

प्रश्न 3.संजाल पूर्ण कीजिए:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
Solutions :
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

कृति 2: [आकलन]

प्रश्न 1.आकृति पूर्ण कीजिए:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
Solutions :
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
प्रश्न 2.दो ऐसे प्रश्न बनाकर लिखिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द-समूह हों:
[i] 1933 में
[ii] सामाजिक आंदोलनों में।
Solutions :
[i] जवाहर लाल नेहरू से नागर जी की पहली बार किस सन में भेंट हुई थी?
[ii] नागर जी के पिता जी ने उन्हें किस तरह के आंदोलनों में जाने से कभी नहीं रोका?

कृति 3: [शब्द संपदा]

प्रश्न 1.निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए:
[i] निश्चित x …………………….
[ii] दुख x …………………….
[iii] तेज x …………………….
[iv] पहला x …………………….
Solutions :
[i] निश्चित x अनिश्चित
[ii] दुख x सुख
[iii] तेज x मद्धिम
[iv] पहला x अंतिम।

प्रश्न 2.तद्धित शब्दों का मूल शब्द लिखिए:
[i] प्रभावित - …………………….
[ii] सामाजिक - …………………….
Solutions :
[i] प्रभावित - प्रभाव
[ii] सामाजिक - समाज।

गद्यांश क्र. 3

प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: [आकलन]

प्रश्न 1.आकृति पूर्ण कीजिए:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
Solutions :
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
(ii) जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

प्रश्न 2.आकृति पूर्ण कीजिए:
 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
Solutions :
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

कृति 2: [आकलन]

प्रश्न 1.आकृति पूर्ण कीजिए:
[i] नागर जी ने अपनी इस कृति में सूरदास के चमत्कारों का वर्णन किया है - [ ]
[ii] नेत्रहीनों के चमत्कार के बारे में नागर जी की धारणा - [ ]
[ii] नागर जी सात साल तक प्रतिवर्ष जिस लेखक से एक शहर में मिलते रहे वे - [ ]
Solutions :
[i] नागर जी ने अपनी इस कृति में सूरदास के चमत्कारों का वर्णन किया है - [खजन नयन]
[ii] नेत्रहीनों के चमत्कार के बारे में नागर जी की धारणा - [नेत्रहीनों की भविष्यवाणियाँ कभी-कभी सच होती हैं]
[iii] नागर जी सात साल तक प्रतिवर्ष जिस लेखक से एक शहर में मिलते रहे वे - [शरतचंद्र]

प्रश्न 2.आकृति पूर्ण कीजिए:
(i) जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
(ii) जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
Solutions :
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

प्रश्न 3.वाक्य पूर्ण कीजिए:
[i] तुलसीदास को तो …………………….।
[ii] सूरपंचशती के अवसर पर काफी विवाद चला था कि …………………….।
Solutions :
[i] तुलसीदास को तो मुझे घुट्टी में पिलाया गया है।
[ii] सूरपंचशती के अवसर पर काफी विवाद चला था कि सूर जन्मांध थे या नहीं।

कृति 3: [शब्द संपदा]

प्रश्न 1.निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए:
[i] नयन =
[ii] पुराना =
[iii] सच =
[iv] मौका =
Solutions :
[i] नयन = नेत्र
[ii] पुराना = प्राचीन
[iii] सच = सत्य
[iv] मौका= अवसर।

प्रश्न 2.निम्नलिखित कृदंत शब्दों के मूल शब्द लिखिए:
[i] लगाव - …………………….
[ii] मिलावट - …………………….
Solutions :
[i] लगाव - लग + आव
[ii] मिलावट - मिल + आवट।

कृति 4: [स्वमत अभिव्यक्ति]

प्रश्न.‘आँख देखने का माध्यम है, देखने वाला मन है’ विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
Solutions :
प्रत्येक प्राणी की दो आँखें होती हैं, जिनके द्वारा वह इस पृथ्वी की समस्त चीजें देखने में समर्थ होता है। मनोरंजक दृश्य देखकर वह प्रसन्न होता है और दुखद दृश्य देखकर दुखी और बेचैन होता है। यह आँखों से दिखाई देने वाले प्रत्यक्ष दृश्यों पर मनुष्य की प्रतिक्रिया होती है। पर मनुष्य की एक दृष्टि और होती है - उसके मन की यानी उसकी कल्पना की। वह प्रत्यक्ष दृष्टि से भी तेज होती है। जब वह किसी घटित - अघटित दृश्य की कल्पना करता है तो वह दृश्य उसकी कल्पना में उसके सामने दिखाई देने लगता है।

