भारत महिमा कविता का स्वाध्याय | Bharat Mahima Swadhyay 10th
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
a. कहीं से हम आए थे नहीं → …………………….
b. वही हम दिव्य आर्य संतान → …………………….
SOLUTION :
[a] हम भारतवासी किसी अन्य देश से आकर यहाँ नहीं बसे। हम यहीं के निवासी हैं। सभ्यता के प्रारंभ से हम यहीं रहते आए हैं।
[b] भारतवासी आर्य थे और हम उन्हीं आर्यों की दिव्य संतानें हैं।
प्रश्न 2. उचित जोड़ियाँ मिलाइए:
- संचय
- सत्य
- अतिथि
- रत्न
- वचन
- दान
- हृदय
- तेज
- देव
SOLUTION :
- [i] संचय – दान
- [ii] सत्य – वचन
- [iii] अतिथि – देव
- [iv] रत्न – तेज।
प्रश्न 3. लिखिए.
a. कविता में प्रयुक्त दो धातुओं के नाम:
SOLUTION :
b. भारतीय संस्कृति की दो विशेषताएँ:
SOLUTION :
प्रश्न 4. प्रस्तुत कविता की अपनी पसंदीदा किन्हीं दो पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
SOLUTION :
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव। हम भारतीय दीन-दुखियों की सेवा करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। हम यदि धन और संपत्ति का संग्रह करते भी थे तो दान के लिए करते थे। दानवीरता भारतीयों का गुण रहा है। महर्षि दधीचि और कर्ण जैसे दानवीर इसी भूमि पर हुए हैं। हमारे देश में अतिथियों को देवता के समान माना जाता था। भारतीय सत्यवादी हरिश्चंद्र की संतानें हैं। हमारे हृदय में तेज था, गौरव था। हम सदा अपनी प्रतिज्ञा पर अटल रहते थे। भारतीयों का मानना था- प्राण जाएँ,: पर वचन न जाएँ।
प्रश्न 5. निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर पद्य विश्लेषण कीजिए:
a. रचनाकार का नाम
b. रचना का प्रकार
c. पसंदीदा पंक्ति
d. पसंदीदा होने का कारण
e. रचना से प्राप्त संदेश
SOLUTION :
a. रचनाकार का नाम → जयशंकर प्रसाद।
b. रचना की विधा → कविता।
c. पसंद की पंक्तियाँ → व्योमतम पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक। [सूचना: विद्यार्थी अपनी पसंद की पंक्ति लिखेंगे।]
d. पंक्तियाँ पसंद होने का कारण → हम भारतीयों ने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रसार किया, जिसके कारण समग्र संसार आलोकित हो गया। अज्ञान रूपी अंधकार का विनाश हुआ और संपूर्ण सृष्टि के सभी दुख-शोक दूर हो गए।
e. रचना से प्राप्त संदेश/प्रेरणा → हमें सदैव अपने देश और इसकी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। जब भी आवश्यकता पड़े, देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
पद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
प्रश्न 1. पद्यांश से ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों:
[i] अभिनंदन
[ii] आलोक।
SOLUTION :
[i] उषा ने हँसकर क्या किया?
[ii] जब भारतीयों ने ज्ञान का प्रचार किया तो संसार में क्या फैला?
प्रश्न 2. पद्यांश में प्रयुक्त इन शब्दों से सहसंबंध दर्शाने वाले शब्द लिखिए:
[i] हिमालय – ……………………..
[ii] किरण – ……………………..
[iii] विमल – ……………………..
[iv] कोमल – ……………………..
SOLUTION :
[i] हिमालय -आँगन
[ii] किरण – उपहार
[iii] विमल -वाणी
[iv] कोमल -कर
प्रश्न 3. विधानों के सामने सत्य/असत्य लिखिए:
[i] जब पूरा विश्व जगा तो भारतवासी भी जग गए।
[ii] वीणापाणि ने अपने हाथ में वीणा ली।
[iii] हिमालय के आँगन में किरणों का उपहास मिला।
[iv] सप्तसिंधु में सातों स्वर गूंजने लगे।
SOLUTION :
[i] असत्य
[ii] सत्य
[iii] असत्य
[iv] सत्य।
प्रश्न 4. उचित जोड़ियाँ मिलाइए:
[i] उषा – आलोक
[ii] हीरक – संगीत
[iii] विश्व – अभिनंदन
[iv] वीणा – हार
SOLUTION :
[i] उषा – अभिनंदन।
[ii] हीरक – हार
[iii] विश्व – आलोक
[iv] वीणा -संगीत।
कृति 2: [शब्द संपदा]
प्रश्न 1. पद्यांश में से ढूँढ़कर उपसर्गयुक्त शब्द लिखिए:
[i] ………………. [ii] ……………….
SOLUTION :
[i] अभिनंदन
[ii] उपहार।
प्रश्न 2. अनेक शब्दों के लिए एक-एक शब्द लिखिए:
[i] गले में पहनने की मूल्यवान माला
[ii] सितार जैसा वह वाद्य जो सब वाद्यों में श्रेष्ठ माना जाता है, ……………….
SOLUTION :
[i] हार
[ii] वीणा।
प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों के लिए पद्यांश में प्रयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए:
[i] संपूर्ण
[ii] शोकरहित
[iii] संसार
[iv] आकाश।
SOLUTION :
[i] संपूर्ण – अखिल
[ii] शोकरहित – अशोक
[iii] संसार – संसृति
[iv] आकाश – व्योम।
कृति 3: [सरल अर्थ]
प्रश्न. उपर्युक्त पद्यांश की प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
SOLUTION :
भारत देश हिमालय के आँगन के समान है। प्रतिदिन उषा भारत को सूर्य की किरणों का उपहार देती है, मानो हँसकर भारत-भूमि का अभिनंदन कर रही हो। ओस की बूंदों पर जब प्रातःकालीन सूर्य की रश्मियाँ पड़ती हैं, तो ओस की बूंदें चमकने लगती हैं और ऐसा लगता है मानो, उषा ने भारत को हीरों का हार पहना दिया हो।
सबसे पहले ज्ञान का उदय भारत में ही हुआ। अर्थात सबसे पहले हम जाग्रत हुए। फिर हमने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रसार किया। इसके कारण समग्र संसार आलोकित हो गया। अज्ञानरूपी अंधकार का विनाश हुआ और संपूर्ण सृष्टि के सभी दुख-शोक दूर हो गए।
पद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
प्रश्न 1. आकृति पूर्ण कीजिए:
3
SOLUTION :
प्रश्न 2. सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए:
[i] भारत में केवल …………………………. की ही विजय नहीं रही। [चाँदी/लोहे/सोने]
[ii] यहाँ …………………………. भिक्षु की तरह रहते थे। [लोग/लड़के/सम्राट]
[iii] हमसे चीन को …………………………. की दृष्टि मिली। [धर्म/कर्म/धन]
[iv] हमारा देश सदा प्रकृति का …………………………. रहा। [खिलौना/आँगन /पालना]
SOLUTION :
[i] भारत में केवल लोहे की ही विजय नहीं रही।
[ii] यहाँ सम्राट भिक्षु की तरह रहते थे।
[iii] हमसे चीन को धर्म की दृष्टि मिली।
[iv] हमारा देश सदा प्रकृति का पालना रहा।
प्रश्न 3. उपर्युक्त पद्यांश पर आधारित ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों:
[i] सम्राट
[ii] धर्म।
SOLUTION :
[i] कौन भिक्षु होकर रहते?
[ii] चीन को कौन-सी दृष्टि मिली?