किसी व्यक्ति की इच्छित घटित अथवा अघटित घटना फिल्म की रील की तरह उसे दिखाई देती है। यह दृश्य उसकी आँखें नहीं देखती हैं। यह दृश्य देखता है उसका मन। मनुष्य को सपने में दिखाई देने वाले दृश्य भी उसकी आँखें नहीं, उसका मन देखता है। इस प्रकार मनुष्य को क्या देखना है और क्या नहीं, इसका आदेश मनुष्य का मन ही उसे देता है। हाँ, देखने-देखने में अंतर अवश्य है। प्रत्यक्ष दृश्य वास्तविक आँखें देखती हैं, जब कि मन के काल्पनिक दृश्य मन की आँखें देखती हैं।

गद्यांश क्र. 4

प्रश्न, निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]

प्रश्न 1.उत्तर लिखिए:
[i] नागर जी को इस पुस्तक को फिर से पढ़ने की उत्कंठा है -
[ii] नागर जी के पास संग्रह है इनका -
Solutions :
[i] नागर जी को इस पुस्तक को फिर से पढ़ने की उत्कंठा है - प्रभातकुमार मुखोपाध्याय का संग्रह ‘देशी और विलायती’।
[ii] नागर जी के पास संग्रह है इनका - पत्रों और प्रत्येक जाति के रीति-रिवाजों का।

प्रश्न 2.संजाल पूर्ण कीजिए:
   जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
उत्तर:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

कृति 2: [आकलन]

प्रश्न 1.लिखिए:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
उत्तर:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

प्रश्न 2.
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu
उत्तर:
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu


कृति 3: [शब्द संपदा]

प्रश्न 1.निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलकर लिखिए:
[i] बूढ़े - ……………….
[ii] कहानियों - ……………….
[iii] जाति - ……………….
[iv] रचनाएँ - ……………….
Solutions :
[i] बूढ़े - बूढ़ा
[ii] कहानियों - कहानी
[iii] जाति - जातियाँ
[iv] रचनाएँ - रचना।

प्रश्न 2.उचित उपसर्ग चुनकर सार्थक शब्द बनाकर लिखिए: [अव, दुर्, अप, दुर्]
[i] ………………. गुण
[ii] ………………. बल
[iii] ………………. मन
[iv] ………………. भाग्य
Solutions :
[i] गुण - अवगुण
[ii] बल - दुर्बल।
[iii] मान - अपमान
[iv] भाग्य - दुर्भाग्य।

कृति 4: [स्वमत अभिव्यक्ति]

प्रश्न.‘लेखन में वास्तविकता लाने के लिए विषय की तह में जाना आवश्यक है’ इसके बारे में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
Solutions :
किसी विषय पर लिखने के लिए उस विषय की पूर्ण जानकारी होना जरूरी होता है। लिखने वाले का विषय के बारे में जितना अच्छा गृहकार्य होगा, लेखन उतना ही अच्छा होगा। उदाहरण के लिए समाज के किसी वर्ग के बारे में कुछ लिखना है, तो सबसे पहले उसके बारे में पूरी जानकारी एकत्र करनी चाहिए। उसके रहन-सहन, रीति-रिवाज तथा मान्यताओं का नजदीकी परिचय प्राप्त करना चाहिए। पूरी जानकारी हो जाने पर ही लिखने की शुरुआत करनी चाहिए। लेखक के पास जितनी अच्छी जानकारी होगी, उतनी ही अच्छी उसकी रचना तैयार होगी। अच्छे लेखक पूरी जानकारी प्राप्त किए बिना किसी कृति की रचना नहीं करते। ऐसे लेखकों की रचनाएँ ही पाठक को बाँधे रखती हैं। उनमें पाठक को वास्तविकता के दर्शन: होते हैं।

भाषा अध्ययन [व्याकरण]


प्रश्न. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

1. शब्द भेद:

अधोरेखांकित शब्दों का शब्दभेद पहचानकर लिखिए:
[i] उस समय नागर जी के सामने प्रेमचंद का साहित्य था।
[ii] मेरा छोटा भाई भी मेडिकल कालेज में दाखिल था।
Solutions :
[i] प्रेमचंद - व्यक्तिवाचक संज्ञा।
[ii] छोटा - गुणवाचक विशेषण।

2. अव्यय:

निम्नलिखित अव्ययों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
[i] भी
[ii] बहुत।
Solutions :
[i] नागर जी ने पत्रों का भी बहुत संकलन किया है।
[ii] चंडीप्रसाद की लेखन शैली ने नागर जी की लेखन शैली को बहुत प्रभावित किया।

3. संधि:

कृति पूर्ण कीजिए:

संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
…………………. नदी + ईश ………………….
 अथवा
………………….सत् + मार्ग………………….

उत्तर:

संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
नदीश नदी + ईशस्वर संधि
 अथवा
सन्मार्गसत् + मार्गव्यंजन संधि।
  

4. सहायक क्रिया:

निम्नलिखित वाक्यों में से सहायक क्रियाएँ पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए:
[i] ‘देशी और विलायती’ संग्रह अगर मिले तो फिर पढ़ना चाहूँगा।
[ii] तुम लोग यह मनाओ कि जब तक जिंदा रहूँ , लिखता रहूँ।
Solutions :
सहायक क्रिया - मूल रूप
[i] चाहूँगा - चाहना
[ii] रहूँ - रहना

5. प्रेरणार्थक क्रिया:
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए:
[i] चमकना
[ii] लिखना।
Solutions :
क्रिया - प्रथम प्रेरणार्थक रूप - द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
[i] चमकना - चमकाना - चमकवाना
[ii] लिखना - लिखाना - लिखवाना

6. मुहावरे:

प्रश्न 1.निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
[i] फूला न समाना
[i] तिलिस्म टूटना।
Solutions :
[i] फूला न समाना।
अर्थ - अत्यधिक प्रसन्न होना
वाक्य: परीक्षा में अच्छे अंकों से पास होने पर अशोक फूला न समाया।

[ii] तिलिस्म टूटना।
अर्थ: करामात का भेद खुल जाना
वाक्य: ढोंगी साधु की सच्चाई प्रकट होते ही उसका तिलिस्म टूट गया।

प्रश्न 2.अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए: [एकटक देखना, दम भरना, गले मिलना]
[i] दर्शनार्थी मंदिर में देवी जी की मूर्ति को लगातार देख रहे थे।
[ii] किसी काम को करने का दावा करना और उसे कर दिखाना, दोनों में बड़ा अंतर है।
Solutions :
[i] दर्शनार्थी मंदिर में देवी जी की मूर्ति को एकटक देख रहे थे।
[ii] किसी काम को करने का दम भरना और उसे कर दिखाना, दोनों में बड़ा अंतर है।

7. कारक

निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए:
[i] नेत्रहीनों के चमत्कार हमने बहुत देखे हैं।
[ii] लिखने से पहले नागर जी ने पढ़ना शुरू किया था।
Solutions :
[i] नेत्रहीनों के - संबंध कारक।
[ii] नागर जी ने - कर्ता कारक।

कृति

8. विरामचिह्न:
निम्नलिखित वाक्यों में यथास्थान उचित विरामचिह्नों का
प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए:
[i] नहीं कोई आदर्श नहीं
[ii] यहाँ कश्मीरी लोगों को छोड़कर कोई आता जाता नहीं था
Solutions :
[i] नहीं, कोई आदर्श नहीं।
[ii] यहाँ कश्मीरी लोगों को छोड़कर कोई आता-जाता नहीं था।

9. काल परिवर्तन:

निम्नलिखित वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन लिखिए:
[i] नागर जी, आपने भ्रमण तो काफी किया है। [पूर्ण भूतकाल]
[ii] मेरे पास बहुत पत्र आते हैं। [अपूर्ण वर्तमानकाल]
Solutions :
[i] नागर जी, आपने भ्रमण तो काफी किया था।
[ii] मेरे पास बहुत पत्र आ रहे हैं।

10. वाक्य भेद:

प्रश्न 1.निम्नलिखित वाक्यों का रचना के आधार पर भेद पहचानकर लिखिए:
[i] लिखने के पहले मैंने पढ़ना शुरू किया था।
[ii] पत्रों का संग्रह बहुत है, लेकिन यह व्यवस्थित नहीं है।
Solutions :
[i] सरल वाक्य
[ii] संयुक्त वाक्य।