प्रश्न 4. निम्नलिखित पंक्तियों का तात्पर्य लिखिए:
[ii] प्रकृति का रहा पालना यहीं।
SOLUTION :
[ii] हमें प्रकृति ने प्रत्येक वस्तु मुक्तहस्त से प्रदान की। यहाँ की शस्य श्यामला भूमि, हिमाच्छादित गिरि शिखर, घाटियाँ, वादियाँ, सदानीरा नदियाँ, झरने, फल-फूल, संसाधनों से भरपूर जंगल सभी अनुपम हैं।
प्रश्न 5. आकृति पूर्ण कीजिए:
[i] हमने गोरी को इसका दान दिया – [ ]
[ii] भारत की धरती पर इसकी धूम रही – [ ]
SOLUTION :
[i] हमने गोरी को इसका दान दिया – [दया का]
[ii] भारत की धरती पर इसकी धूम रही – [धर्म की]
कृति 2: [शब्द संपदा]
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्द-समूहों के लिए शब्द लिखिए:
[i] बहुमूल्य चमकीले प्रसिद्ध खनिज पदार्थ, जो आभूषणों आदि में जड़े जाते हैं –
[ii] छोटे बच्चों के लिए एक प्रकार का झूला या हिंडोला –
[iii] वह स्थान जहाँ किसी का जन्म हुआ हो –
[iv] बौद्ध संन्यासियों के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द –
SOLUTION :
[i] रत्न
[ii] पालना
[iii] जन्मस्थान
[iv] भिक्षु।
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:
[i] विजय x ………………….
[ii] धर्म x ………………….
[iii] भूमि x ………………….
[iv] जन्म x ………………….
SOLUTION :
[i] विजय x पराजय
[ii] धर्म x अधर्म
[iii] भूमि x आकाश
[iv] जन्म – मरण।
कृति 3: [सरल अर्थ]
प्रश्न. उपर्युक्त पद्यांश की अपनी पसंदीदा किन्हीं दो पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
SOLUTION :
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम। भारतीयों ने शस्त्रों के बल पर दूसरे देशों को नहीं जीता, बल्कि उन्होंने प्रेमभाव से लोगों के हृदय जीते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही लोगों के मन में धर्म की भावना रही है। यहाँ वर्धमान महावीर और गौतम बुद्ध जैसे त्यागी धर्मपुरुष हुए हैं, जिन्होंने अपना विशाल साम्राज्य छोड़कर भिक्षु का स्वरूप धारण किया और घर-घर घूमकर लोगों का कष्ट दूर करने का प्रयास किया, धर्म का प्रचार किया।
पद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: [आकलन]
प्रश्न 1. निम्नलिखित पंक्तियों का तात्पर्य लिखिए:
[i] किसी को देख न सके विपन्न।
SOLUTION :
[i] भारतीय कभी किसी को दुखी नहीं देख सके। दीन-दुखियों की सेवा करने के लिए हम भारतीय सदैव तत्पर रहते हैं।
प्रश्न 2. आकृति पूर्ण कीजिए:
[i] हम चरित्र के ऐसे थे – [ ]
[ii] हम दान के लिए यह करते थे – [ ]
[iii] हमारे लिए ये देवता के समान थे – [ ]
[iv] हमें अपने गौरव पर यह था – [ ]
SOLUTION :
[i] हम चरित्र के ऐसे थे [पवित्र]
[ii] हम दान के लिए यह करते थे [संचय]
[iii] हमारे लिए ये देवता के समान थे [अतिथि]
[iv] हमें अपने गौरव पर यह था [गर्व]
संजाल पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
प्रश्न 4. आकृति पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
कृति 2: [शब्द संपदा]
प्रश्न 1. पद्यांश से उपसर्ग वाले दो शब्द ढूँढकर लिखिए:
[i] ……………………. [ii] …………………….
SOLUTION :
[i] अतिथि
[ii] अभिमान।
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए:
[i] पूत = …………………….
[ii] गर्व = …………………….
[iii] प्रतिज्ञा = …………………….
[iv] प्यारा = …………………….
SOLUTION :
[i] पूत – पावन
[ii] गर्व = घमंड
[iii] प्रतिज्ञा = प्रण
[iv] प्रिय = प्यारा।
प्रश्न 3. पद्यांश से शब्द ढूँढकर लिखिए:
[i] पवित्र शब्द के लिए प्रयुक्त शब्द – …………………….
[ii] गरीब शब्द के लिए प्रयुक्त शब्द – …………………….
SOLUTION :
[i] पवित्र शब्द के लिए प्रयुक्त शब्द – पूत
[ii] गरीब शब्द के लिए प्रयुक्त शब्द – विपन्न।
कृति 3: [सरल अर्थ]
पदय विश्लेषण
सूचना: यह प्रश्नप्रकार कृतिपत्रिका के प्रारूप से हटा दिया गया है। लेकिन यह प्रश्न पाठ्यपुस्तक में होने के कारण विद्यार्थियों के अधिक अभ्यास के लिए इसे उत्तर-सहित यहाँ समाविष्ट किया गया है।
भाषा अध्ययन [व्याकरण]
प्रश्न. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
1. शब्द भेद:
अधोरेखांकित शब्दों का शब्दभेद पहचानकर लिखिए:
[i] राजा दशरथ वृद्ध दंपति के सामने बैठ गए।
[ii] सड़क कदाचित कच्ची थी।
SOLUTION :
[i] दशरथ – व्यक्तिवाचक संज्ञा।
[ii] सड़क – जातिवाचक संज्ञा।
2. अव्यय:
निम्नलिखित अव्ययों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
[i] बहुत
[ii] सामने
[iii] किंतु।
SOLUTION :
[i] प्रयाग बहुत थक गया था।
[ii] स्कूल के सामने एक बगीचा है।
[iii] घर में दीपक तो था, किंतु उसमें तेल न था।
3. संधि:
कृति पूर्ण कीजिए:
संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
उज्ज्व ……………… ………………
अथवा
प्रश्न + उत्तर ……………… ………………
SOLUTION :
संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
उज्ज्वल उत् + ज्वल व्यंजन संधि
अथवा
प्रश्नोत्तर प्रश्न + उत्तर स्वर संधि
4. सहायक क्रिया:
निम्नलिखित वाक्यों में से सहायक क्रियाएँ पहचानकर उनका ‘मूल रूप लिखिए:
[i] इस पद ने मोहिनी मंत्र का जाल बिछा दिया।
[ii] बालक भूमि पर लेट गया।
SOLUTION :
सहायक क्रिया मूल रूप
[i] दिया देना
[ii] गया। जाना
5. प्रेरणार्थक क्रिया:
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए:
[i] दौड़ना
[ii] बोलना
[iii] रोना।
SOLUTION :
क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
[i] दौड़ना। दौड़ाना दौड़वाना
[ii] बोलना बुलाना बुलवाना
[iii] रोना रुलाना रुलवाना
6. मुहावरे:
[1] निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
[i] दृष्टि फेरना
[ii] राह देखना।
SOLUTION :
[i] दृष्टि फेरना।
अर्थ: नजर डालना।
वाक्य: नेताजी ने श्रोताओं पर दृष्टि फेरी।
[ii] राह देखना।
अर्थ: प्रतीक्षा करना।
वाक्य: विद्यार्थी कई दिनों से छुट्टियों की राह देख रहे थे।
[2] अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए कोष्ठक में दिए गए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए: [सपने की संपत्ति होना, चल बसना, भनक पड़ना]
[i] हफ्ते भर की बीमारी में मरीज चला गया।
[ii] दारोगाजी ने उड़ती हुई खबर सुनी कि कल दंगा होने वाला है।
[ii] ऐसा भूकंप आया कि क्षण भर में सारी चहल-पहल विलुप्त हो गई।
SOLUTION :
[i] हफ्ते भर की बीमारी में मरीज चल बसा।
[ii] दारोगाजी के कान में भनक पड़ी कि कल दंगा होने वाला है।
[iii] ऐसा भूकंप आया कि क्षण भर में सारी चहल-पहल सपने की संपत्ति हो गई।
7. कारक:
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए:
[i] नारी महान है।
[ii] वह किसी को किसी प्रकार की कमी नहीं होने देती।
[iii] प्रेरणा का सूक्ष्म प्रभाव होता है।
SOLUTION :