प्रश्न 2.निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ के आधार पर दी गई सूचना के अनुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए:
[i] नागर जी के पिता जी सरकारी कर्मचारी थे। [निषेधवाचक वाक्य]
[ii] नागर जी ने नेहरू जी की माता जी के पास रोज जाते थे। [प्रश्नवाचक वाक्य]
Solutions :
[i] नागर जी के पिता जी सरकारी कर्मचारी नहीं थे।
[ii] क्या नागर जी नेहरू जी की माता जी के पास रोज जाते थे?

11. वाक्य शुद्धिकरण:

निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए:
[i] नेत्रहीनों के भविष्यवाणियाँ कभी-कभी. सच होते हैं।
[ii] आपने कभी आपके लिखने की सार्थकता की परख किया है।
Solutions :
[i] नेत्रहीनों की भविष्यवाणियाँ कभी-कभी सच होती हैं।
[ii] आपने कभी अपने लिखने की सार्थकता की परख की है।

भाषा बिंदु

[3] निम्नलिखित वाक्यों के रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित कारक चिह्नों से कीजिए तथा संबंधित कारक और कारक चिह्न तालिका में वाक्य के सामने लिखिए:
  जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

उपक्रम/कृति/परियोजना

श्रवणीय
किसी बुजुर्ग से स्वतंत्रतापूर्व भारत की विस्तृत जानकारी सुनिए और मित्रों को सुनाइए।

पठनीय
प्रसिद्ध व्यक्तियों के भाषण पढ़िए और चर्चा कीजिए।

लेखनीय
किसी खिलाड़ी का साक्षात्कार लेने हेतु प्रश्नों की सूची बनाइए।
Solutions :

आपको इस खेल में रुचि कैसे हुई?
आपने इसे सीखने के लिए क्या-क्या किया?
क्या आपने इसके लिए विशेष प्रशिक्षण लिया? किससे? इससे आपको क्या लाभ हुआ?
क्या आपने किसी प्रतियोगिता में भाग लिया है?
क्या कभी कोई पुरस्कार, प्रशंसा मिला/मिली है?
आपका लक्ष्य क्या है?   
आप अपना आदर्श किसे मानते हैं?
आगे चलकर आपकी क्या योजनाएँ है?
क्या आप अपने इस प्रयास से संतुष्ट हैं?
आप इस खेल से जुड़े खिलाड़ियों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
संभाषणिय
‘आज के समय में पत्र लेखन की सार्थकता’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ Summary in Hindi

विषय-प्रवेश : साक्षात्कार साहित्य की एक महत्त्वपूर्ण विधा है। साक्षात्कार में प्रश्न उत्तर के माध्यम से किसी व्यक्ति से साक्षात्कारकर्ता उसके कार्यों एवं जीवन के विविध पक्षों के बारे में समुचित जानकारी प्राप्त करता है। साक्षात्कार में व्यक्ति के बारे में हर प्रकार की जानकारी आईने में दिखाई देने वाली तस्वीर की भाँति झलकने लगती है। __प्रस्तुत साक्षात्कार में विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने प्रसिद्ध लेखक अमृतलाल नागर से उनके साहित्य-सृजन, साहित्य, उनकी लेखन प्रक्रिया, उनके समकालीन साहित्यकारों, तत्कालीन राजनैतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों तथा उनकी कुछ प्रमुख कृतियों के बारे में अनेक |. प्रश्न पूछे हैं और उन्होंने उनका बेबाक उत्तर दिया है।

 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

जन्म ः १९4१, देवरिया (उ.प्र.) 
परिचय ः विश्वनाथ प्रसाद तिवारी जी हिंदी जगत के जाने-माने कवि, लेखक, आलोचक एवं  संपादक हैं। आप देश, काल और वातावरण के प्रति सजगऔर संवेदनशीलरचनाकार हैं। 
प्रमुख कृतियाँ ः ‘फिर भी कुछ रह जाएगा’ (कविता संग्रह), ‘अज्ञेय पत्रावली’ (निबंध), ‘अंतहीन आकाश’ (यात्रा), ‘अमेरिका और युरोप में एक भारतीय बन’ (यात्रा संस्मरण), ‘अस्ति और भवति’ (आत्मकथा), ‘बातचीत’ (साक्षात्कार संग्रह) आदि 

 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu


तिवारी जी ः नागर जी, मैंआपको आपकेलेखन केआरंभ काल की ओर लेचलना चाहता हूँ। जिस समय आपने लिखना शुरू किया उस समय का साहित्‍यिक माहौल क्‍या था ? किन लोगों सेप्रेरित होकर आपने लिखना शुरू किया और क्‍या आदर्शथेआपकेसामने? 