[i] नारी – कर्ता कारक
[ii] किसी को – कर्म कारक
[iii] प्रेरणा का – संबंध कारक।
8. विरामचिह्न:
निम्नलिखित वाक्यों में यथास्थान उचित विरामचिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए:
[i] क्या बताऊँ गाय ने दूध देना बंद कर दिया है बूढ़ी हो गई है इस जमाने में गाय भैंस पालने का खर्चा
[ii] हे मेरे मित्रो परिचितो आओ अपने सारे बदले लेने का यही वक्त है
SOLUTION :
[i] “क्या बताऊँ। गाय ने दूध देना बंद कर दिया है, बूढ़ी हो गई है। इस जमाने में गाय-भैंस पालने का खर्चा …।”
[ii] “हे मेरे मित्रो, परिचितो! आओ, अपने सारे बदले लेने का यही वक्त है।”
9. काल परिवर्तन:
निम्नलिखित वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए:
[i] मनु पीछे की ओर मुड़ता है। [सामान्य भूतकाल]
[ii] तुम्हारा मुख लाल होता है। [अपूर्ण वर्तमानकाल]
[iii] रोगी की अवस्था बदल जाती है। [पूर्ण भूतकाल]
SOLUTION :
[i] मनु पीछे की ओर मुड़ा।
[ii] तुम्हारा मुख लाल हो रहा है।
[iii] रोगी की अवस्था बदल गई थी।
10. वाक्य भेद:
[1] निम्नलिखित वाक्यों का रचना के आधार पर भेद पहचानकर लिखिए:
[i] भारतीय चरित्र के पवित्र होते हैं।
[ii] बादल आए किंतु पानी नहीं बरसा।
SOLUTION :
[i] सरल वाक्य
[ii] संयुक्त वाक्य।
[2] निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ के आधार पर दी गई सूचना के अनुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए:
[i] तुम्हें अपना ख्याल रखना चाहिए। [आज्ञावाचक]
[ii] मास्टर जी ने पुस्तकें लाने के लिए पैसे दिए। [प्रश्नवाचक]
SOLUTION :
[i] तुम अपना ख्याल रखो।
[ii] क्या मास्टर जी ने पुस्तकें लाने के लिए पैसे दिए?
11. वाक्य शुद्धिकरण:
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए:
[i] क्रोध से उसकी नेत्र लाल हो गए।
[ii] राम ने हिरण का शिकार की।
[iii] मैं मेरा काम करता है।
SOLUTION :
[i] क्रोध से उसके नेत्र लाल हो गए।
[ii] राम ने हिरन का शिकार किया।
[iii] में अपना काम करता हूँ।
भारत महिमा Summary in Hindi
भारत महिमा कविता का सरल अर्थ
1. हिमालय के आँगन …………………………………… मधुर साम संगीत।. . .
हमारा यह प्यारा भारत देश हिमालय के आँगन के समान है। प्रतिदिन उषा भारत को सूर्य की किरणों का उपहार देती है। तब ऐसा लगता है मानो हँसकर वह भारत-भूमि का अभिनंदन कर रही हो। ओस की बूंदों पर जब प्रातःकालीन सूर्य की रश्मियाँ पड़ती हैं तो ऐसा लगता है जैसे उषा ने भारत को हीरों का हार पहना दिया हो।
सबसे पहले ज्ञान का उदय भारत में ही हुआ अर्थात सबसे पहले हम जाग्रत हुए। फिर हमने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रसार किया। इसके कारण समग्र संसार आलोकित हो गया। अज्ञान रूपी अंधकार का विनाश हुआ और संपूर्ण सृष्टि के सभी दुख-शोक दूर हो गए।
वाणी की देवी वीणापाणि [सरस्वती] ने इसी पवित्र भूमि पर प्रेम के साथ अपने कमल के समान कोमल करों में वीणा उठाई, उसकी झंकार से सप्तसिंधुओं में सातों स्वरों का मोहक सरगम गूंजने लगा, मधुर संगीत का जन्म हुआ। इसी महान देश में संगीत के वेद सामवेद की रचना हुई।
2. विजय केवल …………………………………… आए थे नहीं।. . .
भारत के लोगों ने शस्त्रों के बल पर देशों को नहीं जीता। यहाँ प्राचीन काल से ही लोगों के मन में धर्म की प्रखर भावना रही है और उन्होंने संसार में धर्म का प्रचार किया। यहाँ गौतम बुद्ध और वर्धमान महावीर जैसे धर्मपुरुष हुए हैं, जिन्होंने विशाल साम्राज्य छोड़कर भिक्षु का स्वरूप धारण किया और घर-घर घूमकर लोगों का कष्ट दूर करने का प्रयास किया, धर्म का प्रचार किया। हमने मोहम्मद गोरी को पराजित करने के बाद भी दयापूर्वक क्षमा कर दिया। हमारे देश से ही चीन को धर्म की दृष्टि मिली। [भारत के महान सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए चीन, स्वर्ण भूमि अर्थात जावा और श्रीलंका भेजा] जावा और श्रीलंका के लोगों को पंचशील [अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, सत्य, ब्रह्मचर्य आदि] के सिद्धांत मिले।
भारतवासियों ने कभी किसी की संपत्ति या किसी का राज्य छीनने का प्रयास नहीं किया। हमें प्रकृति ने प्रत्येक वस्तु मुक्तहस्त से प्रदान की। प्रकृति की हमारे देश पर महान कृपा रही है। [यहाँ की शस्य श्यामला भूमि, हिमाच्छादित गिरि शिखर, घाटियाँ, वादियाँ, सदानीरा नदियाँ, झरने, फल-फूल, संसाधनों से भरपूर जंगल सभी अनुपम हैं] भारत सदा से हमारी जन्मभूमि है। हम इसी देश की संतानें हैं। हम बाहर के किसी स्थान से आकर यहाँ नहीं बसे हैं। [जैसा कि कुछ विदेशियों का कहना है।]
3. चरित थे पूत …………………………………… प्यारा भारतवर्ष।. . .
भारत के लोग सदा से चरित्रवान रहे हैं। हमारी भुजाओं में भरपूर शक्ति रही है। भारतीयों में वीरता की कभी कमी नहीं रही। साथ ही नम्रता सदा हमारा गुण रहा है। हमने कभी अपनी उपलब्धियों पर घमंड नहीं किया। हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व रहा है। हम कभी किसी को दुखी नहीं देख सके। दीन-दुखियों की सेवा करने के लिए हम भारतीय सदैव तत्पर रहते हैं। ‘हम यदि धन और संपत्ति का संग्रह करते भी थे, तो दान के लिए करते थे। दानवीरता भारतीयों का गुण रहा है। हमारे देश में अतिथियों को सदा देवता के समान माना जाता था। भारत के लोग सत्य बोलना अपना धर्म मानते थे। [भारतीय सत्यवादी हरिश्चंद्र की संतानें हैं।] हमारे हृदय में तेज था, गौरव था। हम सदा अपनी प्रतिज्ञा पर अटल रहते थे। प्राण जाए, पर वचन न जाए हमारा जीवनमूल्य रहा है।
आज भी हम भारतीयों की धमनियों में उन्हीं पूर्वजों का रक्त प्रवाहित हो रहा है। आज भी हमारा देश वैसा ही है। आज भी भारतीयों में वैसा ही साहस है। भारतीय आज भी ज्ञान के क्षेत्र में सबसे आगे हैं। आज भी हम पहले के समान शांति के पुजारी हैं। देशवासियों में वैसी ही शक्ति है। हम उन्हीं आर्यों की दिव्य संतानें हैं।
हम जब तक जिएँ, इसी देश के लिए जिएँ। हमें इसकी सभ्यता और संस्कृति पर अभिमान है और हर्ष है कि हमने इस भूमि पर जन्म लिया है। यह हमारा प्यारा भारतवर्ष है। यदि कभी आवश्यकता पड़े, तो इसके लिए अपना सर्वस्व भी न्योछावर कर दें।
भारत महिमा विषय-प्रवेश :
प्रकृति ने हमारे देश भारत की रचना बड़े प्यार से की है। हमारा देश हिमालय की गोद में बसा हुआ है। हमारा देश सबसे पहले जाग्रत हुआ था और इसकी संस्कृति सबसे पुरानी है। प्रस्तुत कविता में छायावाद के प्रवर्तक जयशंकर प्रसाद जी ने हमारे प्यारे देश भारत के इसी महिमामंडित अतीत का मनोरम चित्रण किया है। कवि की आकांक्षा है कि हमें सदैव अपने देश पर, इसकी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर, हमें देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