नागर जी ः लिखनेसेपहलेतो मैंनेपढ़ना शुरू किया था । आरंभ में कवियोंकोहीअधिकपढ़ता था। सनेही जी,अयोध्यासिंह उपाध्याय की कविताएँ ज्‍यादा पढ़ीं । छापेका अक्षर मेरा पहला मित्र था। घर मेंदोपत्रिकाएँ मँगातेथेमेरे पितामह। एक ‘सरस्‍वती’ और दूसरी ‘गृहलक्ष्मी’ । उस समय हमारे सामनेप्रेमचंद का साहित्‍य था, कौशिक का था। आरंभ मेंबंकिम केउपन्यास पढ़े। शरतचंद्र को बाद में। प्रभातकुमार मुखोपाध्याय का कहानी संग्रह ‘देशी और विलायती’ १९३० केआसपास पढ़ा । उपन्यासों में बंकिम केउपन्यास १९३० मेंहीपढ़ डाले। ‘आनंदमठ’, ‘देवी चौधरानी’ औरएक राजस्‍थानी थीम पर लिखाहुआ उपन्यास, उसी समय पढ़ा था । 

तिवारी जी ः क्‍या यही लेखक आपकेलेखन केआदर्शरहे? 

नागर जी ः नहीं, कोई आदर्शनहीं । केवल आनंद था पढ़नेका । सबसेपहलेकविता फूटी साइमन कमीशन केबहिष्‍कार केसमय १९२8-१९२९ में। लाठीचार्ज हुआ था । इस अनुभव सेही पहली कविता फूटी-‘कब लौं कहौं लाठी खाय!’ इसेही लेखन का आरंभ मानिए। 

तिवारी जी ः इस घटना केबाद आपराजनीति की ओर क्‍योंनहीं गए ? 

नागर जी ः नहीं गया क्‍योंकि पिता जी सरकारी कर्मचारी थे। १९२९ केबाद मेरी रुचि बढ़ी-पढ़नेमेंभी और सामाजिक कार्यों मंे भी ।  लेकिन मेरी पहली कहानी छपी १९३३ में ‘अपशकुन’। तुम्‍हारेगोरखपुर केमन्ननद्‌विवेदी लिख रहे थेउन दिनों । चंडीप्रसाद हृदयेश थेजिनकी लेखन शैली नेमुझेबहुत प्रभावित किया


तिवारी जी ः क्‍या उन दिनों आपपर गांधीजी के व्यक्‍तित्‍व का भी कुछ प्रभाव पड़ा ? 

 नागर जी ः हाँ, निश्चित रूप से पड़ा । पिता जी ने आंदोलनों में भाग लेने से रोका । वह रोकना ही मेरे लेखन के लिए अच्छा हुआ। 

 तिवारी जी ः आपके लेखन में गरीबों के प्रति जो करुणा है वह किससे प्रभावित है ? 

नागर जी ः वह तो अपने समाज से ही उभरी थी । मेरी पहली कहानी ‘प्रायश्चित’ इसका प्रमाण है । हमारे पारिवारिक संस्‍कार भी थे । मेरे पिता जी में एक अद्‌भुत गुण था । वे किसी के दुख-दर्द में तुरंत पहुँचते थे । इसने मुझे बहुत प्रभावित किया । 

 तिवारी जी ः उस समय तो क्रांतिकारी आंदोलन भी हो रहे थे । क्‍या उनका भी आपपर कुछ प्रभाव पड़ा ? 

नागर जी ः उसी से तो पिता जी ने डाँटा और रोका । काकोरी बमकांड हो चुका था । १९२१ से आंदाेलन तेज हो गए थे । 

 तिवारी जी ः क्‍या सामाजिक आंदोलनों, जैसे आर्य समाज का भी आपपर कुछ प्रभाव पड़ा ? 