भारत महिमा मुहावरा –
अर्थ निछावर करना – अर्पण करना, समर्पित करना।
भारत महिमा कविता का स्वाध्याय | Bharat Mahima Swadhyay 10th
जन्म ः १8९०, वाराणसी (उ.प्र.)
मृत्यु ः १९३७, वाराणसी (उ.प्र.)
परिचय ः जयशंकर प्रसाद जी छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं। आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं । कवि, नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार तथा निबंधकार के रूप में आप प्रसिद्ध हैं। आपकी रचनाओं में सर्वत्र भारत के गौरवशाली अतीत, ऐतिहासिक विरासत के दर्शन होते हैं ।
प्रमुख कृतियाँ ः ‘झरना’, ‘आँसू’, ‘लहर’ (काव्य), ‘कामायनी’ (महाकाव्य), ‘स्कंदगुप्त’, ‘चंद्रगुप्त’, ‘ध्रुवस्वामिनी’ (ऐतिहासिक नाटक), ‘प्रतिध्वनि’, ‘आकाशदीप’, ‘इंद्रजाल’ (कहानी संग्रह), ‘कंकाल’, ‘तितली’, ‘इरावती’ (उपन्यास) आदि ।
भारत महिमा कविता
हिमालय के आँगन मंे उसे, किरणों का दे उपहार
उषा ने हँस अभिनंदन किया, और पहनाया हीरक हार ।
जगे हम, लगे जगाने विश्व, लोक में फैला फिर आलोक
व्योमतम पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक ।
विमल वाणी ने वीणा ली, कमल कोमल कर में सप्रीत
सप्तस्वर सप्तसिंधु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम संगीत । ......
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षुहोकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम ।
‘यवन’ को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि
मिला था स्वर्णभूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि ।
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं ।......
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न ।
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव
वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव ।
वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान
वही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य संतान ।
जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष ।
भारत महिमा कविता का स्वाध्याय | Bharat Mahima Swadhyay 10th
Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 1 भारत महिमा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.
Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokbharti Chapter 1 भारत महिमा
Hindi Lokbharti 10th Std Digest Chapter 1 भारत महिमा Textbook Questions and Answers
- भारत महिमा कविता का भावार्थ
- भारत महिमा कविता का पद्य विश्लेषण
- भारत महिमा कविता का स्वाध्याय
- भारत महिमा कविता के प्रश्न उत्तर
- भारत महिमा कविता के प्रश्न उत्तर pdf
- भारत महिमा कविता का सारांश
- भारत महिमा कविता के रचनाकार
- भारत महिमा कविता भावार्थ
- भारत महिमा कविता का सरलार्थ
- भारत महिमा कविता का अर्थ
- भारत महिमा कविता का भावार्थ लिखो
- भारत महिमा कविता का आशय
- bharat mahima kavita
- भारत की महिमा कविता
- भारत की महिमा कविता का अर्थ
- भारत महिमा कविता की विधा
- bharat mahima poem