नागर जी ः आरंभिक असर है थोड़ा जरूर । मेरे पिता जी में एक अच्छी बात थी कि उन्होंने मुझे सामाजिक आंदोलनों में जाने से कभी नहीं रोका । जवाहरलाल नेहरू से मेरी भेंट १९३३ में हुई । उनकी माँ मेडिकल कॉलेज मंे दाखिल थीं और उसी समय मेरा छोटा भाई भी वहाँ दाखिल था। नेहरू जी जेल में थे । उनकी माँ के पास कुछ कश्मीरी लोगों को छोड़कर कोई आता-जाता नहीं था । मैं उनकी माता जी के पास रोज जाता था । पंडित जी जब जेल से छूटे तो मेरी उनसे वहीं भेंट हुई जो प्रायः होती रहती थी। उनसे खूब बातें होती थीं- हर तरह की । 

तिवारी जी ः आपका पहला उपन्यास कौन-सा है ? 

नागर जी ः पहला उपन्यास लिखा १९44 में ‘महाकाल’, जो छपा १९4६ में । बंगाल से लौटकर इसे लिखा था। 

तिवारी जी ः क्‍या यही बाद में ‘भूख’ नाम से प्रकाशित हुआ ।

 नागर जी ः हाँ । 

 तिवारी जी ः नागर जी, आप अपने समय के और कौन-कौन से लेखकों के संपर्क-प्रभाव में रहे ?

नागर जी ः जगन्नाथदास रत्‍नाकर, गोपाल राय गहमरी, प्रेमचंद, किशोरी लाल गोस्‍वामी, लक्ष्मीधर वाजपेयी आदि के नाम याद आते हैं । माधव शुक्‍ल हमारे यहाँ आते थे । वे आजानुबाहु थे, ढीला कुरता पहनते थे और कुरते की जेब में जलियाँवाला बाग की खून सनी मिट्‌टी हमेशा रखे रहते थे । १९३१ से ३७ तक मैं प्रतिवर्ष कोलकाता जाकर शरतचंद्र से मिलता रहा, उनके गाँव भी गया । 

 तिवारी जी ः पुराने साहित्‍यकारों में आप किसको अपना आदर्श मानते हैं? 

नागर जी ः तुलसीदास को तो मुझे घुट्‌टी में पिलाया गया है । बाबा, शाम को नित्‍य प्रति ‘रामचरितमानस’ मुझसे पढ़वाकर सुनते थे । श्लोक जबरदस्‍ती याद करवाते थे। 

 तिवारी जी ः नागर जी, आपने ‘खंजन नयन’ में सूरदास के चमत्‍कारों का बहुत विस्‍तार से वर्णन किया है । क्‍या इनपर आपका विश्वास है ? 

नागर जी ः नेत्रहीनों के चमत्‍कार हमने बहुत देखे हैं । उनकी भविष्‍यवाणियाँ कभी-कभी बहुत सच होती हैं। सूरपंचशती के अवसर पर काफी विवाद चला था कि सूर जन्मांध थे या नहीं । सवाल यह है कि देखता कौन है ? आँख या मन ? आँख माध्यम है, देखने वाला मन है। 

 तिवारी जी ः आपने क्‍या कभी अपने लिखने की सार्थकता की परख की है ? 

नागर जी ः हाँ, मेरे पास बहुत से पत्र आते हैं । मेरे उपन्यासों के बारे में, खास तौर से जिनसे पाठकीय प्रतिक्रियाओं का पता चलता है । 

 तिवारी जी ः नागर जी, आपने भ्रमण तो काफी किया है... 

नागर जी ः हाँ, पूरे अखंड भारतवर्ष का । पेशावर से कन्याकुमारी तक । बंगाल से कश्मीर तक । इन यात्राओं का यह लाभ हुआ कि मैंने कैरेक्‍टर (चरित्र) बहुत देखे और उनके मनोविज्ञान को भी समझने का मौका मिला । 

 तिवारी जी ः अपने समय के लेखकों में आप किन्हें पसंद करते हैं ? 

नागर जी ः अगर दिल से पूछो तो एक ही आदमी । उसे बहुत प्यार करता हूँ । वह है रामविलास शर्मा । प्रभातकुमार मुखोपाध्याय का संग्रह ‘देशी और विलायती’ अगर मिल जाए तो फिर पढ़ना चाहूँगा । बदलते हुए भारतीय समाज

के सुंदर चित्र हैं उसकी कहानियों में । टॉल्स्‍टॉय और चेखव की रचनाएँ भी मुझे प्रिय हैं । 

 तिवारी जी ः आपने तो पत्रों का भी बहुत संकलन किया है ? 

नागर जी ः हाँ, बहुत । पत्रों का संग्रह भी काफी है, लेकिन वह व्यवस्‍थित नहीं है । मैंने प्रत्‍येक जा प्रत्‍ये ति के रीति-रिवाज भी इकटठ्े किए हैं । इसके लिए घूमना बहुत पड़ा है । बड़े-बूढ़ों से सुनकर भी बहुत कुछ प्राप्त किया है । ‘गदर के फूल’ के लिए मुझे बहुत लोगों से मिलना-जुलना पड़ा। 

तिवारी जी ः आपने अपने उपन्यासों के लिए फील्‍डवर्क बहुत किया है। 

 नागर जी ः हाँ, बहुत करना पड़ा है । ‘नाच्यो बहुत गोपाल’ के लिए सफाई कर्मियों की बस्‍तियों में जाना पड़ा। उनके रीति-रिवाजों का अध्ययन करना पड़ा । 

तिवारी जी ः नागर जी, क्‍या आप मन और प्राण को अलग-अलग मानते हैं ? 

नागर जी ः हाँ, प्राण को मन से अलग करना पड़ेगा । मन की गति आगे तक है । प्राण को वहाँ तक खींचना पड़ता है । मन एक ऐसा निर्मल जल है जिससे जीवन के संस्कार रँगते हैं । मन, प्राण से ही सधता है। 

तिवारी जी ः सूर में आपने मन को ही पकड़ा है । 

नागर जी ः हाँ, सूर ने एक जगह लिखा है-‘मैं दसों दिशाओं में देख लेता हूँ ।’ जब पूरी प्राणशक्‍ति एक जगह केंद्रित होगी तो ‘इंट्यूटिव आई’ बनाएगी । 

 तिवारी जी ः नागर जी, हम लोगों ने आपका बहुत समय लिया, बल्‍कि आपकी उम्र और स्‍वास्‍थ्‍य का भी लिहाज नहीं किया । 

नागर जी ः स्‍वास्‍थ्‍य ठीक है मेरा। पत्‍नी की मृत्‍यु के बाद एक टूटन आ गई थी, लेकिन फिर मैंने सोचा कि लिखने के सिवा और चारा क्‍या है । तुम लोग यह मनाओ कि जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ । (‘एक नाव के यात्री’ से 

 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

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  • जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ स्वाध्याय
  • जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ
  • जब तक जिंदा रहूं लिखता रहूं
  • 9 जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ स्वाध्याय

 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ स्वाध्याय | जब तक जिंदा रहूँ लिखता रहूँ | jab tak zinda rahu likhata rahu

अनुक्रमणिका  INDIEX

Maharashtra State Board 10th Std Hindi Lokbharti Textbook Solutions
Chapter 1 भारत महिमा
Chapter 2 लक्ष्मी
Chapter 3 वाह रे! हम दर्द
Chapter 4 मन (पूरक पठन)
Chapter 5 गोवा : जैसा मैंने देखा
Chapter 6 गिरिधर नागर
Chapter 7 खुला आकाश (पूरक पठन)
Chapter 8 गजल
Chapter 9 रीढ़ की हड्डी
Chapter 10 ठेस (पूरक पठन)
Chapter 11 कृषक गान

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions दूसरी इकाई

Chapter 1 बरषहिं जलद
Chapter 2 दो लघुकथाएँ (पूरक पठन)
Chapter 3 श्रम साधना
Chapter 4 छापा
Chapter 5 ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)
Chapter 7 महिला आश्रम
Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा
Chapter 9 जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
Chapter 10 बूढ़ी काकी (पूरक पऊन)
Chapter 11 समता की ओर
पत्रलेखन (उपयोजित लेखन)
गद्‍य आकलन (उपयोजित लेखन)
वृत्तांत लेखन (उपयोजित लेखन)

कहानी लेखन (उपयोजित लेखन)
विज्ञापन लेखन (उपयोजित लेखन)
निबंध लेखन (उपयोजित लेखन)

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